नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने घर खरीदने वालों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई रियल एस्टेट कंपनी (Real Estate Company) बैंकों का पैसा नहीं चुका पाती और डिफॉल्टर हो जाती है तो प्रोजेक्ट में घर खरीदने वाले लोगों (homebuyers) को प्राथमिकता देनी चाहिए न की बैंक को. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ऐसे बहुत से लोगों को फायदा होगा जिन्हें बिल्डर ने घर का कब्जा नहीं दिया है और वह बैंक से डिफॉल्टर भी हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई रियल एस्टेट कंपनी डिफॉल्ट करती है और सिक्यॉर्ड क्रेडिटर के नाते बैंक उस प्रॉपर्टी का पोजेशन ले लेता है तो बिल्डर या प्रमोटर इसकी शिकायत RERA से कर सकता है. गौरतलब है कि जब कोई रियल एस्टेट कंपनी बैंक का कर्ज नहीं चुका पाती है तो बैंक के पास तो अपने लोन की वसूली के कई रास्ते होते हैं, सबसे उन लोगों के पास अपना रुपया वापस पाने का कोई तरीका नहीं होता जिन्होंने प्रोजेक्ट में घर खरीदा है और उन्हें अभी घर का कब्जा भी नहीं भी नहीं मिला होता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ऐसे लोगों को बहुत सहूलियत होगी.
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लिक्विडेशन में प्राथमिकता नहीं
सरकार ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (Insolvency And Bankruptcy Code) में घर खरीदने वालों (homebuyers) को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स का हिस्सा बना दिया है. कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स डिफॉल्टेड कंपनी के भविष्य के बारे में फैसला करता है. हालांकि, लिक्विडेशन (liquidation) के मामले में होमबायर्स को प्राथमिकता नहीं मिली है. इस कारण बिल्डर के डिफॉल्ट होने पर उनका सबकुछ लुट जाता था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब घर खरीदने वालों को लिक्विडेशन में भी वरीयता मिल गई है.
यह था मामला
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई रियल एस्टेट कंपनी डिफॉल्ट करती है और सिक्यॉर्ड क्रेडिटर के नाते बैंक उस प्रॉपर्टी का पोजेशन ले लेता है तो बिल्डर या प्रमोटर इसकी शिकायत RERA से कर सकता है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि RERA कानून के दायरे में बैंक नहीं आते हैं, क्योंकि वे इसके प्रमोटर्स नहीं हैं. ऐसे में अगर बैंक लोन रिकवरी करता है तो रेरा को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि रियल एस्टेट कंपनी के लोन डिफॉल्ट करने पर घर खरीदने वालों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमैंट एक्ट) और वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act) के तहत रिकवरी प्रक्रियाओं में अकर टकराव होता है तो रियल एस्टेट एक्ट को वरीयता देनी चाहिए.
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