World Autism Day 2022: वयस्कों में भी होता है जेनेटिक डिसऑडर ऑटिज्म, जानिए इसके लक्षण और चुनौतियां


Autism In Adults: ऑटिज्म (Autism) या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्ड (autism spectrum disorder) एक दिमागी बीमारी है. ये एक आनुवंशिक विकार (genetic disorder) है, जिसने हजारों लोगों को प्रभावित किया है. ये एक गंभीर स्थिति है, क्योंकि इससे व्यक्ति के विकास में बाधा आती है. आमतौर पर हम ऑटिज्म के बारे में जो जानते हैं, वो ये है कि यह बच्चों में होता है, लेकिन तथ्य ये है कि वयस्क भी इसके व्यापक संचार (communication) और व्यवहार संबंधी (Behavioral problems) समस्याओं के कारण प्रभावित होते हैं. भले ही ऑटिज्म मूल रूप से बच्चों और वयस्कों में एक जैसा ही रहता है, लेकिन लक्षणों में थोड़ा अंतर होता है. इसके अलावा, अगर वहां हम आत्मकेंद्रित में देरी करते हैं, तो कारण कुछ मामलों में भिन्न भी हो सकते हैं. ओन्लीमाईहेल्थ ने अपनी न्यूज रिपोर्ट में वयस्कों में ऑटिज्म के कुछ महत्वपूर्ण पहलू और प्रभाव के बारे में जानकारी दी है, जिन्हें हर किसी को अवश्य पता होना चाहिए.

इस रिपोर्ट में वयस्कों में ऑटिज्म के विभिन्न संकेतों और लक्षणों के बारे में हेल्थकेयर क्लिनिक, लखनऊ में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. तनु चौधरी ने कुछ अहम जानकारी साझा की है. उनका कहना है कि ऑटिज्म को मुख्य रूप से व्यक्ति की सामाजिक और व्यवहारिक चुनौतियों के रूप में जाना जाता है.

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यहां कुछ संकेत और लक्षण दिए गए हैं, जिनका आपको पालन जरूर करना चाहिए.

वयस्कों में ऑटिज्म के लक्षण

– किसी से भी बात करते वक्त परेशानी होना, अपनी बात ना कह पाना.
– ऑटिज्म से पीड़ित एडल्ट्स अपना व्यवहार काफी दोहराते हैं.
– लोगों से बातचीत करने में दिक्कत आना.
– शारीरिक मूवमेंट को कंट्रोल करने में परेशानी आना.
– अपनी आवाज पर नियंत्रण न होना.
– लोगों के आसपास होने पर असामान्य व्यवहार होना.
– किसी से भी मदद मांगने में उन्हें परेशानी होती.
– कुछ मामलों में मरीज कुछ भी बोलने से परहेज करते हैं, वो चुप्पी साध लेते हैं.

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डॉ. तनु के अनुसार, अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में समस्याओं का सामना करने के कारण ऑटिज्म के मरीज चिड़चिड़े हो जाते हैं. वे नॉर्मल लोगों की तरह काम करने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन हर बार सफल नहीं हो पाते. इसके साथ ही स्पीच डिसेबिलिटी की वजह से भी लोगों की समस्याएं बढ़ जाती हैं.

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ऑटिस्टिक एडल्ट्स के सामने आने वाली चुनौतियां

– किसी भी चीज को पढ़ने में परेशानी होना.
– एक नॉर्मल बातचीत में भी भाग नहीं लेना.
– लोगों के चेहरे के भाव और बॉडी लैंग्वेज को ना समझ पाना.
– रोबोट की तरह एक ही पैटर्न में बात करना.
– खुद के कुछ ऐसे शब्द गढ़ लेना, जिन्हें किसी दूसरे को समझने में परेशानी हो.
– किसे से बात करते समय आंख से आंख न मिला पाना.
– किसी का भी करीबी दोस्त बनाने में परेशानी होना.
– छोटी-छोटी बातों पर दुखी हो जाना.
– अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल में न रख पाना.
– शांत जगहों पर शोर मचाना, अजीब आवाजें निकालकर.

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