अफगानिस्तान : तालिबान ने शिया समुदाय को ईद की नमाज से रोका, कुछ को रोजा तोड़ने के लिए किया मजबूर


सार

मस्जिदों पर ईद की घोषणा से पहले कुछ शिया मुसलमानों को उनका रोजा तोड़ने के लिए मजबूर किया गया। हेरात और काबुल के प्रमुख इलाकों में शराबबंदी की खबरें भी आईं। मंगलवार को ईद की नमाज अदा करने से रोकने के लिए तालिबान बलों ने बाकायदा फरमान जारी कर रोक लगाई।

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अफगानिस्तान के तालिबान शासन में अल्पसंख्यकों से भेदभाव यहां तक पहुंच गया है कि उनकी इबादत पर भी पाबंदी लगाई जा रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मंगलवार को ईद के मौके पर अफगानिस्तान में दर्जनों शिया मस्जिदों पर नमाज अदा करने पर रोक लगा दी गई।

हालात सिर्फ यहीं पर नहीं रुके बल्कि मस्जिदों पर ईद की घोषणा से पहले कुछ शिया मुसलमानों को उनका रोजा तोड़ने के लिए मजबूर किया गया। हेरात और काबुल के प्रमुख इलाकों में शराबबंदी की खबरें भी आईं।

मंगलवार को ईद की नमाज अदा करने से रोकने के लिए तालिबान बलों ने बाकायदा फरमान जारी कर रोक लगाई। एक स्थानीय पत्रकार ने ट्विटर पर दावा किया कि हेरात और काबुल में शिया कार्यकर्ताओं ने उनके धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन की सूचना भी दी है।

बता दें कि पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान सरकार का पतन होने और तालिबान की सत्ता में वापसी के साथ ही देश में महिलाओं व अल्पसंख्यकों की मानवाधिकार स्थिति खराब हो गई है।

यूएन व अमेरिका समेत हमलों की पूरी दुनिया ने की आलोचना
पिछले कुछ सप्ताहों में रोजे के दौरान अफगानिस्तान में विशेष रूप से अल्पसंख्यकों को लक्षित कर घातक विस्फोटों की एक शृंखला में शिया क्षेत्रों को निशाना बनाया गया। इन धमाकों में कम से कम 30 लोग मारे जा चुके हैं और कई घायल हो गए हैं। इन हमलों की संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका समेत कई देशों ने निंदा की है।

विस्तार

अफगानिस्तान के तालिबान शासन में अल्पसंख्यकों से भेदभाव यहां तक पहुंच गया है कि उनकी इबादत पर भी पाबंदी लगाई जा रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मंगलवार को ईद के मौके पर अफगानिस्तान में दर्जनों शिया मस्जिदों पर नमाज अदा करने पर रोक लगा दी गई।

हालात सिर्फ यहीं पर नहीं रुके बल्कि मस्जिदों पर ईद की घोषणा से पहले कुछ शिया मुसलमानों को उनका रोजा तोड़ने के लिए मजबूर किया गया। हेरात और काबुल के प्रमुख इलाकों में शराबबंदी की खबरें भी आईं।

मंगलवार को ईद की नमाज अदा करने से रोकने के लिए तालिबान बलों ने बाकायदा फरमान जारी कर रोक लगाई। एक स्थानीय पत्रकार ने ट्विटर पर दावा किया कि हेरात और काबुल में शिया कार्यकर्ताओं ने उनके धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन की सूचना भी दी है।

बता दें कि पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान सरकार का पतन होने और तालिबान की सत्ता में वापसी के साथ ही देश में महिलाओं व अल्पसंख्यकों की मानवाधिकार स्थिति खराब हो गई है।

यूएन व अमेरिका समेत हमलों की पूरी दुनिया ने की आलोचना

पिछले कुछ सप्ताहों में रोजे के दौरान अफगानिस्तान में विशेष रूप से अल्पसंख्यकों को लक्षित कर घातक विस्फोटों की एक शृंखला में शिया क्षेत्रों को निशाना बनाया गया। इन धमाकों में कम से कम 30 लोग मारे जा चुके हैं और कई घायल हो गए हैं। इन हमलों की संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका समेत कई देशों ने निंदा की है।



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