धर्म संसद: ‘भड़काऊ भाषण’ मामले में दिल्ली पुलिस का यूटर्न, कहा- तथ्यों की जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई


सार

सुप्रीम कोर्ट में अपने ताजा जवाब में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि धर्म संसद के खिलाफ शिकायत में दिए गए सभी भाषणों और अन्य सामग्रियों का विश्लेषण किया गया है। कार्यक्रम की एक वीडियो रिकॉर्डिंग यूट्यूब पर मिली। आगे की जांच के बाद चार मई को ओखला औद्योगिक क्षेत्र पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा-153 ए, 295ए, 298 और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

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सुप्रीम कोर्ट से मिली फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने पिछले साल दिसंबर में हुई धर्म संसद में कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषणों से संबंधित मामले में एफआईआर दर्ज की है। शीर्ष अदालत में नया हलफनामा दायर कर पुलिस ने कहा कि तथ्यों की जांच के बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इससे पहले पुलिस ने दावा किया था कि कोई मामला नहीं बनता है। पुलिस ने कहा था कि इस तरह के शब्दों का कोई उपयोग नहीं किया जिसका अर्थ यह निकाला जाए कि मुसलमानों के नरसंहार या पूरे समुदाय की हत्या के लिए खुला आह्वान किया गया।

अपने ताजा जवाब में पुलिस ने कहा है कि शिकायत में दिए गए सभी भाषणों और अन्य सामग्रियों का विश्लेषण किया गया है। कार्यक्रम की एक वीडियो रिकॉर्डिंग यूट्यूब पर मिली। आगे की जांच के बाद चार मई को ओखला औद्योगिक क्षेत्र पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा-153 ए, 295ए, 298 और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पुलिस ने पहले अदालत से कहा था कि उन्होंने धर्म संसद में कथित नफरत फैलाने वाले भाषण के संबंध में शिकायतों को बंद कर दिया है। वीडियो क्लिप की जांच के बाद यह पाया गया कि उनमें एक विशेष समुदाय के खिलाफ कोई नफरत भरे शब्द नहीं थे।

गत 22 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से कहा था कि हम यह जानना चाहते हैं कि क्या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हलफनामे को दाखिल करने से पहले अन्य पहलुओं की बारीकियों पर गौर किया था। क्या उन्होंने केवल जांच अधिकारी की रिपोर्ट को दोबारा पेश कर दिया है या अपना दिमाग लगाया है? क्या आप इस पर फिर से विचार करना चाहते हैं। शीर्ष अदालत द्वारा हलफनामे पर एतराज जताने के बाद दिल्ली पुलिस नया हलफनामा दायर करने के लिए तैयार हो गई थी। शीर्ष अदालत नौ मई को इस मामले की सुनवाई करेगी।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट से मिली फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने पिछले साल दिसंबर में हुई धर्म संसद में कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषणों से संबंधित मामले में एफआईआर दर्ज की है। शीर्ष अदालत में नया हलफनामा दायर कर पुलिस ने कहा कि तथ्यों की जांच के बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इससे पहले पुलिस ने दावा किया था कि कोई मामला नहीं बनता है। पुलिस ने कहा था कि इस तरह के शब्दों का कोई उपयोग नहीं किया जिसका अर्थ यह निकाला जाए कि मुसलमानों के नरसंहार या पूरे समुदाय की हत्या के लिए खुला आह्वान किया गया।

अपने ताजा जवाब में पुलिस ने कहा है कि शिकायत में दिए गए सभी भाषणों और अन्य सामग्रियों का विश्लेषण किया गया है। कार्यक्रम की एक वीडियो रिकॉर्डिंग यूट्यूब पर मिली। आगे की जांच के बाद चार मई को ओखला औद्योगिक क्षेत्र पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा-153 ए, 295ए, 298 और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पुलिस ने पहले अदालत से कहा था कि उन्होंने धर्म संसद में कथित नफरत फैलाने वाले भाषण के संबंध में शिकायतों को बंद कर दिया है। वीडियो क्लिप की जांच के बाद यह पाया गया कि उनमें एक विशेष समुदाय के खिलाफ कोई नफरत भरे शब्द नहीं थे।

गत 22 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से कहा था कि हम यह जानना चाहते हैं कि क्या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हलफनामे को दाखिल करने से पहले अन्य पहलुओं की बारीकियों पर गौर किया था। क्या उन्होंने केवल जांच अधिकारी की रिपोर्ट को दोबारा पेश कर दिया है या अपना दिमाग लगाया है? क्या आप इस पर फिर से विचार करना चाहते हैं। शीर्ष अदालत द्वारा हलफनामे पर एतराज जताने के बाद दिल्ली पुलिस नया हलफनामा दायर करने के लिए तैयार हो गई थी। शीर्ष अदालत नौ मई को इस मामले की सुनवाई करेगी।



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