जंग की तरफ बढ़ता यूरोप: भारत के अगले कदम पर दुनिया की निगाहें, अमेरिका चाहता है समर्थन, लेकिन रूस ने की साथ निभाने की अपील 


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Wed, 23 Feb 2022 01:33 PM IST

सार

भारत अगर अमेरिका का साथ देता है, तो इसका असर पुराने साथी रूस के साथ संबंधों पर पड़ेगा। वहीं अगर भारत यूक्रेन मसले पर रूस के साथ जाता है, तो वह अपने नए साथी अमेरिका के संबंध तोड़ देगा। ऐसे में यह बात भी ध्यान रखना जरूरी है कि, हाल में रूस और चीन के संबंध गहरे हुए हैं। 

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यूरोप में इन दिनों सामरिक हालातों के बीच दुनिया की नजर अब एशिया के रुख पर है। विशेष रूप से विश्व की दो महाशक्तियां रूस व अमेरिका भारत के अगले कदम का इंतजार कर रही हैं। अमेरिका चाहता है कि, यूक्रेन मसले पर भारत उसके पक्ष में खड़ा हो, लेकिन रूस ने भारत को अपनी पुरानी दोस्ती का हवाला दिया है।
 
दरअसल, यूक्रेन मसले पर आक्रामक हो चुका रूस इन दिनों कई बड़े आर्थिक व व्यवसायिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। पश्चिमी देश उस पर एक के बाद एक प्रतिबंध लगा रहे हैं। इस बीच रूस ने भारत से साथ देने की अपील की है। दिल्ली स्थिति रूसी दूतावास ने बुधवार काे जारी एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफ में कहा कि, ‘हमें उम्मीद है कि हमारी साझेदारी उसी स्तर पर आगे भी जारी रहेगी, जैसी की वर्तमान में है। विशेष रूप से दिसंबर 2021 में हाल के रूसी-भारतीय द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के परिणामों पर एक नज़र डाली जाए। हमनें रक्षा क्षेत्र में 10 साल के सहयोग कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए हैं। हमारे पास एक बड़ी पाइपलाइन योजना है। हमें पूरा विश्वास है कि सभी योजनाएं सफलतापूर्वक लागू होंगी।’ 

निष्पक्ष भारत ने बढ़ाई अमेरिका की चिंता 
यूक्रेन मसले पर अब तक निष्पक्ष रहे भारत ने अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के नरम बयान पर अमेरिका भी हैरान है। उधर, अमेरिकी मैगजीन इंटरनेशनल अफेयर्स ने भारत के इस रुख पर चिंता जाहिर की है। आर्टिकल में कहा गया है कि, एक तरफ यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई की निंदा हो रही है, तो भारत इस मसले पर चुप है। दरअसल, भारत ने यूएनएससी की बैठक में निष्पक्ष रहते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की थी। भारत ने कहा था कि, उसकी प्राथमिकता यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिक हैं। 

अगर भारत किसी एक पक्ष में गया तो 
अमेरिकी मैगजीन में कहा गया है कि, अगर भारत किसी एक पक्ष में गया तो इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा। भारत अगर रूस का समर्थन नहीं करता है तो इससे स्पष्ट है कि भविष्य में वह अपने संबंध अमेरिका से बढ़ाने वाला है। अगर ऐसा होता है तो इसका असर रूस से उसकी पुरानी रणनीतिक दोस्ती पर पड़ेगा। यहां यह बात बेहद अहम है कि हाल के दिनों में रूस और चीन के संबंध गहरे हुए हैं। ऐसे में भारत कभी नहीं चाहेगा कि यूक्रेन मसले पर किसी एक का समर्थन करके वह चीन को बढ़त हासिल करने दे। 

अमेरिका कर रहा आंतिरिक मसलों में दखल 
इस बीच रूस का एक और बयान सामने आया है। रूस की ओर से कहा गया है कि, डोन्त्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश घोषित किए जाने के बाद आज दोनों की ओर से अधिकारिक मान्यता के लिए रूस में आवेदन भी कर दिया गया। रूस ने आरोप लगाया कि  सोवियत रूस से अलग होने वाले देशों में अमेरिका ने आतंरिक दखल देनी शुरू कर दी है और यूक्रेन का इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जा रहा है। 

विस्तार

यूरोप में इन दिनों सामरिक हालातों के बीच दुनिया की नजर अब एशिया के रुख पर है। विशेष रूप से विश्व की दो महाशक्तियां रूस व अमेरिका भारत के अगले कदम का इंतजार कर रही हैं। अमेरिका चाहता है कि, यूक्रेन मसले पर भारत उसके पक्ष में खड़ा हो, लेकिन रूस ने भारत को अपनी पुरानी दोस्ती का हवाला दिया है।

 

दरअसल, यूक्रेन मसले पर आक्रामक हो चुका रूस इन दिनों कई बड़े आर्थिक व व्यवसायिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। पश्चिमी देश उस पर एक के बाद एक प्रतिबंध लगा रहे हैं। इस बीच रूस ने भारत से साथ देने की अपील की है। दिल्ली स्थिति रूसी दूतावास ने बुधवार काे जारी एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफ में कहा कि, ‘हमें उम्मीद है कि हमारी साझेदारी उसी स्तर पर आगे भी जारी रहेगी, जैसी की वर्तमान में है। विशेष रूप से दिसंबर 2021 में हाल के रूसी-भारतीय द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के परिणामों पर एक नज़र डाली जाए। हमनें रक्षा क्षेत्र में 10 साल के सहयोग कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए हैं। हमारे पास एक बड़ी पाइपलाइन योजना है। हमें पूरा विश्वास है कि सभी योजनाएं सफलतापूर्वक लागू होंगी।’ 

निष्पक्ष भारत ने बढ़ाई अमेरिका की चिंता 

यूक्रेन मसले पर अब तक निष्पक्ष रहे भारत ने अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के नरम बयान पर अमेरिका भी हैरान है। उधर, अमेरिकी मैगजीन इंटरनेशनल अफेयर्स ने भारत के इस रुख पर चिंता जाहिर की है। आर्टिकल में कहा गया है कि, एक तरफ यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई की निंदा हो रही है, तो भारत इस मसले पर चुप है। दरअसल, भारत ने यूएनएससी की बैठक में निष्पक्ष रहते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की थी। भारत ने कहा था कि, उसकी प्राथमिकता यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिक हैं। 

अगर भारत किसी एक पक्ष में गया तो 

अमेरिकी मैगजीन में कहा गया है कि, अगर भारत किसी एक पक्ष में गया तो इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा। भारत अगर रूस का समर्थन नहीं करता है तो इससे स्पष्ट है कि भविष्य में वह अपने संबंध अमेरिका से बढ़ाने वाला है। अगर ऐसा होता है तो इसका असर रूस से उसकी पुरानी रणनीतिक दोस्ती पर पड़ेगा। यहां यह बात बेहद अहम है कि हाल के दिनों में रूस और चीन के संबंध गहरे हुए हैं। ऐसे में भारत कभी नहीं चाहेगा कि यूक्रेन मसले पर किसी एक का समर्थन करके वह चीन को बढ़त हासिल करने दे। 

अमेरिका कर रहा आंतिरिक मसलों में दखल 

इस बीच रूस का एक और बयान सामने आया है। रूस की ओर से कहा गया है कि, डोन्त्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश घोषित किए जाने के बाद आज दोनों की ओर से अधिकारिक मान्यता के लिए रूस में आवेदन भी कर दिया गया। रूस ने आरोप लगाया कि  सोवियत रूस से अलग होने वाले देशों में अमेरिका ने आतंरिक दखल देनी शुरू कर दी है और यूक्रेन का इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जा रहा है। 



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