विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2021 में दिल्ली लगातार चौथी बार दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी दर्ज की गई है। एक दिन पहले जारी स्वीस संगठन आईक्यू एयर की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में दिल्ली में पीएम 2.5 की मात्रा में 14.6 फीसदी दर्ज की गई है। हालांकि, यह नई बात नहीं है बल्कि 1995 के बाद से लगातार दिल्ली की हवा प्रदूषित बनी हुई है। विशेषज्ञ इस संबंध में दिल्ली की भौगोलिक स्थिति को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराते हैं।
सर्दी व गर्मी में अलग-अलग दिशा से चलती है हवा
विशेषज्ञ बताते हैं कि गर्मी में हवा की दिशा पूर्व दिशा की ओर हो जाती है। ऐसे में गल्फ देशों व रेगिस्तान से आने वाली हवाएं अपने साथ धूल को लेकर आती हैं। इससे स्थानीय स्तर के साथ-साथ पड़ोसी देशों से भी प्रदूषण को बढ़ने में मदद मिलती है। वहीं, सर्दी में दिल्ली-एनसीआर पहुंचने वाली हवा उत्तर, उत्तर पश्चिम और पश्चिम से आती हैं। इस दौरान सतह पर चलने वाली हवा की चाल दो से तीन मीटर प्रति सेकंड तक पहुंच जाती है, जबकि गर्मी में यह 5-6 मीटर प्रति सेकंड रहती है। वातावरण के ऊपरी सतह पर चलने वाली ट्रांसपोर्टेशन हवा की चाल ज्यादा होती है। यही वजह है कि दूर के प्रदूषक दिल्ली-एनसीआर पहुंच जाते हैं, लेकिन सतह की हवाओं के सुस्त होने से यह दूर तक सफर नहीं कर पाते हैं।
बदलती हवा व लुढ़कता पारा सांसों पर लाता है संकट
विशेषज्ञ कहते हैं कि दिल्ली के मौसम में बदलती हवा, लुढ़कता पारा और इसके हर तरफ जमीन होने के कारण इसका प्रदूषण छंट नहीं पाता है। रहा सहा काम पड़ोसी राज्यों से होने वाला प्रदूषण भी पूरा कर देता है। दिल्ली हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से घिरी हुई है। ऐसे में हवाओं के संबंध में इसकी स्थिति कीप की तरह है। पड़ोसी राज्यों की हल्की सी भी मौसमी हलचल का असर दिल्ली-एनसीआर में देखने को मिल जाता है। दिल्ली के चारों ओर से आने वाली हवाएं दिल्ली-एनसीआर में फंसती हैं और हवा की गुणवत्ता बिगड़ी हुई दर्ज की जाती है।
इसलिए हर साल सर्दी में दमघोंटू हो जाती है हवा
दिल्ली में हवा की सबसे खराब सेहत हर साल सर्दी में होती है। इसकी प्रमुख वजह सर्दी में मिक्सिंग हाइट (जमीन की सतह से वह ऊंचाई, जहां तक आबोंहवा का विस्तार होता है) कम होती है। सर्दी में यह ऊचांई एक किलोमीटर तक रहती है, जबकि गर्मी में यह चार किमी तक रहती है। साथ ही वेंटिलेशन इंडेक्स (मिक्सिंग हाइट और हवा की चाल का अनुपात) भी कम हो जाता है, जिससे प्रदूषक ऊंचाई के साथ क्षैतिज दिशा में भी दूर-दूर तक फैल नहीं पाते हैं।
राजधानी के प्रदूषण में पीएम 2.5 की भागीदारी
परिवहन- 41 फीसदी
उद्योग- 18.6 फीसदी
ऊर्जा-4.9 फीसदी
जैविक ईंधन-3 फीसदी
धूल- 21.5 फीसदी
अन्य- 11 फीसदी
नोट: आंकड़े सफर इंडिया के 2018 की रिपोर्ट अनुसार है।
यदि दिल्ली में पीएम 2.5 व पीएम 10 की मात्रा को कम करना है तो हमें हरियाली को बढ़ाना होगा। इसके लिए दिल्ली की खाली पड़ी बहुत सी जमीन को हरित क्षेत्र में बदलने की आवश्यकता है। -डॉ. एस के त्यागी, पूर्व अतिरिक्त निदेशक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड