Bollywood in Potholes: करोड़ों का टैक्स देकर भी रोज गिरते हैं गड्ढों में, बॉलीवुड की ये हालत देख आप रो पड़ेंगे


दुनिया भर से लोग मुंबई आते हैं अपनी तकदीर संवारने। लेकिन, इस शहर की सड़कों की तकदीर कब संवरेगी, कोई नहीं जानता। कहने को ये ग्लैमर वर्ल्ड है। बड़ी बड़ी आलीशान गाड़ियों से सितारे आते हैं। सिनेमाघरों और स्टूडियोज में उतरते हैं और काम करके घर चले जाते हैं। फिल्में बनाने वाली बड़ी बड़ी कंपनियां यहां अंधेरी पश्चिम के कुल चार किलोमीटर के दायरे में काम करती हैं। अकेले टी सीरीज कंपनी बीते पांच साल में कोई पांच हजार करोड़ रुपये का कारोबार सिर्फ फिल्मों से कर चुकी है। लेकिन, इन दफ्तरों तक अगर किसी आम इंसान को पहुंचना हो तो आपको चांद की सतह याद आ जाएगी। इन्हीं रास्तों से ऋतिक रोशन, राकेश रोशन, भूषण कुमार, एकता कपूर, आदित्य चोपड़ा और करण जौहर जैसे हिंदी सिनेमा के दिग्गज रोज गुजरते हैं, लेकिन न कोई कभी इस बारे में ट्वीट करता है और न ही बात करता है।

अक्सर सुनने में आता है कि मुंबई में आने के बाद ठोकरें खूब खानी पड़ती हैं। लेकिन हालात ये हैं कि मुंबई में बड़ा से बड़ा धन्ना सेठ भी जब गाड़ी से नीचे उतरेगा तो बिना ठोकर खाए नहीं रहेगा। मुंबई की इन्ही रास्तों पर ठोकर खा रहे हैं बड़े से बड़े सितारे। शुरुआत उस जुहू सर्कल से करते हैं, जहां के एक तरफ सितारों के आलीशान बंगले हैं और दूसरी तरफ शुरू होती है फिल्म जगत की रोजमर्रा की भागदौड़ में शामिल होने वाले कर्मचारियों की दुनिया। जुहू सर्किल से सिटी मॉल तक आना इन दिनों किसी मिशन को पूरा करने जैसा ही है। दो किमी की दूरी पार करने में बीस मिनट लगना अब मुंबई शहर के लिए आम बात है।

डीएन नगर मेट्रो स्टेशन से लेकर आगे सिटी मॉल तक लिंक रोड पर इतने गड्ढे हैं कि अच्छे से अच्छी विदेशी गाड़ी का सस्पेंशन भी साल भर में जवाब दे जाता है। अगर कहीं बस में या ऑटो रिक्शा में सफर कर रहे हैं तो दाएं बाएं, आगे पीछे हिचकोले खाते कभी चश्मा टूटेगा तो कहीं सिर। देश के दो सबसे बड़े प्रोडक्शन हाउस टी सीरीज और यशराज प्रोडक्शंस के दफ्तर यहीं लक्ष्मी इंडस्ट्रियल एस्टेट की दूसरी तरफ हैं। सड़क के इस तरफ का इलाका हिंदी मनोरंजन जगत का गढ़ है और इस गढ़ की एक भी सड़क, गली या पगडंडी ऐसी नहीं है जिस पर पैदल चलकर निकला जा सके। औसतन एक फुट की दूरी में तीन गड्ढे तो मिलेंगे ही।

करण जौहर का एक दफ्तर खार पश्चिम में है और एक यहां अंधेरी पश्चिम में चित्रकूट मैदान के पास। इसी चित्रकूट मैदान में लगे सेट पर जब बीते दिनों आग लगी तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी को भी आसपास की सड़कों पर बने सैकड़ों गड्ढों से होकर गुजरना पड़ा और इस देरी का जो खामियाजा सेट पर मौजूद लोगों को उठाना पड़ा, वह अब जगजाहिर है। ये वह इलाका है जहां हिंदी सिनेमा के नामी निर्माता निर्देशकों के दफ्तर है।कॉमर्स सेंटर में राकेश रोशन का ऑफिस है। टी सीरीज के पास में एकता कपूर की कंपनी बालाजी टेलीफिल्म्स का भी ऑफिस है।

ये मुंबई की धड़कन कहलाने वाले मीडिया एंड इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के दिग्गजों के दफ्तरों का इलाका है। इनमें से तमाम कंपनियों टर्न ओवर हजारों करोड़ रुपये में है। जीएसटी और इनकम टैक्स की सूरत में ये कंपनियां हर साल सरकार को बेइंतहा टैक्स देती हैं लेकिन किसी भी उद्योग की रीढ़ समझे जाने वाली ठीक ठाक सड़कें फिल्म उद्योग को बरसों से हासिल नहीं हो पा रही हैं। और, ये सूरते हाल तब है जबकि देश के सबसे बड़ी फिल्म निर्माता संगठन इम्पा, फिल्म एवं टीवी निर्देशकों का संगठन इफ्टडा, सिने कलाकारों की संस्था सिन्टा, फिल्म जगत की दो दर्जन के करीब यूनियनों की फेडरेशन एफडब्लूआईसीई आदि के दफ्तर भी इन्हीं इलाकों में हैं। इम्पा के दफ्तर का हाल तो ये है कि जरा सी बारिश में इसके सामने तालाब बन जाता है और लोगों का दफ्तर तक पहुंच पाना तक मुश्किल हो जाता है।



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