केंद्र ने कहा: 1965 और 1971 के युद्ध कैदियों समेत 83 लापता रक्षा कर्मियों की पाक से रिहाई की कोशिश कर रहा भारत


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Thu, 07 Apr 2022 04:20 PM IST

सार

पाकिस्तान की जेल में बंद कैप्टन संजीत भट्टाचर्जी की मां की ओर से दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार की ओर से दाखिल किए गए एक हलफनामे में कहा गया है कि सरकार राजनयिक और अन्य उपलब्ध चैनलों के माध्यम से मामले को नियमित रूप से आगे बढ़ा रही है।

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि साल 1965 और 1971 के युद्ध के 62 कैदियों समेत 83 रक्षा अधिकारी लापता हैं। पाकिस्तान से इनकी रिहाई और प्रत्यावर्तन के लिए भारत सरकार राजनयिक व अन्य उपलब्ध माध्यमों के जरिए प्रयास कर रही है। 

सेना के एक अधिकारी कैप्टन संजीत भट्टाचर्जी की मां की ओर से दाखिल एक याचिका पर केंद्र सरकार ने विदेश मंत्रालय के जरिए एक हलफनामा दाखिल किया है। याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह कैप्टन संजीत को भारत साने के लिए राजनयिक चैनलों के माध्यम से तत्काल कदम उठाए। कैप्टन संजीत 24 साल से अधिक समय से पाकिस्तान की जेल में कैद हैं। 

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को यह जानकारी मिली है कि कैप्टन संजीत पाकिस्तान के लाहौर की कोट लखपत जेल में मौजूद हैं। उन्हें अगस्त 1992 में भारतीय सेना की गोरखा रायफल्स रेजिमंट के एक अधिकारी के तौर पर कमीशन किया गया था।

कैप्टन संजीत के परिवार को अप्रैल 1997 में यह जानकारी दी गई थी कि उह गुजरात में कछ के रण में संयुक्त सीमा पर रात के समय पैट्रोलिंग ड्यूटी पर गए थे। इस दौरान 20 अप्रैल को पाकिस्तान के अधिकारियों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पकड़ लिया था। 

सरकार ने अपने हलफनामे में आठ मार्च 2021 के नोट वर्बल के अनुलग्नक को संलग्न किया है। इसमें सरकार ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग की ओर से जारी किए गए कई नोट वर्बल और 82 लापता भारतीय रक्षा कर्मियों की सूची का उल्लेख भी किया है।

सूची के अनुसार 83 लापता रक्षा कर्मचारियों में से चार युद्ध कैदी हैं जो 1965 में लापता हो गए थे। इनमें से अधिकतर 1971 के युद्ध में लापता हुए लोग हैं। इसके अलावा इसमें यह भी बताया गया है कि 1996 से 2010 के बीच 21 रक्षा कर्मचारी लापता हुए हैं। 

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि यह भारत सरकार राजनयिक और अन्य उपलब्ध चैनलों के माध्यम से कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी के मामले को नियमित रूप से आगे बढ़ा रही है। इसके साथ ही इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग भी लगातार यह मामला उठा रहा है।

विस्तार

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि साल 1965 और 1971 के युद्ध के 62 कैदियों समेत 83 रक्षा अधिकारी लापता हैं। पाकिस्तान से इनकी रिहाई और प्रत्यावर्तन के लिए भारत सरकार राजनयिक व अन्य उपलब्ध माध्यमों के जरिए प्रयास कर रही है। 

सेना के एक अधिकारी कैप्टन संजीत भट्टाचर्जी की मां की ओर से दाखिल एक याचिका पर केंद्र सरकार ने विदेश मंत्रालय के जरिए एक हलफनामा दाखिल किया है। याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह कैप्टन संजीत को भारत साने के लिए राजनयिक चैनलों के माध्यम से तत्काल कदम उठाए। कैप्टन संजीत 24 साल से अधिक समय से पाकिस्तान की जेल में कैद हैं। 

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को यह जानकारी मिली है कि कैप्टन संजीत पाकिस्तान के लाहौर की कोट लखपत जेल में मौजूद हैं। उन्हें अगस्त 1992 में भारतीय सेना की गोरखा रायफल्स रेजिमंट के एक अधिकारी के तौर पर कमीशन किया गया था।

कैप्टन संजीत के परिवार को अप्रैल 1997 में यह जानकारी दी गई थी कि उह गुजरात में कछ के रण में संयुक्त सीमा पर रात के समय पैट्रोलिंग ड्यूटी पर गए थे। इस दौरान 20 अप्रैल को पाकिस्तान के अधिकारियों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पकड़ लिया था। 

सरकार ने अपने हलफनामे में आठ मार्च 2021 के नोट वर्बल के अनुलग्नक को संलग्न किया है। इसमें सरकार ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग की ओर से जारी किए गए कई नोट वर्बल और 82 लापता भारतीय रक्षा कर्मियों की सूची का उल्लेख भी किया है।

सूची के अनुसार 83 लापता रक्षा कर्मचारियों में से चार युद्ध कैदी हैं जो 1965 में लापता हो गए थे। इनमें से अधिकतर 1971 के युद्ध में लापता हुए लोग हैं। इसके अलावा इसमें यह भी बताया गया है कि 1996 से 2010 के बीच 21 रक्षा कर्मचारी लापता हुए हैं। 

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि यह भारत सरकार राजनयिक और अन्य उपलब्ध चैनलों के माध्यम से कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी के मामले को नियमित रूप से आगे बढ़ा रही है। इसके साथ ही इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग भी लगातार यह मामला उठा रहा है।



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