पीजीआई के चिकित्सकों की सलाह: गुलाबी गालों पर न इतराएं… रोजेशिया हो सकता है, डॉक्टर को तुरंत दिखाएं


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Mon, 18 Apr 2022 12:42 AM IST

सार

डॉ. विकास कहते हैं जो चीजें खून के प्रवाह को चेहरे की तरफ बढ़ाती हैं, उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। खून का प्रवाह करने वाली वाहनियों के आसपास होने वाले कोलेजन और इलेस्टीन फाइबर के नष्ट होने से यह समस्या शुरू होती है।

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खूबसूरती की पहली झलक देने वाले गुलाबी गालों की रंगत अब बीमारी की वजह बनने लगी है। तापमान में अचानक आई तेजी से रोजेशिया यानी लाल गाल वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। त्वचा रोग विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बनी रहने वाली लालिमा चेहरे के लिए खतरनाक साबित हो सकती है इसलिए गाल लाल होने पर उसे खूबसूरती मानकर खुश होने की बजाय तत्काल विशेषज्ञ की सलाह लें। समय पर इलाज न मिलने से इस समस्या को रोकना मुश्किल होगा। 

पीजीआई चंडीगढ़ के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुन नारंग का कहना है कि रोजेशिया होने के कई कारण हैं लेकिन गर्मी और धूप के कारण यह परेशानी तेजी से बढ़ती है। पीजीआई की स्किन ओपीडी में इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वहीं, पंचकूला स्थित एक अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास शर्मा का कहना है कि शोध से यह बात साबित हो चुका है कि यह एक मेडिकल डिस्आर्डर है जो शुरुआती दौर में हल्के लालिमा व थोड़ी जलन के साथ शुरू होता है। 

उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे मर्ज बढ़ता है मरीज को गर्मी में, किचन में काम करने में, कुछ गर्म और तीखा खाने पर या तनाव होने पर तेज जलन और गाढ़ा लालपन होने लगता है। डॉ. विकास कहते हैं जो चीजें खून के प्रवाह को चेहरे की तरफ बढ़ाती हैं, उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। खून का प्रवाह करने वाली वाहनियों के आसपास होने वाले कोलेजन और इलेस्टीन फाइबर के नष्ट होने से यह समस्या शुरू होती है। वहीं, जीएमएसएच-16 के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजीत पाल का कहना है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही इसके मरीज बढ़ने लगे हैं। यह 20 साल से 50 साल की उम्र वालों में ज्यादा होता है।

अलग-अलग तरह के रोजेशिया

  • एरीथेमैटोटेलांगेस्टाटिक रोजेशिया में सामान्य लालिमा के साथ चेहरे पर नशों का उभार दिखाई देता है
  • पॉपुलोपोस्टलर रोजेशिया में चेहरे पर मुंहासे हो सकते हैं जो लालिमा लिए होते हैं
  • राइनोफायमा रोजेशिया बहुत कम होता है। इसमें नाक की त्वचा मोटी और लाल हो जाती है  
  • ओक्यूलर रोजेशिया होने पर आंखों के आसपास त्वचा लाल हो जाती है और आंखों में जलन होती है

इन वजहों से हो सकता है रोजेशिया

  • ल्यूपस(ऑटोइम्यून बीमारी) और थायराइड के कारण  
  • गर्म चाय और कॉफी का अधिक सेवन करना
  • अधिक मसालेदार भोजन का सेवन करना
  • टमाटर, दालचीनी और चॉकलेट के अधिक सेवन से क्योंकि इन चीजों में सिनामाल्डिहाइड होता है जो इसे बढ़ाता है 
  • आंतों में मौजूद रहने वाले हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया से  
  • ज्यादा गोरे रंग और सुनहरे बालों वाले लोगों में भी रोजेशिया का खतरा अधिक होता है
  • धुएं के अधिक संपर्क में रहने वाले लोगों को भी रोजेशिया हो सकता है
  • अधिक एक्सरसाइज करने से भी आप इसके शिकार हो सकते हैं
  • अधिक गर्म पानी से नहाने पर भी यह बीमारी हो सकती है
ब्यूटी एक्सपर्ट की सलाह
ब्यूटी एक्सपर्ट नीति भारती कहती हैं कि रोजेशिया वाले व्यक्ति अपनी त्वचा पर किसी भी तरह के स्किन केयर प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल और मेकअप से पहले उसे अपने स्किन टाइप पर यूज कर लें ताकि नुकसान न हो। खुजली और स्क्रबिंग से बचें। चेहरे को एक्सफोलिएट भी न करें। इससे आपकी त्वचा को नुकसान हो सकता है। 

त्वचा पर फ्रेगरेंस फ्री और मिनरल युक्त मेकअप का ही इस्तेमाल करें। बहुत ज्यादा जरूरत महसूस होने पर ही मेकअप करें। कोशिश करें कि त्वचा हमेशा मुक्त रहे। नीति का कहना है कि एलोवेरा एक ऐसा इंग्रीडिएंट है जो हर तरह की त्वचा के लिए लाभदायक होता है। एलोवेरा एक्सट्रैक्ट को त्वचा पर लगाएं और कुछ देर बाद ठंडे पानी से धो लें। गर्मी के मौसम में 24 घंटे में बर्फ से 3 बार 5 मिनट तक एलोवेरा जेल लगाकर मसाज करने से काफी आराम मिलेगा। हर्बल सनस्क्रीन का उपयोग करें। 

विस्तार

खूबसूरती की पहली झलक देने वाले गुलाबी गालों की रंगत अब बीमारी की वजह बनने लगी है। तापमान में अचानक आई तेजी से रोजेशिया यानी लाल गाल वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। त्वचा रोग विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बनी रहने वाली लालिमा चेहरे के लिए खतरनाक साबित हो सकती है इसलिए गाल लाल होने पर उसे खूबसूरती मानकर खुश होने की बजाय तत्काल विशेषज्ञ की सलाह लें। समय पर इलाज न मिलने से इस समस्या को रोकना मुश्किल होगा। 

पीजीआई चंडीगढ़ के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुन नारंग का कहना है कि रोजेशिया होने के कई कारण हैं लेकिन गर्मी और धूप के कारण यह परेशानी तेजी से बढ़ती है। पीजीआई की स्किन ओपीडी में इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वहीं, पंचकूला स्थित एक अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास शर्मा का कहना है कि शोध से यह बात साबित हो चुका है कि यह एक मेडिकल डिस्आर्डर है जो शुरुआती दौर में हल्के लालिमा व थोड़ी जलन के साथ शुरू होता है। 

उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे मर्ज बढ़ता है मरीज को गर्मी में, किचन में काम करने में, कुछ गर्म और तीखा खाने पर या तनाव होने पर तेज जलन और गाढ़ा लालपन होने लगता है। डॉ. विकास कहते हैं जो चीजें खून के प्रवाह को चेहरे की तरफ बढ़ाती हैं, उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। खून का प्रवाह करने वाली वाहनियों के आसपास होने वाले कोलेजन और इलेस्टीन फाइबर के नष्ट होने से यह समस्या शुरू होती है। वहीं, जीएमएसएच-16 के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजीत पाल का कहना है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही इसके मरीज बढ़ने लगे हैं। यह 20 साल से 50 साल की उम्र वालों में ज्यादा होता है।



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