क्‍या जैक मा छोड़ देंगे एंट ग्रुप का कंट्रोल, उनकी लंबी यूरोप यात्रा के क्‍या हैं मायने, आखिर क्‍यों आई ऐसी नौबत?


हाइलाइट्स

जैक मा के पास एंट ग्रुप कंपनी में केवल 10% की हिस्सेदारी है.
इसे 8.8 फीसदी से नीचे लाने की मंशा है, ताकि कंपनी पर नियंत्रण खत्‍म हो.
अभी एंट ग्रुप में जैक मा के पास 50.52 फीसदी वोटिंग अधिकार है.

नई दिल्‍ली. कभी चीन के सबसे अमीर व्‍यक्ति रहे जैक मा वहां की जिनपिंग सरकार के लगातार दबाव से परेशान हैं और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि मा अपनी कंपनी एंट ग्रुप का कंट्रोल भी छोड़ सकते हैं. जैक मा की हालिया यूरोप यात्रा के बाद इस तरह की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं.

जैक मा की कंपनी के साथ चीन सरकार का विवाद करीब दो साल पुराना है और उसके बाद से ऐसा कई बार हुआ जब जैक हफ्तों गायब रहे. ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन की सरकार और एजेंसियां उनके कारोबार पर लगातार अंकुश लगा रही हैं. अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड के संस्‍थापक 57 वर्षीय जैक मा हाल में ही ऑस्ट्रिया के एक रेस्‍तरां में देखे गए. ब्‍लूमबर्ग और लोकल मीडिया के अनुसार, वे नीदरलैंड की एक यूनिवर्सिटी में सस्‍टेनेबल एग्रीकल्‍चर के बारे में सीखने आए थे.

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सरकार के कदम से कंपनी को 26 अरब डॉलर का नुकसान

वैसे देखा जाए तो जैक मा की यह चीन के बाहर कोई पहली यात्रा नहीं है, लेकिन पिछले दिनों सरकार की ओर से उन्‍हें देश न छोड़ने की सलाह दी गई थी. यह खबर मीडिया में आने के बाद उनकी कंपनी के शेयरों को 26 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. हालांकि, बाद में ऐसा बताया गया कि यह आदेश मा सरनेम के किसी अन्‍य व्‍यक्ति के लिए था.

साल 2020 में जैक मा ने अपनी फिनटेक कंपनी एंट ग्रुप का आईपीओ लाने की घोषणा की थी, जिसके बाद से ही सरकारी एजेंसियां उनके पीछे पड़ गईं और लगातार जांच का सिलसिला चल निकला. पिछले साल अप्रैल में रॉयटर्स ने बताया था कि जैक मा एंट ग्रुप में अपनी हिस्सेदारी बेचने और नियंत्रण छोड़ने के लिए विकल्प तलाश रहे थे. मा अपने विशाल ई-कॉमर्स और फिनटेक साम्राज्य का पुनर्गठन कर

रहे हैं.

ऐसे छोड़ सकते हैं एंट ग्रुप की हिस्‍सेदारी

एंट के आईपीओ प्रॉस्पेक्टस के अनुसार जैक मा के पास कंपनी में केवल 10% की हिस्सेदारी है. वह संबंधित संस्थाओं के माध्यम से कंपनी पर नियंत्रण रखते हैं. मामले से जुड़े एक व्‍यक्ति ने बताया कि जैक मा अपनी हिस्‍सेदारी को मुख्य कार्यकारी एरिक जिंग सहित एंट के अन्‍य अधिकारियों को ट्रांसफर कर सकते हैं.

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अलीबाबा ने इस सप्‍ताह शेयर बाजार में दाखिल दस्‍तावेजों के हवाले से बताया कि मा एंट ग्रुप में अपने प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष आर्थिक हितों को कम करना चाहते हैं और इसे 8.8 फीसदी से नीचे लाने की मंशा है. अभी एंट ग्रुप में जैक मा के पास 50.52 फीसदी वोटिंग अधिकार है, जिससे उनका ग्रुप पर नियंत्रण रहता है.

एंट ग्रुप की मुश्किलें बढ़ेंगी

जैक मा के नियंत्रण छोड़ने के बाद एंट ग्रुप की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और कंपनी को अपना आईपीओ लाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. चीन के घरेलू शेयर बाजार के नियमों के मुताबिक, अगर किसी कंपनी के नियंत्रण में बदलाव होता है तो उसे आईपीओ लाने के लिए तीन साल का इंतजार करना पड़ेगा. शंघाई के स्‍टार बाजार में यह अवधि दो साल की जबकि हांगकांग में एक साल की है. इतना ही नहीं कंपनी के रोजमर्रा के कामकाज पर भी इसका बड़ा असर पड़ेगा.

अब रह गई 64 अरब डॉलर की कंपनी

एंट ग्रुप पर चीन सरकार की सख्‍ती और जांच का कितना असर पड़ा, इसका अंदाजा कंपनी के मौजूदा वैल्‍यूएशन से लगाया जा सकता है. साल 2020 में एंट ग्रुप का बाजार पूंजीकरण 300 अरब डॉलर रखा गया था और इसी आधार पर कंपनी ने अपना आईपीओ लाने की घोषणा की थी. इसके बाद से ही चीन की सरकारी एजेंसियों और वहां के केंद्रीय बैंक ने कंपनी को अपने रडार पर ले लिया और लगातार इसकी जांच शुरू कर दी. ब्‍लूमबर्ग ने जून, 2022 में एंट ग्रुप का मूल्‍यांकन सिर्फ 64 अरब डॉलर के रूप में किया है. इससे पता चलता है कि महज दो साल में समूह की बाजार पूंजी 236 अरब डॉलर का घट गई.

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