Budget 2022: कैसे मिलेंगे 60 लाख रोजगार, नौकरियां देने की योजना कितनी होगी असरदार?


सार

कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने के मामले में कृषि क्षेत्र सबसे ऊपर है। देश की लगभग 70 फीसदी आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि या कृषि आधारित उद्योंगों से जुड़ी हुई है। यदि कृषि को लाभकारी बनाया जाए और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का अधिकार दिया जाए, तो इससे बेरोजगारी की समस्या का बड़ा हल निकल सकता है…

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बीते माह जनवरी में देश की बेरोजगारी दर 6.6 फीसदी हो गई है। शहरों में बेरोजगारी दर आठ फीसदी तो ग्रामीण क्षेत्रों में 5.9 फीसदी हो चुकी है। बेरोजगारी से निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने बजट 2022-23 में 60 लाख नई नौकरियों के सृजन की बात कही है। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में भारी निवेश करने के लिए धन भी निर्धारित किया गया है। ये नौकरियां निर्माण क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, आधारभूत ढांचा क्षेत्र, नई तकनीकी विकास और अन्य क्षेत्रों में होंगी। बेरोजगारों को नौकरी देने के सरकार के प्लान पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है।

70 फीसदी आबादी कृषि से जुड़ी

कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने के मामले में कृषि क्षेत्र सबसे ऊपर है। देश की लगभग 70 फीसदी आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि या कृषि आधारित उद्योंगों से जुड़ी हुई है। यदि कृषि को लाभकारी बनाया जाए और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का अधिकार दिया जाए, तो इससे बेरोजगारी की समस्या का बड़ा हल निकल सकता है। लेकिन सरकार ने बजट में इस तरह की कोई बड़ी कोशिश नहीं की है।

कृषि को लाभकारी बनाने के लिए एक अनुमान था कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की वार्षिक आर्थिक सहायता में वृद्धि कर सकती है, लेकिन इस तरह की कोई कोशिश नहीं की गई। सरकार ने एमएसपी के अंतर्गत धन बढ़ाने के लिए कुछ अतिरिक्त धन देने की घोषणा अवश्य की है, लेकिन यह गत वर्ष के मुकाबले कम है। सरकार ने गंगा किनारे वाले पांच किलोमीटर के क्षेत्र में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की बात अवश्य कही है, लेकिन इसका जमीनी असर कितना होगा, अभी से नहीं कहा जा सकता क्योंकि पिछले वर्षों में सरकार ने इस तरह के कई दावे किए हैं, लेकिन वे प्रभावी नहीं रहे हैं।

वी शेप में रिकवरी

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आभास कुमार ने कहा कि सरकार ने मूलभूत ढांचे में निवेश के जरिए रोजगार सृजन की बात कही है, लेकिन इस दावे से बहुत आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता। कई सर्वेक्षण बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान सीमित संख्या में लोगों की आमदनी अप्रत्याशित तौर पर बढ़ी है, जबकि भारी संख्या में लोगों की आय में कमी हुई है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि अब तक अर्थव्यवस्था के वी शेप में रिकवरी की बात कही जा रही थी, लेकिन अब यह ट्रेंड के शेप में रिकवरी में आता दिख रहा है।

इसका आशय है कि अर्थव्यव्यवस्था में कुछ लोगों को बड़ा फायदा, जबकि भारी संख्या में लोगों को नुकसान होने का अंदेशा है। सरकार को समझना पड़ेगा कि जब तक ज्यादा संख्या में लोगों के हाथों में पैसा नहीं जाएगा, तब तक बाजार में मांग नहीं बढ़ेगी, और मांग न बढ़ने से उत्पादन नहीं बढ़ेगा, जिससे रोजगार सृजन के दावों को झटका लग सकता है।

इस तरह निकलेगी नौकरियों की राह

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने आधारभूत ढांचे के विकास को अपना मूलमंत्र बना लिया है। गतिशक्ति योजना के जरिए आधारभूत ढांचे और निर्माण क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनाई गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 25 हजार किलोमीटर तक बढ़ाने, 400 नई वंदे भारत ट्रेनें, 200 नए चैनल, ऑर्गेनिक सेक्टर के उत्पादों को बढ़ावा दिया गया है। इन सभी निवेशों का सीधा असर नौकरियों के सृजन पर दिखाई पड़ेगा।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 80 लाख आवास बनाने और अन्य योजनाओं से भवन निर्माण सामग्री सहित अनेक क्षेत्रों में विकास की गाड़ी पटरी पर दौड़ेगी और इन क्षेत्रों में नौकरियां पैदा होंगी। सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले एमएसएमई सेक्टर को छह हजार करोड़ रुपये देने से इस क्षेत्र के लोगों को भारी लाभ मिलेगा और नई नौकरियां भी पैदा होंगी। 5जी तकनीकी और ई-वाहनों के विकास से भी नौकरियों के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को 2.37 लाख रुपये सीधे एमएसपी के अंतर्गत देने से किसानों की आय सुधरेगी जिसका अर्थव्यवस्था पर बेहतर असर होगा।

विस्तार

बीते माह जनवरी में देश की बेरोजगारी दर 6.6 फीसदी हो गई है। शहरों में बेरोजगारी दर आठ फीसदी तो ग्रामीण क्षेत्रों में 5.9 फीसदी हो चुकी है। बेरोजगारी से निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने बजट 2022-23 में 60 लाख नई नौकरियों के सृजन की बात कही है। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में भारी निवेश करने के लिए धन भी निर्धारित किया गया है। ये नौकरियां निर्माण क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, आधारभूत ढांचा क्षेत्र, नई तकनीकी विकास और अन्य क्षेत्रों में होंगी। बेरोजगारों को नौकरी देने के सरकार के प्लान पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है।

70 फीसदी आबादी कृषि से जुड़ी

कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने के मामले में कृषि क्षेत्र सबसे ऊपर है। देश की लगभग 70 फीसदी आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि या कृषि आधारित उद्योंगों से जुड़ी हुई है। यदि कृषि को लाभकारी बनाया जाए और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का अधिकार दिया जाए, तो इससे बेरोजगारी की समस्या का बड़ा हल निकल सकता है। लेकिन सरकार ने बजट में इस तरह की कोई बड़ी कोशिश नहीं की है।

कृषि को लाभकारी बनाने के लिए एक अनुमान था कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की वार्षिक आर्थिक सहायता में वृद्धि कर सकती है, लेकिन इस तरह की कोई कोशिश नहीं की गई। सरकार ने एमएसपी के अंतर्गत धन बढ़ाने के लिए कुछ अतिरिक्त धन देने की घोषणा अवश्य की है, लेकिन यह गत वर्ष के मुकाबले कम है। सरकार ने गंगा किनारे वाले पांच किलोमीटर के क्षेत्र में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की बात अवश्य कही है, लेकिन इसका जमीनी असर कितना होगा, अभी से नहीं कहा जा सकता क्योंकि पिछले वर्षों में सरकार ने इस तरह के कई दावे किए हैं, लेकिन वे प्रभावी नहीं रहे हैं।

वी शेप में रिकवरी

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आभास कुमार ने कहा कि सरकार ने मूलभूत ढांचे में निवेश के जरिए रोजगार सृजन की बात कही है, लेकिन इस दावे से बहुत आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता। कई सर्वेक्षण बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान सीमित संख्या में लोगों की आमदनी अप्रत्याशित तौर पर बढ़ी है, जबकि भारी संख्या में लोगों की आय में कमी हुई है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि अब तक अर्थव्यवस्था के वी शेप में रिकवरी की बात कही जा रही थी, लेकिन अब यह ट्रेंड के शेप में रिकवरी में आता दिख रहा है।

इसका आशय है कि अर्थव्यव्यवस्था में कुछ लोगों को बड़ा फायदा, जबकि भारी संख्या में लोगों को नुकसान होने का अंदेशा है। सरकार को समझना पड़ेगा कि जब तक ज्यादा संख्या में लोगों के हाथों में पैसा नहीं जाएगा, तब तक बाजार में मांग नहीं बढ़ेगी, और मांग न बढ़ने से उत्पादन नहीं बढ़ेगा, जिससे रोजगार सृजन के दावों को झटका लग सकता है।

इस तरह निकलेगी नौकरियों की राह

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने आधारभूत ढांचे के विकास को अपना मूलमंत्र बना लिया है। गतिशक्ति योजना के जरिए आधारभूत ढांचे और निर्माण क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनाई गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 25 हजार किलोमीटर तक बढ़ाने, 400 नई वंदे भारत ट्रेनें, 200 नए चैनल, ऑर्गेनिक सेक्टर के उत्पादों को बढ़ावा दिया गया है। इन सभी निवेशों का सीधा असर नौकरियों के सृजन पर दिखाई पड़ेगा।

गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 80 लाख आवास बनाने और अन्य योजनाओं से भवन निर्माण सामग्री सहित अनेक क्षेत्रों में विकास की गाड़ी पटरी पर दौड़ेगी और इन क्षेत्रों में नौकरियां पैदा होंगी। सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले एमएसएमई सेक्टर को छह हजार करोड़ रुपये देने से इस क्षेत्र के लोगों को भारी लाभ मिलेगा और नई नौकरियां भी पैदा होंगी। 5जी तकनीकी और ई-वाहनों के विकास से भी नौकरियों के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को 2.37 लाख रुपये सीधे एमएसपी के अंतर्गत देने से किसानों की आय सुधरेगी जिसका अर्थव्यवस्था पर बेहतर असर होगा।

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