देवेंद्र कुमार, संवाद न्यूज एजेंसी, सहारनपुर
Published by: कपिल kapil
Updated Fri, 24 Jun 2022 05:07 PM IST
सहारनपुर जनपद का शहद अब देश के बाद दुनिया भर में भी अपनी मिठास घोलेगा। काष्ठ हस्तशिल्प और आम के बाद जनपद से शहद का भी निर्यात होगा। इसकी 400 क्विंटल की पहली खेप अमेरिका जाएगी। इसके साथ ही 200 क्विंटल शहद का ऑस्ट्रेलिया का ऑर्डर अंतिम स्टेज पर है। जबकि इसके सह उत्पादों का निर्यात शुरू हो गया है। जिसकी पहली खेप में दस टन बी वैक्स (मधुमक्खी का मोम), 30 क्विंटल वैक्स शीट और 500 मधुमक्खी पालन करने वाले डिब्बों को ऑस्ट्रेलिया भेजा गया है।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में एक जनपद-एक उत्पाद के तहत जिले का चयन शहद के लिए किया गया है। मधुमक्खी पालन में प्रदेश में जनपद का प्रमुख स्थान है। यहां पर पांच हजार से अधिक लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। इनमें प्रत्येक मौनपालकों के पास मधुमक्खी के सौ से लेकर कई हजार तक डिब्बे हैं।
जनपद में फरवरी से अप्रैल महीने में सरसों, यूकेलिप्टस, लीची, आम आदि से मधुमक्खी शहद प्राप्त करती हैं। मई-जून में मधुमक्खियों का स्थानांतरण मथुरा, अलीगढ़ से लेकर राजस्थान, हरियाणा एवं उत्तराखंड आदि राज्यों में किया जाता है। जहां पर मधुमक्खियां लाही, सूरजमुखी, नीम, सहजन आदि से शहद प्राप्त करती हैं। उद्यान विभाग के एक अनुमान के अनुसार जिले में आठ हजार से दस हजार क्विंटल शहद का प्रतिवर्ष उत्पादन होता है। जनपद में शहद की उत्पादकता को देखते हुए वर्ष 1990 से मधुमक्खी पालन कर रहे गंगोह के अजय सैनी ने उच्च गुणवत्ता की शहद प्रसंस्करण इकाई स्थापित की है। गंगोह-नानौता रोड पर स्थित इस इकाई की प्रतिदिन की क्षमता 30 टन शहद के प्रसंस्करण की है। शहद का निर्यात होने से जनपद के मौनपालकों को उनके शहद के बढ़िया भाव मिलने की उम्मीद है।
जनपद का शहद अब दुनिया भर में निर्यात किया जाएगा। इसका 400 क्विंटल का पहला ऑर्डर अमेरिका से मिल चुका है। 200 क्विंटल का दूसरा ऑर्डर ऑस्ट्रेलिया से अंतिम प्रक्रिया में है। जबकि दस टन बी वैक्स, 30 क्विंटल वैक्स शीट और मौन पालन के 500 डिब्बे हॉल ही में ऑस्ट्रेलिया भेजे है।
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अजय सैनी, मौन पालक एवं निर्यातक
जनपद में बड़े स्तर पर मधुमक्खी पालन होता है। यहां पर करीब पांच हजार मौनपालक मधुमक्खी पालन का कारोबार करते हैं। जनपद में शहद का उत्पादन करीब आठ से दस हजार क्विंटल प्रतिवर्ष का है। मधुमक्खी पालन से जनपद में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। – अरुण कुमार, जिला उद्यान अधिकारी
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सहारनपुर जनपद का शहद अब देश के बाद दुनिया भर में भी अपनी मिठास घोलेगा। काष्ठ हस्तशिल्प और आम के बाद जनपद से शहद का भी निर्यात होगा। इसकी 400 क्विंटल की पहली खेप अमेरिका जाएगी। इसके साथ ही 200 क्विंटल शहद का ऑस्ट्रेलिया का ऑर्डर अंतिम स्टेज पर है। जबकि इसके सह उत्पादों का निर्यात शुरू हो गया है। जिसकी पहली खेप में दस टन बी वैक्स (मधुमक्खी का मोम), 30 क्विंटल वैक्स शीट और 500 मधुमक्खी पालन करने वाले डिब्बों को ऑस्ट्रेलिया भेजा गया है।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में एक जनपद-एक उत्पाद के तहत जिले का चयन शहद के लिए किया गया है। मधुमक्खी पालन में प्रदेश में जनपद का प्रमुख स्थान है। यहां पर पांच हजार से अधिक लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। इनमें प्रत्येक मौनपालकों के पास मधुमक्खी के सौ से लेकर कई हजार तक डिब्बे हैं।
जनपद में फरवरी से अप्रैल महीने में सरसों, यूकेलिप्टस, लीची, आम आदि से मधुमक्खी शहद प्राप्त करती हैं। मई-जून में मधुमक्खियों का स्थानांतरण मथुरा, अलीगढ़ से लेकर राजस्थान, हरियाणा एवं उत्तराखंड आदि राज्यों में किया जाता है। जहां पर मधुमक्खियां लाही, सूरजमुखी, नीम, सहजन आदि से शहद प्राप्त करती हैं। उद्यान विभाग के एक अनुमान के अनुसार जिले में आठ हजार से दस हजार क्विंटल शहद का प्रतिवर्ष उत्पादन होता है। जनपद में शहद की उत्पादकता को देखते हुए वर्ष 1990 से मधुमक्खी पालन कर रहे गंगोह के अजय सैनी ने उच्च गुणवत्ता की शहद प्रसंस्करण इकाई स्थापित की है। गंगोह-नानौता रोड पर स्थित इस इकाई की प्रतिदिन की क्षमता 30 टन शहद के प्रसंस्करण की है। शहद का निर्यात होने से जनपद के मौनपालकों को उनके शहद के बढ़िया भाव मिलने की उम्मीद है।
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