Afghanistan Blast: काबुल में गुरुद्वारे पर फिर हमला, मुख्य द्वार पर बम विस्फोट की खबर


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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक बार फिर गुरुद्वारा करता पर हमला किया गया है।  गुरुद्वारे के मुख्य द्वार के पास एक बम विस्फोट हुआ है। हालांकि हिंदू और सिख समुदायों के सदस्यों के सुरक्षित होने की सूचना है। इंडियन वर्ल्ड फोर्म के चैयरमेन पुनीत सिंह चंडोक ने यह जानकारी दी। 

बता दें कि एक महीने पहले भी करता परवन गुरुद्वारा पर इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) के सदस्यों ने हमला किया था। इस हमले में दर्जनों सिखों और तालिबान सदस्यों के मारे जाने का दावा किया गया था। 

बता दें कि  अगस्त 2021 में तालिबान ने बीस वर्षों के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। सत्ता में तालिबान के आने के बाद से लगातार सिख समुदाय सहित अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक अफगानिस्तान में हिंसा का निशाना बन रहे हैं। 

तालिबान बार-बार सत्ता में आने के बाद से देश को सुरक्षित करने का दावा करता रहा है लेकिन बार-बार होने वाले आतंकी हमले न केवल उन दावों का खंडन करते हैं बल्कि आतंकवाद के फिर से उठने के संभावित जोखिम के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को  महत्व देते हैं। 

पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस तरह के हमलों से देश में आतंकवाद की एक नई लहर शुरू हो सकती है और छोटे समूहों को अंदरूनी सूत्रों का मौन समर्थन प्राप्त होगा। और उनका मानना है कि युद्धग्रस्त देश के पुनर्निर्माण में खुद को शामिल नहीं करने के पीछे अमेरिका और पश्चिम का प्राथमिक कारण यही रहा है।

पिछले साल जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था तब अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की संक्या केवल  600 के करीब थी। जो बचे हैं वे मुख्य रूप से सुन्नी कट्टरपंथी समूहों द्वारा लक्षित किए जाते रहे हैं। 

विस्तार

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक बार फिर गुरुद्वारा करता पर हमला किया गया है।  गुरुद्वारे के मुख्य द्वार के पास एक बम विस्फोट हुआ है। हालांकि हिंदू और सिख समुदायों के सदस्यों के सुरक्षित होने की सूचना है। इंडियन वर्ल्ड फोर्म के चैयरमेन पुनीत सिंह चंडोक ने यह जानकारी दी। 

बता दें कि एक महीने पहले भी करता परवन गुरुद्वारा पर इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) के सदस्यों ने हमला किया था। इस हमले में दर्जनों सिखों और तालिबान सदस्यों के मारे जाने का दावा किया गया था। 

बता दें कि  अगस्त 2021 में तालिबान ने बीस वर्षों के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। सत्ता में तालिबान के आने के बाद से लगातार सिख समुदाय सहित अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक अफगानिस्तान में हिंसा का निशाना बन रहे हैं। 

तालिबान बार-बार सत्ता में आने के बाद से देश को सुरक्षित करने का दावा करता रहा है लेकिन बार-बार होने वाले आतंकी हमले न केवल उन दावों का खंडन करते हैं बल्कि आतंकवाद के फिर से उठने के संभावित जोखिम के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को  महत्व देते हैं। 

पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस तरह के हमलों से देश में आतंकवाद की एक नई लहर शुरू हो सकती है और छोटे समूहों को अंदरूनी सूत्रों का मौन समर्थन प्राप्त होगा। और उनका मानना है कि युद्धग्रस्त देश के पुनर्निर्माण में खुद को शामिल नहीं करने के पीछे अमेरिका और पश्चिम का प्राथमिक कारण यही रहा है।

पिछले साल जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था तब अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की संक्या केवल  600 के करीब थी। जो बचे हैं वे मुख्य रूप से सुन्नी कट्टरपंथी समूहों द्वारा लक्षित किए जाते रहे हैं। 



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