SC में केंद्र ने देशद्रोह कानून का किया बचाव, कहा- ‘3 जजों की बेंच वैधता की जांच नहीं कर सकती’


नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शनिवार को राजद्रोह कानून (Sedition Law) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के सामने इस कानून को लेकर अपनी बात रखी. केंद्र सरकार ने देशद्रोह कानून का बचाव किया. सरकार ने कोर्ट को एक लिखित जवाब में बताया कि केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य में पांच जजों की तरफ से दिया गया देशद्रोह के कानून का फैसला सही और बाध्यकारी है. केंद्र ने शीर्ष अदालत से अपील की कि देशद्रोह कानून के खिलाफ दायर याचिका को रद्द कर दिया जाए.

केंद्र सरकार ने अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा कि तीन जजों की बेंच देशद्रोह कानून की वैधता की जांच नहीं कर सकती. केंद्र ने कोर्ट से कहा कि केदारनाथ सिंह फैसला केस का अच्छी तरह से विश्लेषण और ठीक प्रकार से परीक्षण के बाद दिया गया था, और इसकी पुष्टि बाद में दिए गए कई फैसलों में हुई.

केंद्र ने कहा कि राजद्रोह कानून के दुरुपयोगी की घटनाएं कोर्ट के पिछले फैसले पर पुनर्विचार के लिए पर्याप्त उचित कारण नहीं है. दुरुपयोग होना संविधान पीठ के बाध्यकारी फैसले पर पुनर्विचार का कारण नहीं हो सकते. क्योंकि संविधान पीठ द्वारा पहले ही समानता के अधिकार और जीने के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों के संदर्भ में धारा 124A के सभी पहलुओं की जांच की जा चुकी है.

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आपको बता दें कि देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत पांच पक्षों की तरफ से दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में मंगलवार को सुनवाई करेगी.

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया गया है. केंद्र की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र से और समय दिए जाने की अनुमति मांगी थी.

आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 15 जुलाई को केंद्र सरकार से राजद्रोह कानून पर जवाब मांगा था कि आखिर सरकार ऐसे कानून को निरस्त क्यों नहीं कर रही जिसका इस्तेमाल अंग्रेजों की तरफ से स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए किया गया था. उस दिन अदालत ने कहा था कि धारा 124ए का अंधाधुंध इस्तेमाल उस बढ़ई के हाथ में आरी की तरह है जो पेड़ के बजाय पूरे जंगल को काट देता है.

Tags: Sedition Law, Supreme Court



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