नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर भारत ही नहीं दुनियाभर के देशों में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे पिछले कुछ समय में लगातार गिरावट दिख रही. सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वॉइन में तो महज छह महीने में ही 50 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
बीबीसी के अनुसार, बिटक्वॉइन की कीमत नवंबर 2021 में अपने पीक पर पहुंच गई थी, जब एक क्वॉइन करीब 62 हजार डॉलर के आसपास था. हालिया गिरावट की वजह से अब तक यह 50 फीसदी नीचे आ चुकी है. बिटक्वॉइन की मौजूदा कीमत करीब 31 हजार डॉलर है. इस क्वॉइन की बाजार में कुल हिस्सेदारी करीब 33 फीसदी की है और मार्केट वैल्यू 570 अरब डॉलर, लेकिन शेयर बाजारों में जारी हालिया गिरावट के साथ क्रिप्टोकरेंसी भी टूट रही है.
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एक सप्ताह में 20 फीसदी टूटी कीमत
बिटक्वॉइन की कीमत में महज एक सप्ताह के भीतर ही 20 फीसदी की गिरावट आई है और अभी यह 31,116.38 डॉलर प्रति क्वॉइन के भाव पर है. इस दौरान ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट भी गिरकर 1.41 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया है जो 9.16 फीसदी की गिरावट दिखा रहा.
क्रिप्टो बाजार में सिर्फ बिटक्वॉइन ही नहीं गिरी है, बल्कि एलन मस्क की पसंदीदा Dogecoin में महज 24 घंटे के भीतर 11 फीसदी तो Shiba Inu में 15 फीसदी की बड़ी गिरावट दिखी है. टेरा भी पिछले 24 घंटे में 21.28 फीसदी और एवलांच 16 फीसदी से ज्यादा टूट चुकी है.
आखिर अचानक क्यों आई इतनी गिरावट?
सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इक्विटी मार्केट की तरह क्रिप्टो बाजार भी महंगाई और मंदी की आशंका से जूझ रहा है. वॉल्ड के सीईओ और सह-संस्थापक दर्शन बथीजा का कहना है कि अमेरिकी फेड रिजर्व ने जब अपनी ब्याज दरों में 0.50 फीसदी बढ़ोतरी का ऐलान किया तो क्रिप्टो बाजार में खासकर बिटक्वॉइन में जबरदस्त तेजी दिखी और यह 40 हजार डॉलर पर पहुंच गई. लेकिन, कुछ ही समय बाद निवेशकों में महंगाई और बढ़ने व मंदी का डर सताने लगा और शेयर बाजार के साथ क्रिप्टो मार्केट भी लुढ़क गए.
इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये में आई रिकॉर्ड गिरावट, रूस-यूक्रेन युद्ध और श्रीलंका संकट जैसे जियोपॉलिटिकल टेंशन की वजह से भी निवेशकों का सेंटिमेंट प्रभावित हो रहा है. भारत सहित दुनिया के कई देश क्रिप्टो के गलत इस्तेमाल को लेकर आशंका जता चुके हैं. इससे सहमे निवेशक अपने बेहतर समय के लिए पैसे बचाना चाहते हैं और उन्होंने फिलहाल क्रिप्टो में पैसे लगाने की मंशा छोड़ दी है.
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क्या कहते हैं बड़े खिलाड़ी
अमेरिकी अरबपति मार्क कुबन का कहना है कि बिटक्वॉइन या क्रिप्टो में हालिया गिरावट बिलकुल साल 2,000 के आईटी बूम की तरह है, जब दर्जनों नई आईटी कंपनियां खुल रहीं थी. इसके भविष्य का अंदाजा फिलहाल नहीं लगाया जा सकता है. बिटक्वॉइन फाउंडेशन के चेयरमैन और अरबपति ब्रॉक पीयर्स का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी या तो बहुत सफल होंगी अथवा पूरी तरह धराशायी हो जाएंगी. यह बिलकुल साल 2,000 में आने वाली आईटी कंपनियों की तरह है, जिनमें कुछ तो भविष्य की ई-बे, अमेजन और पेपाल बनीं तो पूरी तरह बर्बाद हो गईं.
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Tags: Bitcoins, Cryptocurrency, Investment and return
FIRST PUBLISHED : May 11, 2022, 15:34 IST