बजट 2022: अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए क्या बढ़ाएंगे निवेश और रोजगार, हो सकती है किसानों और मध्य वर्ग को साधने की तैयारी


एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 31 Jan 2022 06:06 AM IST

सार

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को बजट 2022 पेश करेंगी। अर्थशास्त्री डॉ . शरद कोहली का कहना है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए बजट में गरीबों, किसानों और मध्य वर्ग के लिए लोक लुभावन घोषणाएं हो सकती हैं। सबसे ज्यादा जोर रोजगार, सरकारी खर्च और निजी निवेश बढ़ाने पर होगा। विशेषज्ञों की मानें तो राजकोषीय घाटे को देखते हुए टैक्स के मोर्चे पर खास राहत की उम्मीद नहीं है। लेकिन, आयकर कानून की धारा 80 सी और स्टैंडर्ड डिडक्शन में छूट मिल सकती है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
– फोटो : ANI

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बेरोजगारी : सबसे बड़ी समस्या से राहत की आस  
महामारी आने के बाद से देश में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है, जिसका असर चौतरफा पड़ रहा है 1 मांग से लेकर खपत और खर्च तक प्रभावित हो रहा है। ऐसे में बेरोजगारी से निपटना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। दिसंबर, 2021 में बेरोजगारी 7.9 फीसदी पहुंच गई, जो पांच महीने का उच्च स्तर है। वहीं, सितंबर-दिसंबर 2021 के दौरान बेरोजगारों की संख्या 3.18 करोड़ पहुंच गई। खास बात है कि इनमें 3.03 करोड़ यानी 95 फीसदी की उम्र 29 साल से कम है। डॉ. कोहली का कहना है कि रोजगार इस समय ज्वलंत मुद्दा है, जो लोगों को परेशान कर रही है। खासकर शहरी आबादी को ग्रामीण इलाकों में भी बेरोजगारी के मोर्चे पर ऐसे ही हालात हैं। ऐसे में चुनाव से पहले मौके के भुनाने के लिए सरकार रोजगार सृजन के लिए बड़ी घोषणाएं कर सकती है। साफ शब्दों में कहा जाए तो यह बजट रोजगार बढ़ाने वाला होगा।

राजकोषीय घाटे की चिंता बिना खर्च पर जोर 
महामारी से उबारकर भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए इस बजट में राजकोषीय घाटे की चिंता किए बिना सरकारी खर्च बढ़ाने पर जोर रहेगा। डॉ. कोहली का कहना है कि अर्थव्यवस्था को दो बड़े इंजन हैं। पहला सरकारी खर्च और दूसरा निजी निवेश। मौजूदा हालात में सरकार के पास खर्च करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) में 100 लाख करोड़ रुपये हैं। अगर ये पैसे खर्च नहीं होंगे तो आगे कैसे बढ़ेंगे। 

सुधारों के जरिये निजी निवेश बढ़ाने की कोशिश 
– पिछले दो साल में देश में बड़ा निजी निवेश देखने को नहीं मिला है। ऐसे में सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन जैसी योजनाओं और सुधारों की घोषणा कर सकती है। निजी निवेश बढ़ने से ज्यादा फैक्टरियां खुलेंगी। रोजगार पैदा होंगे और मांग बढ़ेगी। 
– मेक इन इंडिया रोजगार बढ़ाने का तीसरा रास्ता है। इस पर सरकार का भी जोर है। चीन की जगह लेने के लिए मेक इन इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करना होगा। रोजगार के लिहाज से अहम क्षेत्र के लिए कारोबारी सुगमता, श्रम सुधार जैसी नीतियां ला सकती हैं।

विस्तार

बेरोजगारी : सबसे बड़ी समस्या से राहत की आस  

महामारी आने के बाद से देश में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है, जिसका असर चौतरफा पड़ रहा है 1 मांग से लेकर खपत और खर्च तक प्रभावित हो रहा है। ऐसे में बेरोजगारी से निपटना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। दिसंबर, 2021 में बेरोजगारी 7.9 फीसदी पहुंच गई, जो पांच महीने का उच्च स्तर है। वहीं, सितंबर-दिसंबर 2021 के दौरान बेरोजगारों की संख्या 3.18 करोड़ पहुंच गई। खास बात है कि इनमें 3.03 करोड़ यानी 95 फीसदी की उम्र 29 साल से कम है। डॉ. कोहली का कहना है कि रोजगार इस समय ज्वलंत मुद्दा है, जो लोगों को परेशान कर रही है। खासकर शहरी आबादी को ग्रामीण इलाकों में भी बेरोजगारी के मोर्चे पर ऐसे ही हालात हैं। ऐसे में चुनाव से पहले मौके के भुनाने के लिए सरकार रोजगार सृजन के लिए बड़ी घोषणाएं कर सकती है। साफ शब्दों में कहा जाए तो यह बजट रोजगार बढ़ाने वाला होगा।

राजकोषीय घाटे की चिंता बिना खर्च पर जोर 

महामारी से उबारकर भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए इस बजट में राजकोषीय घाटे की चिंता किए बिना सरकारी खर्च बढ़ाने पर जोर रहेगा। डॉ. कोहली का कहना है कि अर्थव्यवस्था को दो बड़े इंजन हैं। पहला सरकारी खर्च और दूसरा निजी निवेश। मौजूदा हालात में सरकार के पास खर्च करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) में 100 लाख करोड़ रुपये हैं। अगर ये पैसे खर्च नहीं होंगे तो आगे कैसे बढ़ेंगे। 

सुधारों के जरिये निजी निवेश बढ़ाने की कोशिश 

– पिछले दो साल में देश में बड़ा निजी निवेश देखने को नहीं मिला है। ऐसे में सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन जैसी योजनाओं और सुधारों की घोषणा कर सकती है। निजी निवेश बढ़ने से ज्यादा फैक्टरियां खुलेंगी। रोजगार पैदा होंगे और मांग बढ़ेगी। 

– मेक इन इंडिया रोजगार बढ़ाने का तीसरा रास्ता है। इस पर सरकार का भी जोर है। चीन की जगह लेने के लिए मेक इन इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करना होगा। रोजगार के लिहाज से अहम क्षेत्र के लिए कारोबारी सुगमता, श्रम सुधार जैसी नीतियां ला सकती हैं।

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