कोरोना : अब अस्पतालों में भर्ती मरीजों की होगी जीनोम सीक्वेंसिंग, केंद्र ने राज्यों के साथ मिलकर बनाई योजना


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देश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच केंद्र सरकार ने वायरस के नए वैरिएंट की पहचान के लिए नई योजना बनाई है। इसके तहत अब अस्पतालों में भर्ती मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग होगी। इस दौरान देखा जाएगा कि आखिर ऐसी क्या वजह है जो संक्रमित मरीज को अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। मरीज की स्थिति और उसमें जान का जोखिम भी देखा जाएगा। साथ ही टीकाकरण के अलावा अन्य बीमारी के बारे में भी जानकारी ली जाएगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में अभी तक कोरोना वायरस के किसी भी नए वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है। अभी तक ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट सामने आए हैं और दिल्ली-महाराष्ट्र सहित राज्यों पर इन्हीं का असर देखने को मिल रहा है। हालांकि कुछ देशों में मौतें बढ़ी हैं और अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इसलिए केंद्र सरकार की विभिन्न कोविड-19 समितियों ने जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए देश के मौजूदा हालात जानने के लिए यह योजना बनाई है।

नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, देश में फिलहाल एक बड़ी चुनौती वायरस की क्रिया को समझना है। हम यह नहीं कह सकते कि आगे भविष्य क्या होगा? लेकिन जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए वायरस पर निगरानी रखी जा सकती है। चूंकि अधिकांश मरीज हल्के या कम लक्षण वाले मिल रहे हैं। इसलिए इनमें जीनोम सीक्वेंसिंग की आवश्यकता नहीं है लेकिन गंभीर या फिर मोडरेट स्थिति वाले रोगियों (जिन्हें भर्ती करना पड़े) की जीनोम सीक्वेंसिंग होना बहुत जरूरी है।

धार्मिक यात्राओं के दौरान कोरोना नियमों का पालन करें
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार सिंह का कहना है कि धार्मिक यात्राओं के दौरान लोगों को कोरोना नियमों का पालन करना चाहिए। आगामी दिनों में अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने जा रही है। उत्तराखंड में बद्री विशाल और केदारनाथ धाम की यात्रा में लगातार मामले देखने को मिल रहे हैं।

साथ ही इन राज्यों में कोरोना के मामले भी बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में लोग यात्रा के दौरान चेहरे पर मास्क जरूर लगाकर रखें। साथ ही भीड़ से दूरी बनाए रखें। दरअसल पिछले वर्ष हरिद्वार में कुंभ स्नान के दौरान कोविड नियमों का पालन सही तरीके से नहीं हुआ था। इसके बाद कोरोना के मामलों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई थी। इस बार लोगों से खास ध्यान रखने की अपील की जा रही है।

अभी भी कई लोगों में एंटीबॉडी नहीं
आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, देश में अभी भी काफी लोग ऐसे हैं जिनमें कोरोना संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित नहीं हुई हैं। इन्होंने टीकाकरण भी कराया है। ऐसे में इन्हें काफी सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है, फिर से आबादी का एक हिस्सा अति संवेदनशील की स्थिति में आने लगता है। ओमिक्रॉन जैसे वैरिएंट इन लोगों को शिकार बना सकते हैं।

अधिकांश राज्यों में ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट
एनसीडीसी के डॉ. सुजीत ने बताया, हमारे पास देश में कोविड का कोई नया वैरिएंट नहीं है लेकिन अधिकांश राज्यों में ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट हैं। बीए.2 को अभी दिल्ली और अन्य शहरों में प्रभावी पाया जा रहा है। जबकि वायरस के दूसरे वैरिएंट की निगरानी की जा रही है।

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देश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच केंद्र सरकार ने वायरस के नए वैरिएंट की पहचान के लिए नई योजना बनाई है। इसके तहत अब अस्पतालों में भर्ती मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग होगी। इस दौरान देखा जाएगा कि आखिर ऐसी क्या वजह है जो संक्रमित मरीज को अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। मरीज की स्थिति और उसमें जान का जोखिम भी देखा जाएगा। साथ ही टीकाकरण के अलावा अन्य बीमारी के बारे में भी जानकारी ली जाएगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में अभी तक कोरोना वायरस के किसी भी नए वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है। अभी तक ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट सामने आए हैं और दिल्ली-महाराष्ट्र सहित राज्यों पर इन्हीं का असर देखने को मिल रहा है। हालांकि कुछ देशों में मौतें बढ़ी हैं और अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इसलिए केंद्र सरकार की विभिन्न कोविड-19 समितियों ने जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए देश के मौजूदा हालात जानने के लिए यह योजना बनाई है।

नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, देश में फिलहाल एक बड़ी चुनौती वायरस की क्रिया को समझना है। हम यह नहीं कह सकते कि आगे भविष्य क्या होगा? लेकिन जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए वायरस पर निगरानी रखी जा सकती है। चूंकि अधिकांश मरीज हल्के या कम लक्षण वाले मिल रहे हैं। इसलिए इनमें जीनोम सीक्वेंसिंग की आवश्यकता नहीं है लेकिन गंभीर या फिर मोडरेट स्थिति वाले रोगियों (जिन्हें भर्ती करना पड़े) की जीनोम सीक्वेंसिंग होना बहुत जरूरी है।

धार्मिक यात्राओं के दौरान कोरोना नियमों का पालन करें

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार सिंह का कहना है कि धार्मिक यात्राओं के दौरान लोगों को कोरोना नियमों का पालन करना चाहिए। आगामी दिनों में अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने जा रही है। उत्तराखंड में बद्री विशाल और केदारनाथ धाम की यात्रा में लगातार मामले देखने को मिल रहे हैं।

साथ ही इन राज्यों में कोरोना के मामले भी बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में लोग यात्रा के दौरान चेहरे पर मास्क जरूर लगाकर रखें। साथ ही भीड़ से दूरी बनाए रखें। दरअसल पिछले वर्ष हरिद्वार में कुंभ स्नान के दौरान कोविड नियमों का पालन सही तरीके से नहीं हुआ था। इसके बाद कोरोना के मामलों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई थी। इस बार लोगों से खास ध्यान रखने की अपील की जा रही है।

अभी भी कई लोगों में एंटीबॉडी नहीं

आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, देश में अभी भी काफी लोग ऐसे हैं जिनमें कोरोना संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित नहीं हुई हैं। इन्होंने टीकाकरण भी कराया है। ऐसे में इन्हें काफी सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है, फिर से आबादी का एक हिस्सा अति संवेदनशील की स्थिति में आने लगता है। ओमिक्रॉन जैसे वैरिएंट इन लोगों को शिकार बना सकते हैं।

अधिकांश राज्यों में ओमिक्रॉन का सब वैरिएंट

एनसीडीसी के डॉ. सुजीत ने बताया, हमारे पास देश में कोविड का कोई नया वैरिएंट नहीं है लेकिन अधिकांश राज्यों में ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट हैं। बीए.2 को अभी दिल्ली और अन्य शहरों में प्रभावी पाया जा रहा है। जबकि वायरस के दूसरे वैरिएंट की निगरानी की जा रही है।



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