कोरोना : 90 फीसदी रोगी खुद को नहीं मान रहे असुरक्षित, मौत का खतरा ज्यादा, लोगों की ‘लापरवाही’ पर विशेषज्ञ चिंतित


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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दो साल बाद भी लोगों के लापरवाह रवैये को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। 70 दिन बाद रविवार को एहतियाती खुराक लगाने का आंकड़ा चार करोड़ के पार हुआ। अब तक 4,00,71,393 लोग एहतियाती खुराक ले चुके हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के टीकाकरण को लेकर गठित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि देश के 90 फीसदी रोगी अभी भी खुद को असुरक्षित नहीं मान रहे हैं।

इनमें से अधिकांश को यह तक नहीं पता कि वे किसी न किसी मर्ज से ग्रस्त हैं। केवल 10 फीसदी लोग ही अपनी परेशानी और संक्रमण के जोखिम को समझते हुए एहतियाती खुराक ले रहे हैं और कोविड सतर्कता नियमों का पालन कर रहे हैं। डॉ. अरोड़ा ने कहा, कोरोना संक्रमण बार बार बढ़ता और घटता रहेगा।

यह महामारी का दौर है और फिलहाल वर्तमान ही इसका भविष्य है। इसलिए लोगों को अपने व्यवहार को नहीं बदलना चाहिए और संक्रमण के प्रति गंभीर होने की जरूरत है। सरकार की एक अन्य समिति एम्पॉवर्ड ग्रुप के सदस्य और नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, बिना किसी देरी किए एहतियाती खुराक लेना चाहिए।

घूमने-फिरने की आजादी बड़ा कारण
डॉ. अरोड़ा के अनुसार, इन दिनों पर्यटन स्थलों से काफी गंभीर तस्वीरें सामने आ रही हैं। हजारों की संख्या में लोग यहां अपने परिवारों के साथ पहुंच रहे हैं और ज्यादातर कोविड सतर्कता नियमों का पालन नहीं कर रहे। यहां भी चेहरे पर मास्क लगाने, भीड़ से दूरी रखने और एहतियाती खुराक लेने के बाद घर से बाहर निकलने वाले कुछ ही हैं। घूमने फिरने की आजादी संक्रमण उछाल का सबसे बड़ा कारण है।

युवा सबसे कम गंभीर
कोविन वेबसाइट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के 15% बुजुर्ग अब तक एहतियाती खुराक हासिल कर चुके हैं लेकिन 18 से 59 वर्ष के बीच खासतौर पर 40 से कम आयु वर्ग वालों की संख्या अब तक एक फीसदी भी नहीं पहुंची है। इतना ही नहीं अब तक 50 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर तीसरी खुराक ले पाए हैं। जबकि इनमें से अधिकांश का दूसरी खुराक का टीकाकरण पिछले वर्ष मई से जून माह तक पूरा हो गया था।

स्मृति ईरानी संक्रमित
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी कोरोना संक्रमित हो गई हैं। उन्होंने इसकी जानकारी खुद ट्वीट कर दी। उन्होंने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।  पिछले तीन हफ्ते से देश में हर दिन बढ़ रहे कोरोना संक्रमण का अब गंभीर असर दिखने लगा है। बीते 18 दिन में 1.33 लाख लोग कोरोना की चपेट में आए हैं। वहीं, 214 लोगों की मौत हुई है।  पिछले 24 घंटे में 12,899 नए मामले मिले हैं, 15 की मौत हो गई।

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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दो साल बाद भी लोगों के लापरवाह रवैये को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। 70 दिन बाद रविवार को एहतियाती खुराक लगाने का आंकड़ा चार करोड़ के पार हुआ। अब तक 4,00,71,393 लोग एहतियाती खुराक ले चुके हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के टीकाकरण को लेकर गठित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि देश के 90 फीसदी रोगी अभी भी खुद को असुरक्षित नहीं मान रहे हैं।

इनमें से अधिकांश को यह तक नहीं पता कि वे किसी न किसी मर्ज से ग्रस्त हैं। केवल 10 फीसदी लोग ही अपनी परेशानी और संक्रमण के जोखिम को समझते हुए एहतियाती खुराक ले रहे हैं और कोविड सतर्कता नियमों का पालन कर रहे हैं। डॉ. अरोड़ा ने कहा, कोरोना संक्रमण बार बार बढ़ता और घटता रहेगा।

यह महामारी का दौर है और फिलहाल वर्तमान ही इसका भविष्य है। इसलिए लोगों को अपने व्यवहार को नहीं बदलना चाहिए और संक्रमण के प्रति गंभीर होने की जरूरत है। सरकार की एक अन्य समिति एम्पॉवर्ड ग्रुप के सदस्य और नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, बिना किसी देरी किए एहतियाती खुराक लेना चाहिए।

घूमने-फिरने की आजादी बड़ा कारण

डॉ. अरोड़ा के अनुसार, इन दिनों पर्यटन स्थलों से काफी गंभीर तस्वीरें सामने आ रही हैं। हजारों की संख्या में लोग यहां अपने परिवारों के साथ पहुंच रहे हैं और ज्यादातर कोविड सतर्कता नियमों का पालन नहीं कर रहे। यहां भी चेहरे पर मास्क लगाने, भीड़ से दूरी रखने और एहतियाती खुराक लेने के बाद घर से बाहर निकलने वाले कुछ ही हैं। घूमने फिरने की आजादी संक्रमण उछाल का सबसे बड़ा कारण है।



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