Foods to Prevent Piles: अधिकतर लोग पाइल्स की समस्या से परेशान रहते हैं. पाइल्स यानी बवासीर, जिसे हेमोरॉएड्स (Hemorrhoids) भी कहा जाता है. बवासीर होने पर मल द्वार या गुदा (Anus) में व्यक्ति को सूजन की समस्या हो जाती है. कई बार इसमें दर्द भी होता है और खून भी निकलता है. कब्ज होने पर गुदा में सूजन, दर्द बढ़ जाता है. बवासीर के कई प्रकार होते हैं, जैसे खूनी बवासीर और बादी बवासीर. खूनी बवासीर में मरीज को मल त्याग करते समय खून आता है, पर यह अधिक तकलीफदायक नहीं होता है. कई बार गुदा के अंदर मस्से, सूजन हो जाते हैं, पर यह धीरे-धीरे ठीक हो जाता है. बादी बवासीर में अधिक तकलीफ हो सकती है. इसमें लगातार कब्ज होने से गुदा में बने मस्से बाहर की तरफ आ जाते हैं. इसमें जलन, दर्द हो सकता है. कब्ज लगातार बना रहे, तो मस्से में सूजन होने से दर्द बढ़ सकता है, चलना-फिरना भी दूभर हो जाता है. मल त्याग करते समय भी काफी दर्द होता है, ऐसे में बवासीर का इलाज करना बेहद जरूरी हो जाता है. आप खानपान में कुछ खाद्य पदार्थों को शामिल करके भी कब्ज, बवासीर की समस्या से बचे रह सकते हैं.
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बवासीर से बचाव के लिए क्या खाएं
सूखा आलूबुखारा खाने से नहीं होगा बवासीर
ओन्लीमाईहेल्थ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, बवासीर से बचाव के लिए सूखा आलूबुखारा (Prunes) का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें फाइबर काफी अधिक होता है. शरीर में फाइबर की डेली जरूरतों को पूरा करने के लिए आधा कप ड्राई आलूबुखारा खाना भी पर्याप्त हो सकता है. सूखे प्रून पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराने में मदद कर सकते हैं, जिससे वजन भी कंट्रोल में रहता है. साथ ही कब्ज की समस्या से बचाव होता है. वजन और कब्ज, ये दोनों ही बवासीर के जोखिम कारक हो सकते हैं.
पाइल्स में खाएं सेब
सेब में भी उच्च मात्रा में डायटरी फाइबर मौजूद होते हैं, जो त्वचा को हेल्दी बनाए रखते हैं. सेब में अघुलनशील फाइबर पाचन में नहीं टूटते हैं और मल को लूज करने, बाउल मूवमेंट को सही करने में मदद करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लैक्सेविट प्रभाव पड़ता है. सेब जैसे फाइबर युक्त फल बवासीर जैसी बीमारियों से बचाव के लिए जरूर खाना चाहिए.
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बवासीर में खाएं नाशपाती
नाशपाती सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह फाइबर और अन्य कम्पाउंड से भरपूर होता है, जो बवासीर के लक्षणों को कम करता है. त्वचा के लिए भी यह फल हेल्दी होता है. इसमें फ्रुक्टोज भी होता है, जो एक प्राकृतिक लैक्सेटिव होता है.
जौ को करें डाइट में शामिल
जौ बीटा-ग्लुकन से भरपूर होता है, जो कोलोन में चिपचिपे जेल को तोड़ता है. मल को नर्म करता है. यह एक अच्छे कोलोन स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद कर सकता है. जौ का नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर की बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है.
खूब खाएं अनाज, दालें
यदि आप नियमित रूप से दालें, साबुत अनाज, साबुत व्हीट ब्रेड, कॉर्न आदि का सेवन करेंगे, तो कब्ज की समस्या नहीं होगी. पाचनतंत्र भी स्वस्थ रहेगा. इनमें भी फाइबर होता है, जो कब्ज से बचाता है. पेट को साफ करते हैं.
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