नई दिल्ली. जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति के बढ़कर 6.01 प्रतिशत तक पहुंचने, और अप्रैल तक भी इसके कम न होने की आशंका के बावजूद अगले 6 महीनों तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगी. स्विस ब्रोकरेज (Swiss brokerage) UBS सिक्योरिटीज़ का ऐसा मानना है. इसका ये भी मानना है कि साल के दूसरे भाग में (Second Half) में, जोकि अगस्त से शुरू होगा, में मौद्रिक नीति समिति (MPC) नीतिगत दरों को 50 बेसिक अंकों तक बढ़ा सकती है.
यूबीएस सिक्योरिटीज़ इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने मंगलवार को कहा कि मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़े काफी हद तक अनुमान के अनुरूप ही हैं और इसके पीछे प्रतिकूल आधार प्रभाव और आपूर्ति संबंधी पहलू हैं. उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ने और इसके अप्रैल तक छह फीसदी के आसपास ही रहने के पूर्वानुमान के बावजूद रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति वर्ष 2022 की पहली छमाही में नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने से परहेज करेगी.
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अगस्त में बढ़ सकती हैं ब्याज दरें
सोमवार को घोषित खुदरा मुद्रास्फीति आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में यह 6.01 प्रतिशत हो गई है. इसके अलावा, थोक मुद्रास्फीति दर दहाई अंक में 12.96 प्रतिशत रही है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस साल की दूसरी तिमाही में मौद्रिक नीति समिति अगस्त में ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का फैसला ले सकती है.
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गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने को लेकर गुरुवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार 10वीं बार कोई बदलाव नहीं किया और इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर बरकरार रखा. नीतिगत दर यथावत रहने का मतलब है कि बैंक कर्ज की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा. साथ ही आरबीआई ने मुद्रास्फीति की ऊंची दर के बीच नीतिगत मामले में उदार रुख को बरकरार रखा.
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