नई दिल्लीः भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए दिल्ली आए जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा (Japan PM Fumio Kishida) और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बीच कई अन्य मसलों के साथ-साथ यूक्रेन संकट (Ukraine crisis) पर भी बातचीत हुई. वार्ता के बाद जापानी पीएम की ओर से कहा गया कि इस वक्त पूरी दुनिया उथल पुथल से गुजर रही है. ऐसे में भारत और जापान के लिए जरूरी है कि उनके बीच नजदीकी संबंध बने रहें. यूक्रेन पर रूस के गंभीर आक्रमण को लेकर हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक शांतिपूर्ण समाधान निकाला जाना चाहिए. बैठक के दौरान जापानी प्रधानमंत्री किशिदा ने पीएम मोदी से रूस को लेकर स्पष्ट और कड़ा रुख दिखाने का भी आग्रह किया. दोनों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए संयुक्त प्रयास करने पर भी सहमत हुए.
पीएम मोदी के साथ भारतीय प्रशांत क्षेत्र में शांति कायम करने को लेकर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए जापानी पीएम ने कहा कि दोनों देशों को एक खुले और मुक्त हिंद-प्रशांत के लिए प्रयास तेज करने चाहिए. जापान, भारत के साथ मिलकर इस युद्ध को समाप्त करने की दिशा में कोशिश करता रहेगा और यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों को सहायता प्रदान करता रहेगा. पीएम किशिदा ने कहा कि भारत-जापान के बीच साझेदारी को मजबूत करना न केवल दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता को भी बढ़ावा मिलेगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जापानी पीएम किशिदा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यूक्रेन पर रूस का हमला एक गंभीर मामला है और इसने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. किसी भी क्षेत्र में यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं होना चाहिए और ऐसा करने वाले को माफ नहीं किया जाना चाहिए. रॉयटर्स के मुताबिक, जापानी पीएम ने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में ये भी कहा कि भारत को रूस-यूक्रेन मसले पर स्पष्ट प्रतिक्रिया देनी चाहिए.
क्वाड का सदस्य होने के नाते जापान रूस पर यूक्रेन हमले के बाद कई तरह के प्रतिबंध लगा चुका है. यूक्रेनी शरणार्थियों को भी उसने अपने यहां पनाह दी है जबकि भारत ने अभी तक बहुत संतुलित रवैया अपना रखा है. संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान भारत अनुपस्थित रहा है. उसका कहना है कि इस संकट का समाधान बातचीत से और राजनयिक तरीके से निकाला जाना चाहिए जबकि अमेरिका आदि देश रूस को कड़ा सबक सिखाने की वकालत करते रहे हैं. क्वाड में जापान और भारत के अलावा अमेरिका और आस्ट्रेलिया भी सदस्य हैं.
भारत और जापान के बीच इस वार्ता के बाद छह समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए गए. जापान ने निवेश प्रोत्साहन साझेदारी के तहत भारत में अगले पांच साल में 42 अरब डॉलर (3.2 लाख करोड़ रुपये) के निवेश की भी घोषणा की.
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