भाजपा का दावा: इंदिरा गांधी ने पहली बार अल्पसंख्यकों के खिलाफ चलवाया था बुलडोजर, तुर्कमान गेट की घटना का किया जिक्र


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sun, 08 May 2022 02:13 PM IST

सार

भाजपा ने अप्रैल 1976 में तुर्कमान गेट पर हुई कार्रवाई का जिक्र करते हुए कांग्रेस को घेरा।

बुलडोजर के इस्तेमाल को लेकर भाजपा का इंदिरा गांधी पर तंज।

बुलडोजर के इस्तेमाल को लेकर भाजपा का इंदिरा गांधी पर तंज।
– फोटो : Social Media

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विस्तार

बुलडोजर से घरों को गिराए जाने के विवाद के बाद भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को कांग्रेस पर हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ पहली बार बुलडोजरों के इस्तेमाल का आदेश इंदिरा गांधी की तरफ से दिया गया था। भाजपा के आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने ट्वीट में अप्रैल 1976 में इमरजेंसी के दौरान तुर्कमान गेट पर हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों पर बुलडोजर के इस्तेमाल का पहला मामला था। 

अमित मालवीय के ट्वीट में क्या?

मालवीय ने ट्वीट में कहा, “क्या कांग्रेस पार्टी में मनीष तिवारी से लेकर राहुल गांधी तक सभी भूलने की बीमारी से पीड़ित हैं या उन्हें अपने इतिहास के बारे में जानकारी ही नहीं है? नाजियों और यहूदियों को भूल जाएं। भारत में इंदिरा गांधी ही थीं, जिन्होंने पहली बार अल्पसंख्यकों के खिलाफ तुर्कमान गेट पर बुलडोजर चलाने का आदेश दिया था।”

अगले ट्वीट में मालवीय ने कहा, “अप्रैल 1976 को इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं की जबरदस्ती नसबंदी करवाने की कोशिश की थी। जब उनकी तरफ से विरोध हुआ, तब तुर्कमान गेट पर बुलडोजर भेज दिए गए। इसमें 20 लोगों की मौत हुई थी।” भाजपा आईटी सेल के प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस का नाजियों के प्रति प्यार इंदिरा गांधी तक ही सीमित हो जाना चाहिए।

मनीष तिवारी के लेख पर रहा अमित मालवीय का तंज

मनीष तिवारी ने अपने एक लेख में लिखा था कि दिल्ली और देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के घरों और आजीविका को नष्ट करने के लिए बुलडोजर हाल ही में ‘पसंद की गदा’ के रूप में बहुत चर्चा में रहा है। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट को ‘बुलडोजर’ के उपयोग पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसे ‘अवैध अतिक्रमण’ हटाने के लिए एक नियमित अभियान के रूप में सख्ती से तैनात किया जा रहा था। दिखावा इतना कमजोर है कि अगर इसके निहितार्थ बहुत ज्यादा नहीं होते तो यह लगभग उपहासपूर्ण होता। 

मनीष ने लिखा था कि यह स्पष्ट है कि ‘बुलडोजर सिंड्रोम’ हमारे सिस्टम की संस्थागत हार्ड ड्राइव में घुस गया है। समय आ गया है कि उन भारतीय और विदेशी कंपनियों के खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा किया जाए, जिनके बुलडोजर और जेसीबी जैसे अन्य भारी उपकरणों का इस्तेमाल नफरत और कट्टरता को बढ़ावा देने के विकृत और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए देश के कानून की घोर अवमानना और उल्लंघन में किया जाता है। 



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