50 Years of Bawarchi: जीने की राह दिखाती ‘बावर्ची’ के 50 साल पूरे, आप तो नहीं भूले जिंदगी का ये सबसे कीमती शब्द


Movie Review

बावर्ची

कलाकार

राजेश खन्ना
,
जया भादुड़ी
,
ए के हंगल
,
काली बनर्जी
,
उषा किरण
,
दुर्गा खोटे
,
हरींद्रनाथ चट्टोपाध्याय
,
असरानी
,
मास्टर राजू
और
पेंटल

लेखक

तपन सिन्हा
,
ऋषिकेश मुखर्जी
और
गुलजार

निर्देशक

ऋषिकेश मुखर्जी

निर्माता

एन सी सिप्पी
,
रोमू एन सिप्पी
और
ऋषिकेश मुखर्जी

गीत-संगीत:

मदन मोहन, कैफी आजमी

रिलीज:

7 जुलाई 1972

इन दिनों ओटीटी और सिनेमा के लिए मनोरंजन सामग्री बनाने वालों में ‘हिंदी हार्टलैंड’ की कहानियों की जबर्दस्त मांग है और दिक्कत ये है कि मुंबई के अंधेरी, जुहू, सांताक्रूज और बांद्रा में बसे नए फिल्मकारों को पता ही नहीं कि ये ‘हार्टलैंड’ कोई जगह नहीं बल्कि आम आदमी का दिल है। ये वही आम आदमी है जो अब भी रिश्तों के लिए रोता है। पिता से दूर है और बच्चों के लिए परेशान है। पत्नी की कहने पर घरवालों से भिड़ने को तैयार है और घर की बिटिया को पढ़ाने के लिए आने वाले नौजवान को शक की निगाह से देखता है। यही आम आदमी जब दिल खोलकर सिनेमा देखता है तो बॉक्स ऑफिस पर पैसों की बरसात होती है। और, ये सब समझने के लिए जरूरत है हिंदी सिनेमा की उन फिल्मों को फिर से देखने की जो अपने जमाने की सुपरहिट फिल्में कहलाती हैं। बांग्ला फिल्म ‘गोल्पो होलेओ शोत्यि’ की रीमेक के तौर पर बनी ऐसी ही एक हिंदी फिल्म है ‘बावर्ची’। ये फिल्म 7 जुलाई 1972 को पहली बार बड़े परदे पर उतरी।



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