‘खोसला का घोसला’ (Khosla Ka Ghosla) कॉमेडी ड्रामा से भरपूर मनोरंजन करने वाली एक ऐसी फिल्म है जिसने बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड हासिल किया था. आपको जानकर हैरानी होगी इस फिल्म का कोई खरीददार ही नहीं मिल रहा था. फिल्म बनने के लगभग 2 साल यूटीवी मोशन पिक्चर्स आगे आया और फिल्म के डिस्ट्रीब्यूशन का जिम्मा संभाला. अगर समय पर डिस्ट्रीब्यूशन हो गया होता तो आज हम फिल्म के 16 साल नहीं बल्कि 18 साल पूरे होने का जश्न मना रहे होते. दिबाकर बनर्जी (Dibakar Banerjee) के निर्देशन में बनी फिल्म 22 सितंबर 2006 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म में दिग्गज कलाकारों की फौज थी. रणवीर शौरी (Ranvir Shorey), अनुपम खेर (Anupam Kher), बोमन ईरानी (Boman Irani), किरण जुनेजा (Kiran Juneja), विनय पाठक (Vinay Pathak), तारा शर्मा (Tara Sharma), प्रवीन डबास (Pravin Dabas), नवीन निश्चल (Navin Nischol) जैसे कलाकारों से लैस फिल्म को लेकर बताते हैं कुछ दिलचस्प किस्सा.
आजकल हिंदी फिल्मों पर अक्सर आरोप लगता रहता है कि साउथ फिल्मों की रीमेक बनाते हैं अपना ओरिजिनल कॉन्टेंट नहीं होता है, तो बता दें कि 16 साल पहले रिलीज हुई फिल्म ’खोसला का घोसला’ की अपार सफलता को देखते हुए साउथ इंडस्ट्री में रीमेक बनाया गया था. हालांकि ये अलग बात है कि फिल्म की कहानी शानदार थी, एक्टर्स ने बढ़िया दमखम दिखाया था, फिल्मांकन बेहतरीन हुआ था बावजूद इसके कोई खरीददार नहीं था.
जयदीप साहनी की सच्ची कहानी ‘खोसला का घोसला’
दरअसल, दिबाकर बनर्जी ‘खोसला का घोसला’ फिल्म बनाने से पहले एडवर्टाइजिंग फिल्ममेकर थे, वह एक फिल्म बनाना चाहते थे जिसमें दिल्ली को दिखाया जा सके. लेखक जयदीप साहनी ने स्क्रिप्ट तैयार की और इस पर दिबाकर फिल्म बनाने के लिए तैयार हो गए. कहते हैं कि जयदीप ने इसकी स्क्रिप्टिंग दिल लगाकर लिखी थी क्योंकि फिल्म मे दिखाई गई घटना वह खुद झेल चुके थे. फिल्म की कहानी एक ऐसे मिडिल क्लास शख्स की है जो जमीन हथियाने वाले बिल्डर के जाल में फंस जाता है. कुछ ऐसा ही जयदीप की फैमिली के साथ घट चुका था. अपने जीवन से जुड़ी इस घटना ने जयदीप पर इतना असर डाला कि करीब डेढ़ साल लगाकार जयदीप ने इतनी स्क्रिप्ट लिख डाली.
डिस्ट्रीब्यूटर अपनी डिमांड के साथ आ रहे थे
‘खोसला का घोसला’ फिल्म 2003 में फ्लोर पर चली गई थी. कम बजट वाली इस फिल्म को 45 दिन में शूट किया गया था. सबसे बड़ी चुनौती इस फिल्म को रिलीज करने की थी. पहले इंवेस्टर पद्मालया टेलीफिल्म्स ने अपना हाथ खींच लिया. दूसरे फाइनेंसर जो सामने आए वो शर्तों के साथ आए. कोई किसी एक्टर को लेना चाहता था तो कोई आइटम सॉन्ग और एक्शन सीक्वेंस रखने की डिमांड कर रहा था. लेकिन दिबाकर और जयदीप ने फिल्म की मूल कहानी से किसी तरह का समझौता नहीं किया.
16 साल पहले रिलीज हुई फिल्म ने डबल कमाई की
कॉटेंट तो किंग होता है लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर भी भगवान से कम नहीं होते हैं, इनकी वजह से फिल्म रिलीज होने में काफी वक्त लग गया. एक बार तो ऐसा लगा कि ये फिल्म रिलीज ही नहीं हो पाएगी और फिल्म से जुड़े लोग अपसेट हो गए थे. ऐसे में जब यूटीवी मोशन पिक्चर्स ने डिस्ट्रीब्यूट करने का फैसला लिया तो सबकी जान में जान आई. यह फिल्म जब रिलीज हुई तो बजट से डबल मुनाफा कमाने वाली फिल्म बन गई, तारीफ मिली वो अलग.
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‘खोसला का घोसला’ को अवॉर्ड मिला और साउथ इंडस्ट्री ने रीमेक बनाया
इस फिल्म को 2006 में बेस्ट फीचर फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था. कारा फिल्म फेस्टिवल में ‘खोसला का घोसला’ की स्क्रीनिंग की गई थी. यही नहीं इस फिल्म को साल 2008 में तमिल और कन्नड़ भाषा में भी बनाई गई.
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Tags: Anupam kher, Entertainment Special, Ranvir Shorey
FIRST PUBLISHED : September 22, 2022, 13:33 IST