परमजीत की प्रेरक कहानी: जिस बैंक में थे सिक्योरिटी गार्ड, उसी शाखा में बने मैनेजर, 21 साल देश सेवा भी की


संवाद न्यूज एजेंसी, जगरांव (पंजाब)
Published by: ajay kumar
Updated Wed, 06 Apr 2022 05:03 PM IST

सार

जब उन्होंने बैंक में बतौर सिक्योरिटी गार्ड अपना सफर शुरू किया था तो उनका वेतन 6800 रुपये प्रति महीना था लेकिन अब शाखा प्रबंधक के तौर उनका वेतन 80 हजार रुपये प्रतिमाह से ज्यादा है।

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सिक्योरिटी गार्ड के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाले परमजीत सिंह मठारू अब बैंक मैनेजर बन गए। खास बात यह है कि उनकी नियुक्ति उसी बैंक में मैनेजर के पद पर हुई है जिस बैंक में वह सिक्योरिटी गार्ड थे। उनकी तैनाती गांव अखाड़ा के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में हुई है।

परमजीत सिंह मठारू ने बताया कि 13 वर्ष बाद वह जिस बैंक की शाखा में बतौर मैनेजर नियुक्त हुए हैं, इसी शाखा में सिक्योरिटी गार्ड की। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव के बारे में बताया कि वर्ष 1982 में उन्होंने दसवीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद सेना में भर्ती होने का मन बनाया और 21 वर्ष तक सेना में बतौर हवलदार देश सेवा की और वर्ष 2003 में सेवानिवृत्त हुए थे। 

उन्होंने बताया कि सेवामुक्त होने के बाद उन्हें पेंशन मिलती थी। पेंशन से मिलने वाले पैसों से परिवार का गुजारा तो ठीक ठाक हो सकता था लेकिन अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और उनको उच्च शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने पांच वर्ष तक टैक्सी चलाने का काम किया। इससे होने वाली कमाई से परिवार के हालात में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। 

इसके बाद उन्होंने बैंक में नौकरी करने की सोची और वर्ष 2008 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की गांव अखाड़ा स्थित शाखा में बतौर सिक्योरिटी गार्ड भर्ती होकर नौकरी करना शुरू किया था। उन्होंने बताया कि बतौर सिक्योरिटी गार्ड भर्ती होने के बावजूद वह रोजाना बैंक कर्मचारियों के साथ काम करते थे और उनका हाथ बंटाने लगे। 

सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के दौरान ही बैंक की तैयारी करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि दो वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद जब उन्होंने बैंक की परीक्षा दी। पास होने पर उन्हें क्लर्क के तौर पर पदोन्नति दी गई। इसके बाद उन्होंने चार बार शाखा प्रबंधक के लिए पीओ की परीक्षा दी। वर्ष 2021 में फिर परीक्षा दी। इस बार वह अपनी मेहनत और लगन के बलबूते सफल हासिल की और 31 मार्च 2022 को बैंक अधिकारियों ने उन्हें पदोन्नति दे दी। 

जब उन्होंने बैंक में बतौर सिक्योरिटी गार्ड अपना सफर शुरू किया था तो उनका वेतन 6800 रुपये प्रति महीना था लेकिन अब शाखा प्रबंधक के तौर उनका वेतन 80 हजार रुपये प्रतिमाह से ज्यादा है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अखाड़ा गांव स्थित शाखा मे काम करने वाले अन्य कर्मचारियों रमनदीप सिंह, संदीप, सुंदर मोहन, चरणप्रीत सिंह, जसवीर सिंह अखाड़ा, रविंदर सिंह राजा, जसप्रीत कौर, लछमण सुधार, परमिंदर कौर और जगजीत सिंह जग्गा ने कहा कि हम सभी को पमरजीत सिंह मठारू के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। इंसान मेहनत व लगन के बलबूते अपनी जिंदगी में हर मुकाम हासिल कर सकता है।

विस्तार

सिक्योरिटी गार्ड के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाले परमजीत सिंह मठारू अब बैंक मैनेजर बन गए। खास बात यह है कि उनकी नियुक्ति उसी बैंक में मैनेजर के पद पर हुई है जिस बैंक में वह सिक्योरिटी गार्ड थे। उनकी तैनाती गांव अखाड़ा के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में हुई है।

परमजीत सिंह मठारू ने बताया कि 13 वर्ष बाद वह जिस बैंक की शाखा में बतौर मैनेजर नियुक्त हुए हैं, इसी शाखा में सिक्योरिटी गार्ड की। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव के बारे में बताया कि वर्ष 1982 में उन्होंने दसवीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद सेना में भर्ती होने का मन बनाया और 21 वर्ष तक सेना में बतौर हवलदार देश सेवा की और वर्ष 2003 में सेवानिवृत्त हुए थे। 

उन्होंने बताया कि सेवामुक्त होने के बाद उन्हें पेंशन मिलती थी। पेंशन से मिलने वाले पैसों से परिवार का गुजारा तो ठीक ठाक हो सकता था लेकिन अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और उनको उच्च शिक्षा दिलाने के लिए उन्होंने पांच वर्ष तक टैक्सी चलाने का काम किया। इससे होने वाली कमाई से परिवार के हालात में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। 



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