अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Published by: पंकज शुक्ल
Updated Fri, 20 May 2022 02:20 PM IST
Movie Review
धाकड़
कलाकार
कंगना रणौत
,
अर्जुन रामपाल
,
दिव्या दत्ता
,
शाश्वत चटर्जी
,
शारिब हाशमी
और
तुमुल बालयान
लेखक
चिंतन गांधी
,
रिनिश रवींद्र
और
रजनीश घई
निर्देशक
रजनीश घई
निर्माता
दीपक मुकुट
और
सोहेल मकलई
कंगना रणौत हिंदी सिनेमी की चंद बेहतरीन अभिनेत्रियों में शुमार हैं। अपने किरदारों के साथ प्रयोग करने की उनकी जिजीविषा उनकी अदाकारी के प्रमाण हैं। प्रशंसा उनकी इस बात के लिए भी होती रहती है कि वह एक ऐसी फिल्म इंडस्ट्री में अपना वजूद कायम रखने में कामयाब हैं जहां बाहर से आने वालों को पहले तो काम पाना ही बहुत मुश्किल है, दूसरे काम मिल भी जाए तो शोहरत का सातवां आसमान नापना और मुश्किल है। कंगना ने ये दोनों कर दिखाए हैं। अभिनय के लिए अब तक चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकीं कंगना रणौत में वह दम है जो उनका नाम हिंदी सिनेमा की कालजयी अभिनेत्रियों में शामिल करा सकता है, लेकिन कहानियां चुनने के उनके कौशल और इन कहानियों को परदे पर उनकी संवेदनाओँ के साथ पेश कर सकने वाले निर्देशकों के बीच सामंजस्य गड़बड़ाता जा रहा है। कंगना की नई फिल्म ‘धाकड़’ इसी असंतुलन की शिकार है।