आखिर क्‍या बला है विंडफॉल टैक्‍स? जिसे पहले लगाने और अब हटाने पर खूब हो रही है चर्चा


हाइलाइट्स

1 जुलाई को पेट्रोलियम पदार्थों के निर्यात पर सरकार ने विंडफॉल टैक्‍स (windfall tax) लगाया था.
विंडफॉल टैक्स ऐसी कंपनियों या इंडस्ट्री पर लगाया जाता है जिन्हें किसी खास तरह परिस्थितियों में तत्काल काफी लाभ होता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल कंपनियां भारी मुनाफा काट रही थीं, इसलिए उन पर विंडफॉल टैक्स लगाया गया था.

नई दिल्‍ली. सरकार ने घरेलू बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को काबू में रखने के लिए 1 जुलाई को इनके निर्यात पर विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) लगाया था. सरकार ने अब इसमें कटौती कर दी है. पेट्रोल और एटीएफ के एक्सपोर्ट पर छह रुपये प्रति लीटर की दर से विंडफॉल टैक्स लगाया था, जबकि डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर का कर लगाया लागू किया गया था. साथ ही घरेलू क्रूड पर 23,230 रुपये प्रति टन की एक्साइज ड्यूटी लगाई गई थी.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में हाल में आई गिरावट को देखते हुए सरकार ने डीजल और एविएशन फ्यूल के एक्सपोर्ट पर विंडफॉल टैक्स (windfall tax) में प्रति लीटर दो रुपये की कमी की है, जबकि पेट्रोल के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर की लेवी को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. इसके साथ ही घरेलू क्रूड के निर्यात पर टैक्‍स को 27 फीसदी घटाकर 17 हजार रुपये प्रति टन कर दिया गया है. सरकार के विडफॉल टैक्‍स लगाने और अब हटाने के बाद यह टैक्‍स काफी चर्चा में हैं. आइये जानते हैं कि क्‍या है विंडफॉल टैक्‍स और सरकार क्‍यों लगाती है इसे?

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विंडफॉल टैक्स है क्‍या?
विंडफॉल टैक्स ऐसी कंपनियों या इंडस्ट्री पर लगाया जाता है, जिन्हें किसी खास तरह परिस्थितियों में तत्काल काफी लाभ होता है. भारत की तेल कं‍पनियां इसका अच्‍छा उदाहरण हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया. इससे तेल कंपनियों को काफी फायदा मिला था. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल कंपनियां भारी मुनाफा काट रही थीं, इसलिए उन पर विंडफॉल टैक्स लगाया गया था. भारत ही नहीं इटली और यूके ने भी अपनी एनर्जी कंपनियों पर यह टैक्स लगाया था.

विंडफॉल टैक्‍स हटने का किसे होगा फायदा?
विंडफॉल टैक्‍स में कटौती का फायदा रिलायंस इंडस्‍ट्रीज, ऑयल इंडिया और वेदांता लिमिटेड को फायदा होगा. इनके अलावा रूस की रॉस्‍नफेट बेक्‍ड नायरा एनर्जी को भी फायदा होगा, जो गुजरात में सालाना 20 मिलियन टन क्षमता की रिफाइनरी का संचालन करती है. जानकारों का कहना है कि सबसे ज्‍यादा फायदा रिलायंस इंडस्‍ट्रीज को होगा. कंपनी की गुजरात में दो ऑयल रिफायनरी हैं. इनमें से एक का प्रयोग केवल निर्यात के लिए ही होता है.

1 जुलाई को विंडफॉल टैक्स लगाए जाने से घरेलू कच्चे तेल पर सेस बढ़कर 23,250 रुपये प्रति टन हो गया. सेस बढ़ने का असर कंपनियों के मार्जिन पर हुआ. अब सरकार ने विंडफॉल टैक्स में कटौती कर कंपनियों पर लगने वाले 23,250 रुपये प्रति टन सेस को 17,000 रुपये प्रति टन पर ला दिया है, जिसके बाद कंपनियों के मार्जिन में इजाफा हो गया है.

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सरकारी खजाने पर असर
विंडफॉल टैक्‍स बढ़ने से ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन, ऑयल इंडिया लिमिटेड और वेदांत जैसे कच्चे तेल उत्पादकों से सरकार को सालाना 69,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद जताई थी. यदि विंडफॉल टैक्‍स 31 मार्च, 2023 तक बना रहता तो चालू वित्त वर्ष के शेष नौ महीनों  में सरकार को लगभग 52,000 करोड़ रुपये मिलते. अब जिस तरह से सरकार ने अपने टैक्स और सेस को कम किया है, उससे सरकार की कमाई पर काफी असर देखने को मिलेगा.

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