अफगानिस्तान: तालिबान शासन में मारे गए 400 आम नागरिक, यूएन की रिपोर्ट में खुलासा


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, जेनेवा
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Tue, 08 Mar 2022 05:49 PM IST

सार

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां हुए विभिन्न हमलों में लगभग 400 नागरिक मारे गए हैं। इनमें 80 फीसदी नागरिकों की मौत इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूहों द्वारा किए गए हमलों में हुई है। 

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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां हुए विभिन्न हमलों में लगभग 400 नागरिक मारे गए हैं। इनमें 80 फीसदी नागरिकों की मौत इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूहों द्वारा किए गए हमलों में हुई है। ये जानकारी संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद ये साफ है कि तालिबान राज में अफगानिस्तान में चरमपंथ किस हद तक बढ़ गया है। तालिबान के अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद ये पहली बड़ी मानवाधिकार रिपोर्ट आई है। 

साल 2021 अगस्त माह में जब अमेरिकी सैनिक 20 साल से चल रही जंग खत्म करके  वापस अमेरिका लौट रहे थे, तब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद से अफगानिस्तान में इस्लामिक संगठनों के हमले बढ़ गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान अब महिलाओं, पत्रकारों और दूसरे कई समूहों के रहने के लायक नहीं रह गया है। इस रिपोर्ट में अगस्त 2021 से लेकर फरवरी 2022 के अंत के आंकड़े दिए गए हैं। इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISIS-K) संगठन द्वारा किए गए हमलों में 397 नागरिक मारे गए हैं। 

 यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक,  इस्लामिक स्टेट खुरासान, वैश्विक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की अफगानिस्तान स्थित ब्रांच है। इस आतंकवादी समूह से संदिग्ध संबंधों वाले 50 से अधिक लोगों को भी इसी दौरान मारा गया है। इनमें से कुछ को प्रताड़ित किया गया, कुछ का सिर कलम किया गया और कईयों को सड़क किनारे फेंक दिया गया, जिसके कारण मौत हो गई।

मानवाधिकार के उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने रिपोर्ट पेश करते हुए अपने संबोधन में कहा कि कई अफगानों के लिए वहां मानवाधिकार की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है।  उन्होंने बताया कि इस्लामिक स्टेट खुरासान  पहली बार साल 2014 के अंत में पूर्वी अफगानिस्तान में दिखाई दिया था। तालिबान के कब्जे के बाद इसकी ताकत बढ़ी है और हाल के महीनों में इसने कई आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया है। इसके द्वारा किए गए हमलों में पिछले साल अगस्त में काबुल हवाई अड्डे पर हुआ आत्मघाती हमला भी शामिल है।  जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों सहित कई आम लोग भी मारे गए थे।

उन्होंने ये भी कहा कि तालिबान राज में अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता में कटौती की गई है। इस दौरान उन्होने सामाजिक कार्यकर्ताओं और विरोध करने वाले लोगों के गायब होने के मामलों का उल्लेख किया। मिशेल बाचेलेट ने अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंधों को लेकर भी चिंता व्यक्त की। 

विस्तार

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां हुए विभिन्न हमलों में लगभग 400 नागरिक मारे गए हैं। इनमें 80 फीसदी नागरिकों की मौत इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूहों द्वारा किए गए हमलों में हुई है। ये जानकारी संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद ये साफ है कि तालिबान राज में अफगानिस्तान में चरमपंथ किस हद तक बढ़ गया है। तालिबान के अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद ये पहली बड़ी मानवाधिकार रिपोर्ट आई है। 

साल 2021 अगस्त माह में जब अमेरिकी सैनिक 20 साल से चल रही जंग खत्म करके  वापस अमेरिका लौट रहे थे, तब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद से अफगानिस्तान में इस्लामिक संगठनों के हमले बढ़ गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान अब महिलाओं, पत्रकारों और दूसरे कई समूहों के रहने के लायक नहीं रह गया है। इस रिपोर्ट में अगस्त 2021 से लेकर फरवरी 2022 के अंत के आंकड़े दिए गए हैं। इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISIS-K) संगठन द्वारा किए गए हमलों में 397 नागरिक मारे गए हैं। 

 यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक,  इस्लामिक स्टेट खुरासान, वैश्विक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की अफगानिस्तान स्थित ब्रांच है। इस आतंकवादी समूह से संदिग्ध संबंधों वाले 50 से अधिक लोगों को भी इसी दौरान मारा गया है। इनमें से कुछ को प्रताड़ित किया गया, कुछ का सिर कलम किया गया और कईयों को सड़क किनारे फेंक दिया गया, जिसके कारण मौत हो गई।

मानवाधिकार के उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने रिपोर्ट पेश करते हुए अपने संबोधन में कहा कि कई अफगानों के लिए वहां मानवाधिकार की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है।  उन्होंने बताया कि इस्लामिक स्टेट खुरासान  पहली बार साल 2014 के अंत में पूर्वी अफगानिस्तान में दिखाई दिया था। तालिबान के कब्जे के बाद इसकी ताकत बढ़ी है और हाल के महीनों में इसने कई आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया है। इसके द्वारा किए गए हमलों में पिछले साल अगस्त में काबुल हवाई अड्डे पर हुआ आत्मघाती हमला भी शामिल है।  जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों सहित कई आम लोग भी मारे गए थे।

उन्होंने ये भी कहा कि तालिबान राज में अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता में कटौती की गई है। इस दौरान उन्होने सामाजिक कार्यकर्ताओं और विरोध करने वाले लोगों के गायब होने के मामलों का उल्लेख किया। मिशेल बाचेलेट ने अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंधों को लेकर भी चिंता व्यक्त की। 



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