बुधवार को सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कमेटी में पंजाब को नेतृत्व नहीं देने पर सख्त आलोचना की। उन्होंने कहा कि केंद्र को तानाशाही रवैया छोड़कर कमेटी में तत्काल सुधार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान की कमेटी पंजाब के बिना आत्मा के बिना शरीर जैसी है। मान ने कहा कि कृषि आंदोलन के कारण पंजाब से एनडीए सरकार अपनी दुश्मनी निकाल रही है।
एक बयान में मुख्यमंत्री ने इसको केंद्र सरकार का मनमर्जी वाला कदम बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय अन्न भंडार में सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्य को उच्च अधिकार प्राप्त समिति में से बाहर क्यों रखा गया, जिसके बारे में केंद्र की सरकार ही भली-भांति बता सकती है। उन्होंने कहा कि जिस ढंग से समिति में पंजाब के किसानों को अनदेखा किया गया है, इससे भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का पंजाब विरोधी चेहरा नंगा होता है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में केंद्र सरकार पंजाब के किसानों को अपनी भावनाएं प्रकट करने का मौका नहीं देना चाहती और खासकर घातक कृषि कानून के विरुद्ध राज्य के किसानों के सख़्त विरोध के बाद केंद्र ने यह व्यवहार अपनाया हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेतहाशा बढ़ रही कृषि लागतें और राज्य के किसानों को अपनी ऊपज के मिल रहे बहुत कम भाव के कारण वह पहले ही कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले पंजाबी किसानों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही एमएसपी तय करने की जरूरत है, जिससे किसानों को कृषि संकट में से निकाला जा सके। भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार को समय की मांग को समझना चाहिए कि पंजाबी किसानों को इस समिति में ज़रूर शामिल किया जाए, जिससे उनके हितों की रक्षा हो सके।
दूसरे दिन भी राघव चड्ढा ने जताया विरोध
पंजाब से राज्यसभा सांसद और आप के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा का केंद्र की एमएसपी कमेटी के खिलाफ विरोध दूसरे दिन भी जारी रहा। उन्होंने बुधवार को भी संसद में कमेटी के सस्पेंशन नोटिस दाखिल किया। उन्होंने पत्र के जरिए कहा कि केंद्र सरकार को नई निष्पक्ष कमेटी बनानी चाहिए, जिससे पंजाब को उसका हक मिल सके।
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बुधवार को सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कमेटी में पंजाब को नेतृत्व नहीं देने पर सख्त आलोचना की। उन्होंने कहा कि केंद्र को तानाशाही रवैया छोड़कर कमेटी में तत्काल सुधार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान की कमेटी पंजाब के बिना आत्मा के बिना शरीर जैसी है। मान ने कहा कि कृषि आंदोलन के कारण पंजाब से एनडीए सरकार अपनी दुश्मनी निकाल रही है।
एक बयान में मुख्यमंत्री ने इसको केंद्र सरकार का मनमर्जी वाला कदम बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय अन्न भंडार में सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्य को उच्च अधिकार प्राप्त समिति में से बाहर क्यों रखा गया, जिसके बारे में केंद्र की सरकार ही भली-भांति बता सकती है। उन्होंने कहा कि जिस ढंग से समिति में पंजाब के किसानों को अनदेखा किया गया है, इससे भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का पंजाब विरोधी चेहरा नंगा होता है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में केंद्र सरकार पंजाब के किसानों को अपनी भावनाएं प्रकट करने का मौका नहीं देना चाहती और खासकर घातक कृषि कानून के विरुद्ध राज्य के किसानों के सख़्त विरोध के बाद केंद्र ने यह व्यवहार अपनाया हुआ है।
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