Mango: अब सितंबर में भी मिलेगा स्वादिष्ट व रसीला आम, कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की नई प्रजाति


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आचार्य नरेंद्र देव कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुुमारगंज के उद्यान व वानिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने एक आम से ऐसी प्रजाति का जनन द्रव्य प्राप्त किया है, जिससे मीठा, रसीला, सेहतमंद आम का फल मिलेगा। इसका एक पेड़ भी तैयार कर लिया गया है। इसकी कलम अक्तूबर माह में रोपित की जाएगी। यह दो साल में पेड़ बनकर फल देना लगेगा। कृषि वैज्ञानिकों ने इस आम को नरेंद्र आम-1 नाम दिया है।

इसकी खासियत यह होगी कि यह सितंबर माह में फल देगा जबकि इस माह में कोई आम का फल नहीं तैयार होता। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के उद्यान व वानिकी विभाग के अधिष्ठाता व फल वैज्ञानिक डॉ. संजय पाठक व उनकी टीम ने कई साल के रिसर्च के बाद आम के इस जनन द्रव्य का संरक्षित किया था।

बताया कि दशहरी व नीलम के क्रॉस से आम्रपाली व इससे मल्लिका आम का जन्म हुआ है। इसी मल्लिका आम से ही यह जनन द्रव्य प्राप्त किया गया है। इसे कृषि विवि की नर्सरी में पैदा किया जा चुका है, अब इसके वृहद रोपण की तैयारी है।

डॉ. संजय पाठक ने बताया कि इस आम का फल 200 से 250 ग्राम तक वजन होता है। इसे काट कर खाया जा सकता है। यह खाने में काफी स्वादिष्ट होता है। इस वृक्ष के जनन द्रव्य को विकसित कर नई प्रजाति तैयार की गई है।

इसका नाम नरेंद्र आम-1 रखा गया है। इसे बड़े स्तर पर वानिकी में रोपित किया जाएगा। बताया कि अभी तक बिहार में पैदा होना वाला फजली आम सबसे लेट वैरायटी का आम माना जाता है, लेकिन अब यह आम उसके बाद ही पैदा होगा।

यह आम सितंबर के अंत तक पककर तैयार हो जाएगा। बताया कि इस साल अक्तूबर में इसकी प्रजाति रोपित की जाएगी, मीडियम साइज का होने वाला यह पेड़ दूसरे साल आम देने के लिए तैयार हो जाएगा। वहीं, उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. संजय पाठक की इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजेंद्र सिंह ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि इससे किसानों को अधिक लाभ मिल सकेगा।

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आचार्य नरेंद्र देव कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुुमारगंज के उद्यान व वानिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने एक आम से ऐसी प्रजाति का जनन द्रव्य प्राप्त किया है, जिससे मीठा, रसीला, सेहतमंद आम का फल मिलेगा। इसका एक पेड़ भी तैयार कर लिया गया है। इसकी कलम अक्तूबर माह में रोपित की जाएगी। यह दो साल में पेड़ बनकर फल देना लगेगा। कृषि वैज्ञानिकों ने इस आम को नरेंद्र आम-1 नाम दिया है।

इसकी खासियत यह होगी कि यह सितंबर माह में फल देगा जबकि इस माह में कोई आम का फल नहीं तैयार होता। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के उद्यान व वानिकी विभाग के अधिष्ठाता व फल वैज्ञानिक डॉ. संजय पाठक व उनकी टीम ने कई साल के रिसर्च के बाद आम के इस जनन द्रव्य का संरक्षित किया था।

बताया कि दशहरी व नीलम के क्रॉस से आम्रपाली व इससे मल्लिका आम का जन्म हुआ है। इसी मल्लिका आम से ही यह जनन द्रव्य प्राप्त किया गया है। इसे कृषि विवि की नर्सरी में पैदा किया जा चुका है, अब इसके वृहद रोपण की तैयारी है।

डॉ. संजय पाठक ने बताया कि इस आम का फल 200 से 250 ग्राम तक वजन होता है। इसे काट कर खाया जा सकता है। यह खाने में काफी स्वादिष्ट होता है। इस वृक्ष के जनन द्रव्य को विकसित कर नई प्रजाति तैयार की गई है।

इसका नाम नरेंद्र आम-1 रखा गया है। इसे बड़े स्तर पर वानिकी में रोपित किया जाएगा। बताया कि अभी तक बिहार में पैदा होना वाला फजली आम सबसे लेट वैरायटी का आम माना जाता है, लेकिन अब यह आम उसके बाद ही पैदा होगा।

यह आम सितंबर के अंत तक पककर तैयार हो जाएगा। बताया कि इस साल अक्तूबर में इसकी प्रजाति रोपित की जाएगी, मीडियम साइज का होने वाला यह पेड़ दूसरे साल आम देने के लिए तैयार हो जाएगा। वहीं, उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. संजय पाठक की इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजेंद्र सिंह ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि इससे किसानों को अधिक लाभ मिल सकेगा।



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