China-Taiwan: दुनिया के लिए क्यों जरूरी है ताइवान, चीन ने हमला किया तो क्या-क्या दिक्कतें आएंगी? जानें सबकुछ


अमेरिकी संसद के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी के ताइवान यात्रा से चीन भड़का हुआ है। पेलोसी के दौरे के शुरू होते ही चीन ने ताइवान की खाड़ी में युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया। इस छोटे से द्वीप को चीन ने छह जगह से घेर लिया है। ताइवान की सीमा के अंदर चीनी फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ रहे हैं। कई मिसाइलें पानी के अंदर दागी गईं। चीनी विदेश मंत्रालय ने पेलोसी की यात्रा पर यहां तक कह दिया कि, ‘जो लोग आग से खेल रहे हैं, वे जल जाएंगे।’  

अब सवाल ये है कि क्या दुनिया को रूस-यूक्रेन की तरह एक और युद्ध झेलना पड़ेगा? आखिर दुनिया के लिए ताइवान क्यों इतना जरूरी है? चीन ने अगर ताइवान पर हमला कर दिया तो इसका दुनियाभर में क्या असर पड़ेगा? आइए इसे समझते हैं…

 

दुनिया के लिए क्यों जरूरी है ताइवान? 

हमने ये समझने के लिए विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, ‘यूं तो ताइवान एक छोटा सा द्वीप समूह है, लेकिन कई मामलों में अमेरिका जैसे बड़े देश भी इस पर आश्रित हैं। करीब 36 हजार किलोमीटर की दूरी में फैले ताइवान पर चीन अपना अधिकार बताता है। बार-बार कब्जे की कोशिश करता है। क्योंकि कई मायनों में ताइवान काफी अहम है।’ आदित्य कहते हैं कि ताइवान की अहमियत हम दो बिंदुओं में समझ सकते हैं। 

 

1. ताइवान की भौगोलिक स्थिति: चीन से ताइवान की दूरी महज 120 किलोमीटर दूर है। समुद्र के बीच में स्थित ताइवान के एक तरफ चीन है। उत्तर-पूर्व में जापान और दक्षिण में फिलीपींस है। ताइवान पर चीन अपना अधिकार मानता है, जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश के रूप में पेश करता है। ऐसे में चीन के विरोधियों के लिए सामरिक रूप से यह क्षेत्र काफी अहम हो जाता है। 

ताइवान दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर के संधि स्थल पर स्थित है। ऐसे में इंडो पैसिफिक रीजन में सुरक्षा के लिहाज से इसे काफी अहम माना जाता है। इस इलाके में चीन का दबदबा है और वह आसपास के सभी छोटे द्वीपों और देशों पर अपना अधिकार बताता रहा है। चीन इंडो पैसिफिक रीजन में कृत्रिम द्वीप बनाने की कोशिश भी करता रहा है। ताइवान व अन्य छोटे द्वीप और देश इसका विरोध करते रहे हैं। 

भले ही आबादी और ताकत के मामले में चीन कहीं ज्यादा है, लेकिन सामरिक लिहाज से इन छोटे देशों और द्वीप ने उसे घेर रखा है। यह चीन के प्रमुख विरोधी अमेरिका के लिए फायदेमंद है। अगर चीन का ताइवान पर कब्जा हो जाएगा तो इंडो पैसिफिक इलाके में चीन का दबदबा बढ़ जाएगा। यहां तक की गुयाम और हवाई में मौजूद अमेरिकी सैन्य अड्डे भी सुरक्षित नहीं रह जाएंगे। 

अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों के व्यापार का रास्ता भी ताइवान से होकर ही गुजरता है। ऐसे में अगर ये चीन के कब्जे में चला जाएगा तो अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश मुश्किल में पड़ जाएंगे। 

 

2. आर्थिक स्थिति: ताइवान की आर्थिकी बहुत मजबूत है। साल 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें तो ताइवान ने 786 अरब डालर मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया है। रोजाना प्रयोग में लाए जाने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरणों के चिप ताइवान में ही बनते हैं। मतलब चाहे आपका मोबाइल हो या स्मार्टफोन और लैपटॉप या फिर कार। इन सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में ताइवान में तैयार चिप का ही इस्तेमाल होता है। दुनिया के करीब दो तिहाई चिप बाजार पर ताइवान का ही कब्जा है। 

ताइवान में सेमीकंडक्टर भी खूब तैयार होते हैं। आधे से अधिक सेमीकंडक्टर बाजार पर ताइवान का कब्जा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से दिसंबर 2021 के बीच सेमीकंडक्टर के जरिए ताइवान ने करीब 53 अरब डालर की आय हासिल की। यही कारण है कि अगर ताइवान पर चीन का कब्जा हो जाएगा, तो दुनिया के इस अहम उद्योग पर चीन का कंट्रोल हो जाएगा। फिर चीन इसे अपनी तरह से नियंत्रित करेगा। 

अमेरिका और ताइवान के बीच व्यापारिक संबंध भी काफी मजबूत हैं। दोनों के बीच इकोनमिक प्रोस्पेरिटी पार्टनरशिप डायलाग होता है। ताइवान अमेरिका का आठवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अमेरिका ताइवान का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अमेरिका ने 2019 में ताइवान में जिन वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात किया था उसके चलते लगभग दो लाख अमेरिकी रोजगार का सृजन हुआ था। वर्ष 2020 में ताइवान का अमेरिका में कुल निवेश 137 अरब डालर था।

 

चीन ने हमला किया तो क्या-क्या दिक्कते आएंगी? 

डॉ. आदित्य कहते हैं अगर चीन और ताइवान के बीच युद्ध शुरू होता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। ताइवान सबसे ज्यादा सेमीकंडक्टर चिप तैयार करता है। ये सेमीकंडक्टर चिप सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में लगते हैं। फिर वह मोबाइल फोन हो, बैट्री, टीवी, फ्रीज या लैपटॉप हो। ये सारे जरूरी सामान प्रभावित हो जाएंगे। दुनिया की सबसे एडवांस चिप फैक्ट्री एक तरह से तबाह हो जाएगी। इसके अलावा पश्चिमी देशों का व्यापारिक रास्ता भी एक तरफ से प्रभावित होगा। आगे पढ़िए चीन और ताइवान में क्या-क्या अंतर है? 

 



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