भारी आर्थिक तंगी और भोजन के गंभीर संकट से परेशान श्रीलंकाई तमिल कर रहे हैं भारत का रुख


नई दिल्ली. श्रीलंका में भारी आर्थिक तंगहाली (Economic crisis in Sri Lanka) के कारण कोहराम मचा हुआ है. देश में खाने-पीने की कीमतों में भारी उछाल आ गया है जिसके कारण लोगों को घंटों में लाइन में लगकर भोजन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. आर्थिक तंगहाली और भोजन का संकट इस कदर बढ़ गया है कि अब इसका असर भारत पर भी पड़ने लगा है. श्रीलंका के कई तमिल अब भारत की ओर रुख करने लगे हैं. मंगलवार को करीब 16 श्रीलंकाई भारत में दाखिल हुए हैं. ये लोग शरणार्थी के रूप में भारत आ रहे हैं. अनुमान है कि भारी संख्या में श्रीलंकाई शरणार्थी भारत में शरण लेने वाले हैं.

मंगलवार को श्रीलंकाई शरणार्थियों का दो दल भारतीय तट पर पहुंचा. इनमें से छह लोगों के एक दल को तो रामेश्वरम के तट से भारतीय तटरक्षक बल ने बचाया. ये एक टापू अरिचल मुनाई से दूर फोर्थ आइलैंड पर फंस गए थे. ये सभी लोग श्रीलंका के उत्तर जाफना या मन्नार क्षेत्र से आ रहे हैं.

दो हजार शरणार्थी भारत आने की ताक में
मंगलवार को आने वाले एक दल में तीन बच्चे भी शामिल थे. ये लोग रामेश्वर के तट के पास एक टापू पर फंस गए थे. इसके बाद भारतीय तटरक्षक बल के जवानों ने इस वहां से निकाल कर बाहर लाया. 10 व्यक्तियों का दूसरा दल देर रात भारतीय तट पर पहुंचा. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक तमिलनाडु पुलिस ने बताया कि श्रीलंका में भारी बेरोजगारी और भोजन के गंभीर संकट के कारण श्रीलंकाई शरणार्थी भारत की ओर भागकर आने लगे हैं. श्रीलंका का उत्तरी भाग तमिल बहुल क्षेत्र है. तमिलनाडु इंटेलीजेंस के मुताबिक यह सिर्फ शुरुआत है. अभी वहां से कई लोगों के आने की संभावना है. इंटेलीजेंस के मुताबिक करीब 2000 श्रीलंकाई शरणार्थी जल्द ही भारत का रुख करेंगे. ये लोग भारत आने की ताक में हैं.

50 हजार देकर जान जोखिम में डालकर भारत पहुंचा
छह सदस्यों का जो श्रीलंकाई दल आया, उसमें एक कप थे. ये अपने चार महीने के बेटे के साथ समुद्र के रास्ते जान जोखिम कर भारत आए. अगर भारतीय तटरक्षक बल इन्हें नहीं बचाते तो इनके लिए मुश्किल हो जाती. वहीं एक अन्य महिला के पास भी दो बच्चे साथ में थे. यानी छह में से तीन बच्चे थे. स्थानीय अधिकारियों ने इनकी पहचान 24 साल के गजेंद्र और 22 साल की इनकी पत्नी मैरी क्लेरिन के रूप में की है. इनका चार महीने का बेटा निजथ भी साथ में था. इन शरणार्थियों ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह से खाने-पीने की भारी किल्लत हो गई. इनका कहना था कि इन्होंने मछुआरे को भारतीय समुद्र में दाखिल कराने के लिए 50 हजार रुपये दिए. दूसरे दल ने भी दावा किया कि उन्होंने भारत आने के लिए नाव वाले को 3 लाख रुपये दिए. इन्होंने कहा कि वहां के कई परिवार भारत आने की तैयारी में हैं.

400 ग्राम दूध पाउडर की कीमत 790 रुपये
श्रीलंका से आए शरणार्थियों ने बताया कि वहां चावल 500 श्रीलंकाई रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है. 790 रुपये में 400 ग्राम दूध का पाउडर मिल रहा है. वहीं एक किलो चीनी की कीमत 290 रुपये तक पहुंच गई है. विश्लेषकों ने चिंता व्यक्त की है कि 1989 के गृह युद्ध के समय में जिस तरह पलायन हुआ था, उसी तरह का पलायन होने की आशंका है. श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भंडार सूख गया है. जरूरी सामान को बाहर से लाने के लिए उसके पास पैसे नहीं है. इस साल उसे 6 अरब डॉलर का कर्ज किश्त के रूप में चुकाना है लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार बमुश्किल दो अरब के आसपास है. ऐसे में चीन ने एक तरफ जहां हाथ खड़े कर दिए हैं वहीं भारत ने 17 मार्च को 1 अरब डॉलर का क्रेडिट फेसेलिटी देने का फैसला किया है.

Tags: India, Sri lanka



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