ABG Shipyard: राहुल बोले- जनता के पैसे की ऐसी लूट कभी नहीं हुई, भाजपा ने कहा-  हमने चोरी पकड़ी


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Sun, 13 Feb 2022 08:42 PM IST

सार

कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर ‘लूटो और भागो’ घोटाला करने का आरोप लगाया। कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में कहा, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललित मोदी, विजय माल्या, जतिन मेहता, चेतन एवं नितिन संदेसरा और कई अन्य घोटालेबाज बैंकों को चूना लगाकर देश से भाग गए। एबीजी शिपयार्ड के सीएमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल इस लिस्ट के नए नगीने हैं।

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एबीजी शिपयार्ड के 22,842 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले पर मोदी सरकार पर विपक्ष का हमला बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, मोदी काल में अबतक 5,35000 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड हो चुके हैं। 75 सालों में जनता के पैसे की ऐसी धांधली कभी नहीं हुई। लूट और धोखे के ये दिन सिर्फ मोदी के मित्रों के लिए अच्छे दिन हैं। 

इस बीच भाजपा ने एबीजी बैंक धोखाधड़ी का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया। पार्टी प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने कहा कि एबीजी शिपयार्ड को लोन यूपीए सरकार में दिया गया था जबकि मोदी सरकार ने इस चोरी को पकड़ा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सरकार पर हमला ऐसा ही है जैसे चोर, पुलिस को अपराध का जिम्मेदार ठहरा रहा हो। सारा पैसा 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले ये पैसे दिए गए और एनपीए भी मोदी सरकार बनने से पहले ही हो गए थे।

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर ‘लूटो और भागो’ घोटाला करने का आरोप लगाया। कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में कहा, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललित मोदी, विजय माल्या, जतिन मेहता, चेतन एवं नितिन संदेसरा और कई अन्य घोटालेबाज बैंकों को चूना लगाकर देश से भाग गए। एबीजी शिपयार्ड के सीएमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल इस लिस्ट के नए नगीने हैं।

मामला दर्ज करने में 5 साल क्यों?

  • सुरजेवाला ने कहा, एबीजी शिपयार्ड ओर उसके प्रमोटरों द्वारा की गई भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी में मोदी सरकार में सत्ता शीर्ष पर बैठे लोगों का सहअपराध, सांठ-गांठ और मिलीभगत साफ दिखता है। सुरजेवाला ने सवाल उठाया, आखिर दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद मामला मोदी सरकार को एफआईआर दर्ज करने में 5 साल का समय क्यों लगा? 
  • उन्होंने कहा, नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) में एबीजी शिपयार्ड की दिवालिया प्रक्रिया एक अगस्त 2017 में शुरू हुई थी और कांग्रेस ने 15 फरवरी 2018 को इस घोटाले के बारे में चेतावनी दी थी। स्टेट बैंक ने कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ 8 नवंबर 2019 और 20 अगस्त 2020 को शिकायत दर्ज कराई। फिर एफआईआर में 5 साल क्यों लगा?

विस्तार

एबीजी शिपयार्ड के 22,842 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले पर मोदी सरकार पर विपक्ष का हमला बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, मोदी काल में अबतक 5,35000 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड हो चुके हैं। 75 सालों में जनता के पैसे की ऐसी धांधली कभी नहीं हुई। लूट और धोखे के ये दिन सिर्फ मोदी के मित्रों के लिए अच्छे दिन हैं। 

इस बीच भाजपा ने एबीजी बैंक धोखाधड़ी का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया। पार्टी प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने कहा कि एबीजी शिपयार्ड को लोन यूपीए सरकार में दिया गया था जबकि मोदी सरकार ने इस चोरी को पकड़ा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सरकार पर हमला ऐसा ही है जैसे चोर, पुलिस को अपराध का जिम्मेदार ठहरा रहा हो। सारा पैसा 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले ये पैसे दिए गए और एनपीए भी मोदी सरकार बनने से पहले ही हो गए थे।

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर ‘लूटो और भागो’ घोटाला करने का आरोप लगाया। कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में कहा, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललित मोदी, विजय माल्या, जतिन मेहता, चेतन एवं नितिन संदेसरा और कई अन्य घोटालेबाज बैंकों को चूना लगाकर देश से भाग गए। एबीजी शिपयार्ड के सीएमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल इस लिस्ट के नए नगीने हैं।

मामला दर्ज करने में 5 साल क्यों?

  • सुरजेवाला ने कहा, एबीजी शिपयार्ड ओर उसके प्रमोटरों द्वारा की गई भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी में मोदी सरकार में सत्ता शीर्ष पर बैठे लोगों का सहअपराध, सांठ-गांठ और मिलीभगत साफ दिखता है। सुरजेवाला ने सवाल उठाया, आखिर दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद मामला मोदी सरकार को एफआईआर दर्ज करने में 5 साल का समय क्यों लगा? 
  • उन्होंने कहा, नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) में एबीजी शिपयार्ड की दिवालिया प्रक्रिया एक अगस्त 2017 में शुरू हुई थी और कांग्रेस ने 15 फरवरी 2018 को इस घोटाले के बारे में चेतावनी दी थी। स्टेट बैंक ने कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ 8 नवंबर 2019 और 20 अगस्त 2020 को शिकायत दर्ज कराई। फिर एफआईआर में 5 साल क्यों लगा?



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