कम फैट वाले शाकाहारी खाने से कम होता है गठिया का दर्द- स्टडी


Arthritis pain solution: वैसे भोजन तो है पर्सनल च्वाइस का मामला और लोग अपनी-अपनी पसंद को लेकर लॉजिक भी देते रहते हैं. लेकिन जब उसे हेल्थ की कसौटी पर लाया जाता है, तो उसके गुण-दोष सामने आते हैं. ऐसे में शाकाहार और मांसाहार (vegetarian and non-vegetarian) को लेकर हमेशा बहस होती है. अब एक नई स्टडी में सामने आया है कि कम फैट वाले शाकाहारी भोजन से गठिया (Arthritis) के मरीजों के जोड़ों के दर्द में कमी आती है. इतना ही नहीं, ये लाभ बिना कैलोरी (Calorie) को कम किए भी मिलता है. ये भी बताया गया है कि इस स्टडी में शमिल प्रतिभागियों के शाकाहार लेने से वजन और कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के लेवल में भी कमी आई. स्टडी के प्रमुख ऑथर और फिजिशियंस कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन (Physicians Committee for Responsible Medicine) के प्रमुख नील बर्नाड (Neal Barnard) का कहना है कि वेजिटेरियन डाइट के जरिए रूमेटाइड गठिया (Rheumatoid Arthritis) के लाखों लोगों को दर्द से राहत दिलाई जा सकती है. इसके साथ ही वह ये भी कहते है कि इसका अतिरिक्त सकारात्मक असर ये होता है कि ऐसे भोजन से वजन और कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम करने में मदद मिली.

बता दें कि रूमेटाइड गठिया एक सामान्य ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें जोड़ों में दर्द, सूजन और यहां तक कि जोड़ों को स्थायी तौर पर नुकसान भी होता है. इस स्टडी का निष्कर्ष ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन (American Journal of Lifestyle Medicine)’ में प्रकाशित हुआ है.

कैसे हुई स्टडी
फिजिशियंस कमेटी द्वारा की गई स्टडी की शुरुआत में प्रतिभागियों से विजुअल एनालॉग स्केल (वीएएस) का इस्तेमाल कर दो सप्ताह के दौरान जोड़ों के दर्ज (ज्वाइंट पेन) की तीव्रता को रेट करने को कहा गया. इसमें दर्द के नहीं होने से लेकर अधिकतम तीव्रता के दर्द के बारे मं बताना था. सभी प्रतिभागियों का डिजीज एक्टिवटी स्कोर -28 (डीएएस28) का भी आकलन किया गया. ये सामान्य जोड़, सूजन वाले जोड़ और सी-रिएक्टिव प्रोटीन वैल्यू आधारित होता है, जो शरीर में सूजन (इन्फ्लेमेशन) का संकेतक है. डीएएस-28 का आंकड़ा रूमेटाइड गठिया की तीव्रता 7के साथ बढ़ता है.

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स्टडी के लिए रूमेटाइड गठिया (Rheumatoid Arthritis) से पीड़ित 44 वयस्कों को चयनित कर, उन्हें दो ग्रुपों में बांटा गया. स्टडी 16 सप्ताह तक चली. एक ग्रुप को चार सप्ताह तक शाकाहारी खाना खाने को कहा गया और तीन सप्ताह तक कोई अतिरिक्त खाना नहीं खाने को कहा गया. उसके बाद नौ सप्ताह तक उन्हें फिर से सामान्य खाना खाने को कहा गया. इस दौरान प्रतिभागियों को अपने खाने की व्यवस्था, मतलब खाना बनाना और उसे खरीदने की जिम्मेदारी उनकी खुद थी. हालांकि ,इसमें शोध टीम का गाइडेंस था. दूसरे ग्रुप को बिना किसी परहेज के खाना खाने को कहा गया और उसेक साथ ही ऐसी दैनिक दवाएं भी दी गईं. उसके बाद 16 सप्ताह के लिए दोनों ग्रुप का भोजन बदल दिया गया.

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स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स ने पाया कि शाकाहारी भोजन के दौरान डीएएस-28 में औसतन 2 अंकों की कमी आई. ये दर्शाता है कि ज्वाइंट पेन में तुलनात्मक रूप से काफी कमी आई, जबकि दैनिक दवाएं लेने के दौरान डीएएस-28 में महज, 0.3 अंक की कमी थी. इतना ही नहीं, शाकाहारी भोजन लेने के दौरान सूजन वाले ज्वाइंट की औसत संख्या 7.0 से घटकर 3.3 रह गई. जबकि दैनिक दवाएं लेने के दौरान इनकी औसत संख्या 4.7 से बढ़कर 5 हो गई. शाकाहारी भोजन काल में वीएएस रेटिंग में भी दैनिक दवाएं लेने के समय की तुलना में अच्छा खासा सुधार हुआ.

Tags: Health, Health News, Lifestyle

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