केंद्र सरकार का दावा- देश में यूरिया की कोई किल्लत नहीं, फिर किसान क्यों हैं खाद से हलकान?


नई दिल्ली. देश के कई राज्यों में किसान (Farmers) यूरिया खाद (Urea Fertilizers) की उपलब्धता को लेकर परेशान हैं. रबी फसल (Rabi crop) आने पर है, लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश, एमपी, पंजाब और हरियाणा समेत काई राज्यों में जबरदस्त खाद संकट (Fertilizer Crisis) खड़ा हो गया है. किसान खाद वितरण केंद्रों पर हंगामा कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी समस्याओं का निवारण नहीं हो पा रहा है. दूसरी तरफ भारत सरकार के उर्वरक मंत्रालय (Fertilizer Ministry) का दावा है कि यूरिया को लेकर कोई संकट नहीं है. बता दें कि मोदी सरकार ने बीते 10 दिसंबर को ही संसद में यूरिया की कमी को लेकर 7 सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया था. उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने तब कहा था कि देश में यूरिया की कोई कमी नहीं है.

इस दौरान मंडाविया ने रबी फसल के लिए यूरिया की आवश्यकता, उपलब्धता और बिक्री की राज्यवार जानकारी दी थी. अब, खाद की उपलब्धता को लेकर कई तरह की खबर आ रही है. कई राज्यों में तो यूरिया की कालाबाजारी की खबर है, जिससे माना जा रहा है कि यह संकट पैदा हुआ है. राज्यों ने खाद की कालाबाजारी कर रहे कारोबारियों का लाइसेंस रद्द करना शुरू कर दिया है. बिहार में पिछले दो दिनों में ही कालाबाजारी करते पाए गए 265 से ज्यादा कारोबारियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं.

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केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि यूरिया के आयात पर साल 2020-21 में 25049.62 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

केंद्र सरकार संसद में क्या बयान दिया?
बता दें कि केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि यूरिया के आयात पर साल 2020-21 में 25049.62 करोड़ रुपये खर्च किए गए. यह साल 2016-17 के बाद सबसे ज्यादा राशि है. उर्वरक मंत्रालय का कहना है कि सभी राज्यों को कितना उर्वरक दिया जाना है उसकी गणना कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है. ऐसे में जहां भी यूरिया की कमी को लेकर कोई बात आती है उस राज्य को तुरंत ही यूरिया उपलब्ध कराई जाती है.

क्यों खाद की किल्लत देश में है?
बता दें कि खाद को लेकर बिहार सहित अन्य राज्यों के किसान भी खाद वितरण केंद्रों के बाहर घंटों लाइन में लगे रह रहे हैं. किसान खाद को लेकर सरकार से लगातार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन किसानों को राहत नहीं मिल पा रही है. बिहार के पाटलीपुत्रा संसदीय सीट से बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव ने इस मुद्दे को लेकर हाल ही में उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया से मुलाकात की थी. इससे पहले बिहार के  पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी भी इसी मुद्दे को लेकर मनसुख मंडाविया से मिले थे. इससे पहले बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने भी मंडाविया से मुलाकात की थी.

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रबी फसल के शुरुआती दौर से ही किसानों को खाद संकट से जूझना पड़ रहा है.किसानों की खाद की आपूर्ति कितनी हुई है?
बता दें कि बिहार में किसानों को नवंबर और दिसंबर महीने में खाद की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. कृषि विभाग के आंकड़ों को देखें तो राज्य में इन दो महीनों में करीब 41% खाद की कम आपूर्ति हुई. इस वजह से ही जगह-जगह खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लंबी लाइनें देखी जा रही हैं.

क्या कहते हैं किसान?
बिहार के बेगूसराय जिले के बरौनी के किसान संजय कुमार कहते हैं, ‘रबी फसल के शुरुआती दौर से ही किसानों को खाद संकट से जूझना पड़ रहा है. नवंबर-दिसंबर में भी डीएपी की कमी से हम जैसे हजारों किसान परेशान थे. हमारे जैसे कई किसानों ने सोचा कि कम खाद या नहीं होने पर भी फसल लगा लेते हैं. बाद में जब यूरिया पर्याप्त मात्रा में मिलेगी तो फसल को बेहतर कर लेंगे लेकिन, फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह में भी खाद मिलने में बड़ी परेशानी हो रही है. अगर खाद मिलता भी है तो वह अधिक रेट पर. अब किसानों को यूरिया नहीं मिलने से फसल खराब होना तय माना जा रहा है.’

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बिहार, यूपी समेत कई राज्यों में मौसम के बिगड़े मिजाज के कारण रबी फसलों को लगातार बारिश के दौर से गुजरना पड़ रहा है. इसके चलते फसल प्रभावित हो रही है. खासकर गेहूं की फसल को यूरिया की सख्त जरूरत होती है. लेकिन न ही समितियों में औऱ न ही बाजार में यूरिया मिल रही है. अगर मिल भी रही है तो वह ज्यादा रेट में. ऐसे में किसानों को डर सता रहा है कि इस बार गेहूं का फसल कहीं बर्बाद न हो जाए.

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