कोलंबो. इतिहास के सबसे मुश्किल आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. खाने-पीने के सामानों के लिए हाहाकार मचा हुआ है. आम लोगों का गुस्सा सड़कों पर फूटने लगा. जनता में पनप रहे आक्रोश को देखते हुए श्रीलंका सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन 15 घंटे बाद अब वहां से इन प्रतिबंधों को हटा लिया गया है. सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंधों को श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे ने इसे बेकार बताया था और प्रशासन से अनुरोध किया था कि इसकी तत्काल बहाली की जाए. श्रीलंकाई अधिकारियों ने बताया कि व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर लगाया गया प्रतिबंध रविवार को हटा लिया गया है. देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए आपातकाल घोषित कर दिया गया था. इसके साथ ही 36 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया गया था. इसके अलावा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
प्रतिबंध हटाए जाने के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टोकटोक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर की सेवाएं 15 घंटे के बाद बहाल कर दी गईं. इन सेवाओं को पूरी तरह या आंशिक रूप से अवरुद्ध कर दिया गया था.
फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप पर असर
इससे पहले ‘कोलंबो पेज’ अखबार की खबर में कहा गया था कि इस कदम का उद्देश्य घंटों तक बिजली कटौती के बीच भोजन, आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और दवाओं की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार की नाकामी के विरोध में कोलंबो में लोगों को एकत्रित होने से रोकना है. साइबर सुरक्षा और इंटरनेट पर नजर रखने वाले निगरानी संगठन ‘नेटब्लॉक्स’ ने श्रीलंका में मध्यरात्रि के बाद रविवार को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, वाइबर और यू्ट्यूब समेत कई सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी लगाए जाने की पुष्टि की. खबर में कहा गया था कि श्रीलंका के प्रमुख नेटवर्क ऑपरेटर डायलॉग, श्रीलंका टेलीकॉम, मोबीटेल, हच इस पाबंदी के दायरे में हैं. जिन सोशल मीडिया और मैसेजिंग मंचों पर पूरी तरह या आंशिक रूप से इसका असर पड़ा है, उनमें फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर शामिल हैं.
सोमवार सुबह तक कर्फ्यू
इस बीच, देश में लोगों ने आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन किया. दरअसल, लोगों को घंटों तक बिजली कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. नागरिकों को प्रदर्शन करने से रोकने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी. सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लगा दिया है. सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए सरकार में युवा एवं खेल मंत्री नमल राजपक्षे ने ट्वीट कर लिखा, मैं सोशल मीडिया को ब्लॉक करने को कभी भी जायज नहीं ठहराऊंगा. क्योंकि वीपीएन (VPN) इस तरह के प्रतिबंधों को पूरी तरह से बेकार कर देता है. मैं वीपीएन का उपयोग कर ही इन चीजों का इस्तेमाल कर रहा हूं. मैं अधिकारियों से और अधिक प्रगतिशीलता से सोचने और इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं.
ईंधन, गैस के लिए लंबी कतारें
श्रीलंका के एक व्यक्ति ने शनिवार को आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर सक्रिय उसके बेटे का पुलिस ने अपहरण कर लिया है. अनुरुद्ध बंडारा के पिता ने कहा कि मोडेरा के उत्तरी कोलंबो पुलिस थाने से कोई व्यक्ति शुक्रवार रात उनके बेटे को ले गया. पुलिस ने बताया कि उसकी सोशल मीडिया गतिविधियों को लेकर उससे पूछताछ करने की आवश्यकता थी. रविवार को उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया. उल्लेखनीय है कि श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पिछले कई सप्ताह से देश की जनता को ईंधन और रसोई गैस के लिए लंबी कतारों में खड़े होने के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. विरोध प्रदर्शन कर रहे हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया है.
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