आसमान छूती महंगाई के बीच अभी नहीं बढ़ेगी आपके लोन की EMI, जानें क्या है RBI की तैयारी


नई दिल्ली. आसमान छू रही महंगाई के बीच रूस-यूक्रेन संकट (Russian-Ukraine Crisis) को देखते हुए आरबीआई (RBI) हाल फिलहाल नीतिगत ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करेगा. ब्याज दरें स्थिर रहेंगी. इससे न सिर्फ महंगाई (Inflation) के मोर्चे पर कुछ राहत मिलेगी बल्कि आपके किसी भी लोन की ईएमआई में इजाफा नहीं होगा.

अर्थशास्त्रियों के कहना है कि आरबीआई के इस साल के अंत में ही मौद्रिक नीति को कड़ा करना शुरू कर सकता है. फरवरी की शुरुआत में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की पिछली बैठक के बाद से भू-राजनीतिक स्थिति में बदलाव हुआ है, लेकिन आरबीआई दरों में कोई तत्काल बदलाव नहीं करेगा. पिछले सप्ताह यूक्रेन पर रूस के हमले ने वैश्विक और घरेलू बाजारों में उथल-पुथल मचा दिया है. ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया, जिससे महंगाई की आशंका बढ़ गई है.

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अन्य केंद्रीय बैंक दरों में कर चुके हैं बढ़ोतरी
आरबीआई ने अपनी फरवरी की बैठक में नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया, जबकि दुनियाभर के अन्य केंद्रीय बैंकों ने महामारी के बाद महंगाई का मुकाबला करने के लिए दरों में बढ़ोतरी की है. अन्य केंद्रीय बैंकों के उलट आरबीआई के दर न बढ़ाने का कारण है कि भारत की महंगाई का चरित्र अन्य अर्थव्यवस्थाओं से थोड़ा अलग है. हालांकि, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक में कहा था कि अगले वित्त वर्ष में महंगाई में नरमी की उम्मीद है.

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अगस्त से बढ़ सकता है ईएमआई का बोझ
बार्कलेज के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आरबीआई अगले छह महीनों में पॉलिसी को सामान्य करने का विकल्प चुन सकता है. उम्मीद है कि रेपो दर में बढ़ोतरी अगस्त की बैठक से शुरू होगी. इसमें और देरी की संभावना है. एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के अर्थशास्त्रियों का दावा है कि पॉलिसी निर्माता ब्याज दर के जरिये तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं. एमपीसी की बैठक में कठोर नीति के संकेत और आमतौर पर सुस्त मिनटों का मतलब है कि आरबीआई नीति परिवर्तन पर धीमा हो जाएगा. हम अपने विचार को बनाए रखते हैं कि आरबीआई के हाथ में कुछ नीतिगत लचीलापन है, जो रेपो दर में बढ़ोतरी में देरी कर सकता है.

आपूर्ति का घरेलू महंगाई पर असर
आरबीआई का मानना है कि आपूर्ति की बाधाएं घरेलू महंगाई पर असर डाल रही हैं. इससे राहत मिलने पर ही महंगाई कम होगी. फरवरी की बैठक में दास ने कहा था कि भारत में महंगाई का दबाव काफी हद तक आपूर्ति-पक्ष की वजह से है. वहीं, डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा था कि महामारी की महंगाई अधिक मांग से नहीं बल्कि आपूर्ति की बाधाओं से प्रेरित है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत अपनी तेल की मांग का 85 फीसदी आयात के माध्यम से पूरा करता है. कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि महंगाई का दबाव बढ़ाएगी.

Tags: Inflation, RBI, Rbi policy

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