CM केजरीवाल के 20 लाख रोजगार के वादे पर दिल्‍ली के व्‍यापारियों ने पूछे ये सवाल


नई दिल्‍ली. हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से किए गए दावे को लेकर दिल्‍ली के व्‍यापारी सवाल पूछ रहे हैं. दिल्ली में आगामी 5 वर्ष में 20 लाख रोजगार देने के वादे पर कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की ओर से सवाल उठाया गया है. कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवान ने कहा कि सीएम केजरीवाल दिल्ली की जनता को पहले यह बताएं कि जब से वे दिल्ली की सत्ता में हैं, तब से अब तक उन्होंने कितने लोगों को रोजगार दिया है, उसी आंकड़े से उनके अलगे पांच वर्षों के लिए किए गए दावे की की हकीकत तय हो सकेगी.

खंडेलवाल ने कहा कि केजरीवाल के दावे के मुताबिक यदि हिसाब लगाया जाए तो 5 वर्षों में 1825 दिन होते हैं जिनमें से 52 सप्ताह शनिवार एवं रविवार सरकारी अवकाश होने के कारण 208 दिन को घटाया जाए और लगभग 50 दिन अन्य छुट्टियों के भी घटाए जाएं तो 5 वर्ष में कुल 1560 दिन होते हैं और इस आधार पर सीएम को प्रतिदिन 1282 लोगों को रोजगार देना पड़ेगा. क्या यह संभव है ? क्या दिल्ली में इतनी क्षमता है कि वह रोजाना 1282 लोगों को रोजगार दे सके ? उन्होंने कहा कि असंभव दावे करना केजरीवाल के स्‍वभाव में आ गया है. कैट के महामंत्री ने सीएम को चुनौती देते हुए कहा कि इस दावे पर वे किसी भी स्वतंत्र मंच पर खुली बहस के लिए तैयार हैं.

इसके साथ ही कैट की ओर से कहा गया कि सिसोदिया ने अपने बजट भाषण में पांच ऐतिहासिक मार्केटों और नॉन कन्फॉर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों का री-डेवलपमेंट करने की बात कही. इसके साथ ही कहा कि वे एक नई इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनाएंगे. अगर उनके प्रस्ताव को सही मान भी लिया जाए तो मार्केटों और नॉन कन्फॉर्मिंग क्षेत्रों में रि-डेवलपमेंट के बाद उसी क्षेत्र में काम करने वाले लोग रहेंगे. इस दृष्टि से इन क्षेत्रों में नए रोजगार की कोई गुंजाइश नहीं है. अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनती है तो वहां भी केवल कुछ मात्रा में ही रोजगार उपलब्ध होंगे. नए रोजगार उसी सूरत में हो सकते हैं जब दिल्ली में बड़ी मात्रा में इंडस्ट्री अथवा फैक्ट्री लगे, जिसका बजट में कोई जिक्र नहीं है. दिल्ली सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए की हर महीने कितने लोगों को रोजगार मिलेगा जिससे की 20 लाख रोजगार देने का वादा सच हो सके.

इसके साथ ही मार्केटों का रि-डेवलपमेंट कैसे होगा, सरकार ने यह नहीं बताया. क्या मार्केटों को तोड़ कर नई बनाई जाएंगी तो ऐसे में जिस मार्किट को तोडा जाएगा उसके दुकानदार कहां व्यापार करेंगे ? क्या सरकार ने कोई स्थान निर्धारित किया है जो रि-डेवलपमेंट होने वाली मार्केटों के आस पास है या मार्केटों को स्थानांतरित किया जाएगा. उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा की ऐसी घोषणा करने से पहले सरकार ने व्यापारियों से कोई सलाह -मशवरा नहीं किया जिससे पता चलता है कि सरकार केवल घोषणा ही करेगी, उस पर कार्य करने में सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है. दिल्ली में मास्टर प्लान बनाना डीडीए की जिम्मेदारी है जो इस बात को तय करेगा की दिल्ली का विकास कैसे हो ? क्या सीएम ने इस सबंध में डीडीए अथवा केंद्र सरकार से कोई चर्चा की है ? ऐसे में जब दिल्ली का नया मास्टर प्लान 2041 बन रहा है जिसमें रि-डेवलपमेंट आदि तय होगा तब क्या केजरीवाल की ये घोषणा टिक पायेगी. इन सवालों पर भी दिल्‍ली सरकार जवाब दे.

Tags: Arvind kejriwal, Arvind Kejriwal led Delhi government, Confederation of All India Traders

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