अंतरिक्ष मिशनों के लिए बड़ी कामयाबी! एस्‍टरॉयड्स पर भी उगाई जा सकती हैं फसलें


अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाएं टटोल रहे दुनिया भर के वैज्ञानिक इस रिसर्च में भी जुटे हैं कि पृथ्‍वी के बाहर भोजन किस तरह उगाया जा सकता है। इससे जुड़ीं कई रिसर्च इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) में पूरी की जा रही हैं। भोजन वह बुनियादी चीज है जिसकी जरूरत हमें अपने अस्तित्व के लिए है। पृथ्‍वी पर मिट्टी में हम हर तरह का भोजन उगा सकते हैं, लेकिन तब क्‍या होगा जब इंसान लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहेगा और उसे पौष्टिक खाने की जरूरत होगी। मौजूदा वक्‍त में अंतरिक्ष यात्री पैक्‍ड भोजन पर निर्भर हैं, लेकिन भविष्‍य के मिशनों को देखते हुए कुछ नया खोजने की जरूरत है। आने वाले समय में अंतरिक्ष यात्री महीनों और कुछ साल का वक्‍त भी स्‍पेस में बिता सकते हैं। तब वहां उन्‍हें ऐसे खाने की तलाश होगी, जो अंतरिक्ष में उगाया गया हो। बीते महीने प्रकाशित हुए ‘द प्लैनेटरी साइंस जर्नल’ के अनुसार, ‘फसलों को उगाने के लिए सीटू रिसोर्सेज के इस्‍तेमाल के जरिए ग्रहों के संसाधनों का उपयोग करना अंतरिक्ष में स्थिरता की दिशा में अगला कदम है।’ जर्नल में कहा गया है कि एस्‍टरॉयड्स के पास काफी मात्रा में अंतरिक्ष संसाधन हैं और इसका उपयोग अंतरिक्ष यात्रियों के लिए फसलें उगाने में किया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एस्‍टरॉयड अच्‍छी मात्रा में स्‍पेस रिसोर्सेज हैं और अंतरिक्ष से जुड़े इंसानी मिशन पर विचार करते समय एस्‍टरॉयड को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इनमें भी प्राइमर्डियल सीआई कार्बोनेसियस (primordial CI carbonaceous) एस्‍टरॉयड हमारे काम के हैं, क्‍योंकि इनमें फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे तत्‍वों की मौजूदगी की बात कही गई है। ये तत्‍व फसलों की बढ़ाेतरी और विकास के लिए उपयोगी हैं। 

अध्ययन में शामिल रिसर्चर्स ने बताया कि उन्होंने सिम्युलेटेड एस्‍टरॉयड मटीरियल और पीट मॉस (दलदली काई) के मिश्रण में सलाद पत्‍ता, मूली, मिर्च उगाने का परीक्षण किया। रिजल्‍ट्स से पता चला कि हरेक प्रजाति ने अलग-अलग तरह से रिएक्‍ट किया और परीक्षण का सबसे ज्‍यादा असर मूली पर हुआ। 

वैज्ञानिकों के अनुसार उन्‍होंने सलाद पत्ता (लटुका सैटिवा), मूली (राफनस सैटिवस) और मिर्च (कैप्सिकम एन्युम) के पौधों की ग्रोथ को बनाए रखने के लिए सीआई कार्बोनेसियस एस्‍टरॉयड की क्षमता को देखा। इसके लिए सिम्युलेटेड एस्‍टरॉयड के मिश्रण में फसलों को उगाने का परीक्षण किया। रिजल्‍ट्स से पता चला कि हरेक प्रजाति ने इस टेस्टिंग में अलग-अलग रिएक्‍शन दिया और मूली पर यह टेस्टिंग सबसे ज्‍यादा असरदार रही। 
 

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