सिगरेट पीने वालों के करीब न रहें, पैसिव स्मोकिंग से बीमार लोगों पर खर्च हो रहे सालाना 56,700 करोड़


नई दिल्ली. भारत में पैसिव स्मोकिंग का खतरा कितना गंभीर है, इसके बारे में एक ताजा रिसर्च से जो आंकड़े सामने आए हैं वो काफी चौंकाने वाले हैं. देश भर में पैसिव स्मोकिंग से बीमार हुए लोगों के इलाज पर सालाना 56,700 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. जो 2017 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 0.33 प्रतिशत के बराबर है. नए अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि सार्वजनिक धूम्रपान पर प्रतिबंध के बावजूद भारत में सेकेंड हैंड धुएं (second hand smoke-SHS) के संपर्क में आने से हुई बीमारियों के इलाज पर 56,700 करोड़ रुपये का सीधा खर्च आता है, जो कि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य बजट के आधे से ज्यादा है.

एक अनुमान के हिसाब से देश में धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों के बीच सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से होने वाली बीमारियों के कारण इलाज की लागत, सीधे धूम्रपान के कारण हुए रोगों के इलाज पर होने वाले 25,700 करोड़ रुपये के खर्च से दोगुने से भी ज्यादा है. देश में पैसिव स्मोकिंग से हो रहे रोगों के इलाज पर सालाना 56,700 करोड़ रुपये का खर्च, 2017 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 0.33 प्रतिशत के बराबर है. जबकि 2022-23 के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य बजट 83,000 करोड़ रुपये है.

दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या में भारत दूसरे नंबर पर

अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा है कि एसएचएस एक्सपोजर के कारण बढ़ रहे इलाज के बोझ के कारण पैसिव स्मोकिंग की समस्या को हल करने के लिए तत्काल नीतिगत उपायों की जरूरत है. हालांकि देश में छह वर्षों में धूम्रपान में लगभग 24 प्रतिशत की गिरावट आई है. फिर भी भारत दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है.

देश के तंबाकू नियंत्रण कानून सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर रोक लगाते हैं. फिलहाल हवाई अड्डों और 30 या अधिक कमरों वाले होटलों और 30 या उससे अधिक की बैठने की क्षमता वाले रेस्तरां में तय जगहों पर धूम्रपान की अनुमति है.

अध्ययन में कहा गया है कि कई जगहों पर धूम्रपान प्रतिबंध का पालन कम ही होता है और एसएचएस जोखिम अधिक रहता है. जबकि 2017 में एक सर्वेक्षण ने कहा गया था कि धूम्रपान न करने वाले वयस्कों को एसएचएस के संपर्क में आने का खतरा उनके घरों में 38 प्रतिशत, कार्यस्थलों में 30 प्रतिशत और रेस्तरां में 7 प्रतिशत है. नए अध्ययन में ये भी पाया है कि एसएचएस से जुड़ी बीमारियों के इलाज की लागत निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले समूहों के भारतीयों में ज्यादा है. क्योंकि इन समूहों में धूम्रपान का प्रचलन ज्यादा है.

Tags: Budget, Health, India GDP, India’s GDP, Smoking, Smoking Addict, Tobacco Ban



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