योगी मंत्रिमंडल: कानपुर-लखीमपुर खीरी समेत इन जिलों से कैबिनेट में नहीं मिली किसी को एंट्री, जानें इसके पीछे की कहानी


योगी सरकार के नए मंत्रिमंडल में जातीय व सामाजिक समीकरण साधने में मशक्कत तो खूब हुई लेकिन तमाम असंतुलन भी उभर आए हैं। देवीपाटन व बस्ती मंडल के सात जिलों से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में हिस्सा नहीं मिल सका। इसी तरह कई ऐसे जिलों से एक भी मंत्री नहीं बने, जहां मतदाताओं ने पार्टी की झोली में सभी सीटें जिताकर क्लीन स्वीप कराया था। दूसरी ओर कई जिलों से कई विधायकों की लॉटरी खुल गई। ऐसे तमाम जिलों के भाजपा कार्यकर्ताओं में मायूसी है। प्रदेश मंत्रिमंडल की अधिकतम संख्या 60 ही हो सकती है। मुख्यमंत्री सहित 53 मंत्रियों के जरिए सभी 75 जिलों की भागीदारी संभव नहीं हो सकती है। ऐसे में चर्चा का विषय है कि सभी सीटें जिताने वाले कई जिलों की भागीदारी मंत्रिमंडल में आखिर क्यों नहीं हुई। देवीपाटन मंडल में विधानसभा की 20 सीटे हैं। इनमें से भाजपा ने 16 सीटें जीती। गोंडा की सात में से सभी सात सीटें मतदाताओं ने भाजपा के झोली में डाल दी। मगर, मंत्रिमंडल में पूरे मंडल से एक भी सदस्य रणनीतिकारों की कसौटी पर खरा नहीं उतरा। 

पिछले मंत्रिमंडल में देवीपाटन मंडल से पिछ़ड़ा व दलित वर्ग से तीन सदस्य थे। यही हाल बस्ती मंडल का रहा। इस मंडल में सीटें पहले से कम हुई हैं। पर, सभी जिलों में सदस्य जीते हैं। लेकिन, पूरे मंडल से प्रतिनिधित्व शून्य रहा। पिछली बार यहां से दो मंत्री थे।

गौर करने वाली बात ये है कि इन दोनों ही मंडलों से केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी कोई हिस्सेदारी नहीं है। इन दोनों ही मंडलों के सामाजिक समीकरण पर आगे इसका असर पड़ सकता है। तमाम भाजपा कार्यकर्ताओं में इस निर्णय से मायूसी है। सबसे चौंकाने वाली स्थिति कानपुर शहर व लखीमपुर खीरी की रही।

कानपुर शहर कभी प्रदेश का वाणिज्यिक केंद्र हुआ करता था। यहां के मतदाताओं ने 10 में से सात सीटें भाजपा को जिताई। लखीमपुर खीरी में केंद्रीय मंत्री के बेटे की गाड़ी से किसानों के कुचलने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बावजूद जिले के मतदाताओं ने सभी आठ की आठ सीटें पार्टी को जिता दी। 

 

मगर, रणनीतिकारों को इन दोनों ही जिलों में कोई भी ऐसा सदस्य नहीं दिखा, जिसे मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सके। इसी तरह उन्नाव ने सभी 6 में से 6 व कुशीनगर ने 5 में से 5 सीटें भाजपा गठबंधन की झोली में डाली। मगर, इन जिलों को भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल सका।



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