जब अंपायर डिकी बर्ड ने मैल्कम मार्शल से कहा- आपने नंबर 11 को बाउंसर फेंकी कैसे, माफी मांगो


नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 25 जून का दिन बेहद अहम है. कपिल देव की अगुआई में भारत ने इसी दिन 1983 में पहली बार वनडे विश्व कप का खिताब जीता था. तब किसी ने भी भारत के वर्ल्ड चैम्पियन बनने की उम्मीद नहीं की थी. लेकिन, कपिल देव की कप्तानी वाली टीम ने लॉर्ड्स में हुए फाइनल में 2 बार के चैम्पियन को हराकर वर्ल्ड चैम्पियन बनने के सपने को सच कर दिखाया. इस जीत से जुड़े कई किस्से मशहूर है. ऐसा ही एक किस्सा बलविंदर सिंह संधू और वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज मैल्कम मार्शल से जुड़ा है. दरअसल, इस मैच में मार्शल ने नंबर-11 पर बल्लेबाजी के लिए उतरे संधू को बाउंसर मारी थी. इससे अंपायर डिकी बर्ड इतना बिफर गए कि उन्होंने मार्शल को डांट लगा दी थी.

सैयद किरमानी ने एशियानेट से खास बातचीत में यह पूरा किस्सा सुनाया था. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि किसी ने 1983 विश्व कप फाइनल की इस घटना के बारे में बात की होगी. बल्लू (बलविंदर सिंह संधू) का सामना दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज मैल्कम मार्शल से हो रहा था. डिकी बर्ड अंपायर थे. मार्शल ने बल्लू को बाउंसर फेंकी. जब तक वो भांप पाते, तब तक गेंद उनके हेलमेट पर जा लगी. बल्लू ने फिर खुद को संभाला और हेलमेट को रगड़ने लगे.” मैं नॉन-स्ट्राइकर छोर पर था और अंपायर से अनुमति लेकर उनकी ओर दौड़ा. मैंने बल्लू से पूछा, “क्या कर रहा है यार, हेलमेट क्यों रगड़ रहा है?”

मार्शल को सुननी पड़ी अंपायर की डांट
किरमानी ने इस इंटरव्यू में आगे बताया, “इस बीच, डिकी बर्ड, मैल्कम मार्शल बल्लू को देखने आए. डिकी बर्ड वेस्टइंडीज के पेसर मार्शल पर बरस पड़े और उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई. मुझे याद है तब उन्होंने चार अक्षर वाले भद्दे शब्द का भी इस्तेमाल किया था. उन्होंने कैरेबियाई पेसर से कहा, “आपकी हिम्मत कैसे हुई आखिरी नंबर पर उतरे उस खिलाड़ी को बाउंसर फेंकने की, जो बल्लेबाजी नहीं कर सकता है. उससे सॉरी बोलो.” फिर, मार्शल ने अपने ठेठ कैरेबियाई लहजे में बल्लू से कहा, “सॉरी मैन, मेरा मतलब तुम्हें मारना नहीं थाा और जब मार्शल अपने रन पर लौट रहे थे, तो बल्लू ने उन्हें यह कहते हुए करार जवाब दिया कि कोई बात नहीं, मैं दोबारा बाउंसर के लिए तैयार हूं.”

बल्लू ने मार्शल से आगे कहा, “तुम्हें लगता है कि मेरा दिमाग सिर में है, नहीं यार, मेरा दिमाग यहां है (अपने घुटनों की ओर इशारा करते हुए). बल्लू का यह जवाब मैं आज तक नहीं भूला हूं.”

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संधू ने मैच में 2 विकेट लिए थे
बता दें कि किरमानी और बलविंदर संधू ने 1983 के विश्व कप के फाइनल में आखिरी विकेट के लिए 22 रन की साझेदारी की. आखिरी तीन बल्लेबाजों ने कुल 42 रन जोड़े थे और यह जीत-हार में निर्णायक साबित हुए थे. हेलमेट में गेंद लगने के बावजूद संधू ने बल्लेबाजी जारी रखी और 39 गेंद में नाबाद 11 रन बनाए. बाद में उन्होंने 2 विकेट भी लिए.

Tags: India vs west indies, Kapil dev, World cup 1983

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