Wheat Price: यूक्रेन संकट से बढ़ी निर्यात मांग, क्या महंगे भाव में ​मिलेगा गेहूं?


 नई दिल्‍ली. रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की वजह से अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों (Wheat Rate) में लगातार इजाफा हो रहा है. रूस और यूक्रेन, दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक देश हैं. इन दोनों देशों से गेहूं की सप्‍लाई रुकने से गेहूं के दाम चढ़ रहे हैं. इसका फायदा भारत को हो रहा है. भारतीय गेहूं की निर्यात मांग अचानक बढ़ गई है.

यही कारण है कि भारत ने वित्‍त वर्ष 2022 में रिकॉर्ड 8.5 मिट्रिक टन गेहूं का निर्यात (Indian wheat Export) किया है. यही नहीं भारत ने वर्तमान वित्‍त वर्ष के लिए गेहूं निर्यात का लक्ष्‍य 10 लाख मिट्रिक टन का रखा है. अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में बढ़ती मांग और घरेलू बाजार में निजी खरीदारों द्वारा गेहूं की की जा रही भारी खरीद के कारण अब यह सवाल उठने लगा है कि क्‍या देश में आगे गेहूं के दाम बेतहाशा बढ़ेंगे?

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अगर वर्तमान हालात की बात करें तो हार्वेस्टिंग सीजन में ही गेहूं के भाव थोक में न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से 5 से 7 फीसदी ऊंचे हैं. आगे भावों में और तेजी की संभावना को देखते हुए व्‍यापारी गेहूं का स्‍टॉक कर रहे हैं. इसका पता सरकारी खरीद में आ रही गिरावट से चलता है. 7 अप्रैल 2022 तक गेहूं सरकारी एजेंसियों ने एमएसपी पर 69.24 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा है जो वार्षिक आधार पर 39 फीसदी कम है. एक साल पहले समान अवधि में 102 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी.

निजी खरीद ज्‍यादा
पंजाब और हरियाणा, जहां हर साल गेहूं की निजी खरीद न के बराबर होती है, वहां भी इस बार गेहूं प्राइवेट व्‍यापारियों ने न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से ज्‍यादा भाव पर गेहूं की अच्‍छी खासी खरीद की है. मध्‍यप्रदेश और राजस्‍थान में भी इस बार किसानों से व्‍यापारियों ने न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से ज्‍यादा दाम देकर गेहूं खरीदा है. मध्‍यप्रदेश और राजस्‍थान में आमतौर पर व्‍यापारी हार्वेस्टिंग सीजन में गेहूं समर्थन मूल्‍य से 200-300 रुपये कम में खरीदते हैं.

किसानों को मिल रहे अच्‍छे दाम
लेकिन, इस बार हालात उलट हैं. राजस्‍थान की कोटा मंडी के व्‍यापारी पवन कुमार ने न्यूज18 को बताया कि कोटा मंडी में अब ठीक क्‍वालिटी का गेहूं 2200 रुपये क्विंटल बिक रहा है. वहीं कुछ स्‍पेशल वैरायटियों का भाव 2500 रुपये क्विंटल तक हो गया है. केंद्र सरकार ने गेहूं का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य इस बार 2015 रुपये तय किया था. पवन कुमार का कहना है कि गेहूं की अच्‍छी ग्राहकी है और गेहूं के दाम 3,000 रुपये क्विंटल तक होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

राजस्‍थान के चुरू जिले के शोभासर गांव के दुकानदार भागीरथ सेन का कहना है कि गेहूं का भाव रिटेल में यहां 2500 रुपये क्विंटल हो गया है. पिछले साल इन्‍हीं दिनों परचून में गेहूं यहां 2150 रुपये तक मिल जाता था. भागीरथ का कहना है कि गेहूं के आगे महंगा होने की चर्चाओं से व्‍यापारी गेहूं का स्‍टॉक कर रहे हैं. वहीं आमजन भी सारे साल के उपयोग के लिए एकसाथ ही गेहूं लेने की कोशिश कर रहे हैं.

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क्‍या गेहूं की कमी हो जाएगी?
निर्यात मांग में भारी बढ़ोतरी होने और अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में गेहूं की भारी मांग को देखते हुए कुछ लोग अब कहने लगे हैं कि भारत ने अगर गेहूं निर्यात पर अंकुश नहीं लगाया तो आगे देश में गेहूं की कमी हो सकती है. लेकिन, Barclays  के मैनेजिंग डायरेक्‍टर और चीफ इंडिया इकोनोमिस्‍ट राहुल बजौरिया (Rahul Bajoria) इस दावे से सहमत नहीं हैं. बाजौरिया ने मनीकंट्रोल डॉट कॉम को बताया कि-“पिछले दशक में भारत के गेहूं उत्‍पादन में भारी बढ़ोतरी हुई है. भारत के पास अपनी घरेलू जरूरतें पूरी करने और निर्यात के लिए पर्याप्‍त गेहूं है. कुल उत्‍पादन का बहुत कम हिस्‍सा ही निर्यात किया जाएगा. इसलिए गेहूं की कमी जैसी कोई बात नहीं है.”

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बाजौरिया का कहना है कि सरकार द्वारा इस बार गेहूं की कम खरीद के बावजूद सरकार के पास देश घरेलू जरूरत और पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्‍टम के तहत वितरण के लिए पर्याप्‍त गेहूं है. वहीं कृषि अर्थशास्‍त्री डॉ. अशोक गुलाटी का कहना है कि भारत के पास बहुत ज्‍यादा गेहूं है. सरकार के पसीने इसके भंडारण में ही छूट रहे हैं. सरप्‍लस गेहूं का भंडारण करना भारत के लिए हमेशा से ही एक चुनौती रहा है. पिछले पांच सीजन से गेहूं का रिकॉर्ड उत्‍पादन हो रहा है. हालांकि, इस बार सरकारी खरीद काफी कम हुई है, लेकिन सरकारी गोदामों में अभी भी भरपूर अनाज पड़ा है.

Tags: Inflation, Wheat, Wheat Procurement

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