21 Years of Gadar: इस सच्ची घटना पर आधारित है ‘गदर एक प्रेमकथा’, पढ़िए फिल्म से जुड़ी दिलचस्प अनसुनी कहानियां


‘गदर एक प्रेमकथा’ एक सच्ची कहानी का फिल्मी रूपांतरण है। ये फिल्म आधारित है द्वितीय विश्व युद्द के दौरान बर्मा (अब म्यांमार) में ब्रिटिश सेना में नौकरी करने वाले फौजी बूटा सिंह की प्रेम कहानी पर। बंटवारे के वक्त जब सांप्रदायिक दंगे शुरू हुए तो उसने एक मुस्लिम लड़की की जान बचाई थी। दोनों में प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली। बाद में लड़की की शिनाख्त होने पर उसे पाकिस्तान भेज दिया गया। बूटा सिंह अपनी पत्नी को लाने पाकिस्तान गए। लड़की पर घर वालों का दबाव पड़ा तो उसने वापस भारत आने से मना कर दिया। कहते हैं कि बूटा सिंह ने पाकिस्तान में ही एक चलती ट्रेन के आगे छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली।

 

सनी देओल ने रिलीज से पहले सुनाई कहानी

फिल्म ‘गदर एक प्रेमकथा’ रिलीज होने से पहले सनी देओल की बहन विजेयता के दिल्ली में सैनिक फॉर्म स्थित घर पर उनसे मेरी लंबी मुलाकात हुई। देर तक हम लोगों ने फिल्म ‘गदर एक प्रेमकथा’ को लेकर बातें की। सनी बोले, “आपके मथुरा के अनिल शर्मा ही फिल्म के निर्देशक हैं।” फिल्म की कहानी की उन्होंने संक्षेप में सुनाई। फिल्म ‘गदर एक प्रेमकथा’ का विचार सबसे पहले इसके लेखक शक्तिमान को आया। शक्तिमान ने ही बूटा सिंह की प्रेमकथा अनिल शर्मा को सुनाई। अनिल शर्मा उन दिनों कोई ऐसी कहानी तलाश रहे थे जिसमें देशप्रेम तो हो लेकिन वह मनोज कुमार जैसी फिल्म न हो। कारगिल युद्ध के चलते देश में पाकिस्तान के खिलाफ लोगों में नफरत फैल ही रही थी और ऐसे में अनिल शर्मा को मिल गई ये कहानी।

गोविंदा बनने वाले थे तारा सिंह

ये उन दिनों की बात है जब धर्मेंद्र को लेकर बनी अनिल शर्मा की ‘हुकूमत’ की जबर्दस्त कामयाबी ने अनिल शर्मा को निर्देशकों की अगली कतार में ला बिठाया था। इसके बाद अनिल शर्मा ने ‘एलान ए जंग’, ‘फरिश्ते’, ‘तहलका’ और ‘पुलिस वाला गुंडा’ जैसी फिल्में बनाईं। लेकिन ‘फरिश्ते’ के बाद अनिल शर्मा और धर्मेंद्र की जोड़ी का असर कम होने लगा था। इसके बाद अनिल शर्मा ने जीतेंद्र के साथ फिल्म ‘मां’ बनाई और गोविंदा के साथ ‘महाराजा’। गोविंदा को ही अनिल शर्मा ने सबसे पहले फिल्म ‘गदर एक प्रेमकथा’ की कहानी सुनाई थी। गोविंदा को पसंद भी बहुत आई। लेकिन, फिल्म में पैसा लगाने वाली कंपनी को गोविंदा इस फिल्म की कहानी के हिसाब से फिट नहीं लगे। फिर धर्मेंद्र के कहने पर सनी देओल ने ये कहानी सुनी।

सनी देओल ने बदला फिल्म क्लाइमेक्स

सनी देओल बताते हैं, “ये फिल्म लेकर मेरे पास नितिन केनी, अनिल शर्मा, कमल मुकुट और शक्तिमान आए थे। कहानी मुझे अच्छी लगी और मैंने तुरंत ही इसके लिए हां भी कर दी। लेकिन उन दिनों मेरे पास फिल्में इतनी थीं कि इस फिल्म के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल हो रहा था, लेकिन फिर किसी तरह ये फिल्म बनी और बहुत अच्छी फिल्म बनी।” कम लोगों को ही पता होगा कि फिल्म के राइटर शक्तिमान और निर्देशक अनिल शर्मा ने फिल्म ‘गदर एक प्रेमकथा’ के अंत में बूटा सिंह की ओरीजनल कहानी को 180 डिग्री घुमा दिया था यानी कि फिल्म की स्क्रिप्ट के हिसाब से फिल्म की हीरोइन सकीना को मर जाना था। लेकिन, फिल्म की शूटिंग के वक्त सनी देओल ने इस फिल्म का क्लाइमेक्स बदल दिया।

एक चुटकी सिंदूर की कीमत

सनी देओल बताते हैं, “फिल्म ‘गदर एक प्रेमकथा’ के मेकर्स की तिजोरियां भर गई थीं, इस फिल्म से। फिल्म इतनी बड़ी हिट साबित हुई कि खुद इसके मेकर्स को इसकी वजह समझ नहीं आ रही थी। लेकिन मेरे लिए फिल्म का इतना ज्यादा कामयाब होना दूसरी तरह की दिक्कतें लेकर आया। कई साल तक मेरे पास ऐसे फिल्मों के ऑफर्स आते रहे जिसमें हीरो का किरदार तारा सिंह जैसा ही या उसके आसपास का था। लोगों ने मेरा जो रौद्र रूप परदे पर देखा, उसने मेरी एक अलग छवि बना ली। इस छवि से बाहर निकलने में मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी, लेकिन आखिरकार मैंने ये करने में भी कामयाबी पाई।” फिल्म ‘गदर एक प्रेमकथा’ का सबसे इमोशनल सीन भी एक लंबे एक्शन सीक्वेंस के बाद आता है जब तारा सिंह तलवार से अपना हाथ चीरकर सकीना के मांग में सिंदूर भर देता है।



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