नई दिल्लीः ईपीएफ (Employee Provident Fund) पर ब्याज दरें घटाने के बाद अब आशंका जताई जा रही है कि केंद्र सरकार छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) की ब्याज दरों में भी कटौती कर सकती है. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के लिए सरकार 31 मार्च को इन योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा करेगी. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया है. इससे पहले यह 8.5 प्रतिशत था.
रिजर्व बैंक ने दी सफाई
इन सवालों और आशंकाओं के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी ओर से सफाई देते हुए दावा किया है कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें अभी भी ज्यादा हैं. रिजर्व बैंक (RBI) ने स्टेट ऑफ इकोनॉमी रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार ने 31 दिसंबर, 2021 को छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दरों की समीक्षा की थी. लगातार 7वीं तिमाही में इनके ब्याज दरों में कोई तब्दीली नहीं की गई थी.
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किस स्कीम पर कितना ब्याज
छोटी बचत योजनाओं में अभी सबसे ज्यादा ब्याज सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samridhi Yojna) में मिल रहा है. इसमें 7.6 प्रतिशत ब्याज दिया जा रहा है. बेटियों के भविष्य सुरक्षित करने वाली यह योजना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के तहत शुरू की गई है. इसी तरह वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) पर 7.4 प्रतिशत इंट्रेस्ट मिल रहा है. जबकि 7.1 प्रतिशत ब्याज पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) पर दिया जा रहा है.
अन्य छोटी बचत योजनाओं में शामिल पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट पर 4 प्रतिशत सालाना ब्याज सरकार दे रही है. पोस्ट ऑफिस के आरडी खाते पर 5 साल के लिए 5.8 प्रतिशत और टाइम डिपॉजिट खाते पर 5.5-6.7 प्रतिशत ब्याज है. पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (MIS) खाते पर 6.6 प्रतिशत, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स (NSC) पर 6.8 प्रतिशत और किसान विकास पत्र (KVP) पर मौजूदा ब्याज दर 6.9 प्रतिशत है.
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फिक्स्ड डिपॉजिट के बढ़ रहे रेट
इस महीने अब तक सरकारी और निजी क्षेत्र के कई बड़े बैंकों ने फिक्स्डस डिपॉजिट्स (FD) की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. आरबीआई की रिपोर्ट कहती है कि सरकारी बैंकों की तुलना में निजी बैंक एफडी पर अधिक ब्याज दे रहे हैं. हाल के महीनों में लोन की मांग बढ़ने और आने वाले समय में इसके और बढ़ने की उम्मीद में बैंकों ने एफडी की ब्याज दरें बढ़ाई हैं.
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Tags: Employees’ Provident Fund (EPF), PPF, Small Saving Schemes