मौसमी एलर्जी के कारण होने वाले अस्थमा का इलाज अब होगा आसान- स्टडी


Seasonal allergies treatment: जैसे ही मौसम में बदलाव महसूस होता है एलर्जी (allergies) या अस्थमा (asthma) का प्रकोप भी बढ़ जाता है. आमतौर पर लोगों को पता नहीं चल पाता कि आखिर इन दिनों में परेशानी क्यों बढ़ जाती है. इसी वजह से इसके इलाज में भी परेशानी होती है. ऐसे में इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (Indiana University School of Medicine) के डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी (Department of Microbiology and Immunology) के रिसर्चर्स ने मौसमी दमा (seasonal asthma) के इलाज के एक नए तरीके पर स्टडी की है. जब किसी को मौसमी या बार-बार होने वाले अस्थमा के कारण एलर्जी के कारकों के बीच सांस लेना पड़ता है, तो उन्हें छींक और कफ की तकलीफ होती है. किसी खास मौसम में निकलने वाले पराग कणों (pollen grains), शैवाल (algae) या एलर्जी (allergies) के अन्य कारकों के संपर्क में आने पर एंटीजन सेल सीडी4 (CD4) पॉजिटिव टी-सेल को एक्टिव कर देता है. जिससे साइटोकाइन (cytokine) का स्राव यानी डिस्चार्ज होता है और सूजन या जलन शुरू हो जाता है.

रिसर्चर्स की टीम ने इस बात पर गौर किया एकि एक साइटोकाइन जिसे इंटरल्युकिन 9 (Interleukin 9) यानी आईएल-9 (IL-9) कहते हैं, वह एलर्जिक मेमोरी (allergic memory) पर कैसे प्रतिक्रिया करता है. इस स्टडी का निष्कर्ष ‘साइंस इम्यूनोलॉजी (Science Immunology)’ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है. रिसर्चर्स ने मेमोरी सीडी4 टी से का एक नया रूप पाया, जो आईएल-9 के साथ आईएल-5 और आईएल-13 भी पैदा करता है. इन कोशिकाओं (Cells) में एंटीजन आईएल-9 स्रावित (secreted) होता है. इसके साथ ही ये कोशिकाएं एसटी-2 के रूप में भी प्रकट होती है, जो आईएल-33 रिसेप्टर होती है. ये भी पाया गया है कि आईएल -33 रिसेप्टर की मौजूदगी में आईएल-9 का ज्यादा उत्पादन विशिष्ट एलर्जी कारक के रूप में होता है.

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इसके बाद आईएल-9 की ब्लॉक किए जाने से बलगम बनाने की क्रिया से जुड़े कई जीन का कामकाज कम हो जाता है. इतना ही नहीं सीडी-4 टी सेल और बी सेल में भी कमी आती है और माइक्रोफेज की सक्रियता बदल जाती है.

क्या कहते हैं जानकार
स्टडी के मेन राइटर बेंजामिन जे. उलरिच (Benjamin J. Ulrich) बताते हैं कि अस्थमा के उपचार में प्राथमिकता उसके लक्षणों को कम करने की होती है. उन्होंने बताया कि कई रोगियों को बार-बार इलाज कराने की जरूरत पड़ती है. ऐसे में हमने लैब में ऐसे मॉडल का विकास किया, जो ज्यादा सटीक ढंग से एलर्जी मेमोरी को परिभाषित करते हुए फेफड़े की प्रतिक्रिया को भी रीकॉल करे.

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स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स का कहना है कि इस स्टडी से पता चलता है कि मौसमी एलर्जी की स्थिति में फेफड़े में आईएल-9 को निशाना बनाए जाने और मेमोरी सेल पर फोकस किया जाना नया इलाज हो सकता है.

Tags: Health, Health News, Lifestyle

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