सब डरे हुए हैं, तो एक ने बताया भगवान की मर्जी; हिजाब फैसले के बाद उडुपी से ग्राउंड रिपोर्ट


उडुपी/रोहिणी स्वामी. कर्नाटक के मंदिरों का शहर कहे जाने वाले उडुपी में बुर्का और हिजाब (सिर पर दुपट्टा) पहने महिलाओं का सड़कों पर दिखना बहुत आम है. लेकिन मंगलवार को हलचल भरे शहर की सड़कें खाली थीं, स्कूल और कॉलेज ऐसे समय में बंद थे जब अधिकांश छात्र शैक्षणिक वर्ष के लिए अपनी अंतिम परीक्षा लिख ​​रहे होते. राज्य सरकार ने भी निषेधाज्ञा लागू कर दी थी क्योंकि हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट में फैसला सुनाया जाना था. प्रमुख स्थानों पर पुलिस की मौजूदगी और गश्त माहौल में तनाव को साफ तौर पर जाहिर कर रहा था.

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और उसने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए उडुपी के गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं की खाचिकाएं खारिज कर दी. अदालत ने इसके साथ ही राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखा. इसके तुरंत बाद स्थानीय निवासी मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जे एम खाजी की पूर्ण पीठ द्वारा दिए गए फैसले के बारे में धीमी आवाज में बातें करने लगे.

हिंसक विरोध के बाद बंद करने पड़े थे शैक्षणिक संस्थान
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सरकारी पीयू कॉलेज में पढ़ने वाली छह मुस्लिम लड़कियों ने जोर देकर कहा कि वे हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाना चाहती हैं. कॉलेज के अधिकारियों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह कॉलेज यूनिफॉर्म कोड के अनुसार नहीं है, इसके तुरंत बाद ही प्रदर्शनकारी छात्रों और राज्य सरकार के बीच गतिरोध शुरू हो गया. विरोध के हिंसक होने और सांप्रदायिक रंग लेने की वजह से शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने के लिए भी राज्य सरकार को मजबूर होना पड़ा.

स्थानीय लोग क्या कहते हैं
अब्दुल्ला उडुपी में मस्जिद रोड पर जामिया मस्जिद के द्वार के ठीक बाहर इत्र बेचते हैं. उसने भी फैसले के बारे में सुना था. उन्होंने उडुपी की भीषण गर्मी से बचने के लिए एक पेड़ की छाया के नीचे खड़े होकर अपनी लंबी दाढ़ी को सहलाते हुए कहा, “आप क्या कर सकते हो? यह भगवान की इच्छा है. दुख की बात है कि हमें ऐसे दिन का सामना करना पड़ रहा है, अगर आप हमारे बड़ों से पूछेंगे, तो वे बताएंगे कि हिजाब और बुर्का कैसे महत्वपूर्ण हैं. मुझे उन लड़कियों और उनकी शिक्षा की चिंता है. वे होशियार हैं और उन्होंने अपना बचाव अच्छी तरह से किया है, लेकिन फिर मैं अदालत के फैसले से सहमत नहीं हूं.”

‘उडुपी में गर्मी से भी ज्यादा गर्मी है’
अब्दुल्ला ने मजाक में कहा, “हर किसी के लिए इस पर बात करना एक अहम मुद्दा बन गया है. यहां गर्मी से भी ज्यादा गर्मी है.” इसके साथ ही रिपोर्टर से उनकी तस्वीर नहीं लेने की अपील की क्योंकि यह उनके धर्म के खिलाफ है. ऑटो चालक और अब्दुल्ला का दोस्त अशोक स्टैंड पर खड़े अन्य ऑटोरिक्शा चालकों के लिए अपने फोन पर उच्च न्यायालय के फैसले को लाइव स्ट्रीम कर रहा था. यह पूछे जाने पर कि फैसले के बारे में उन्हें क्या लगता है, वह अचानक साथ खड़े लोगों के साथ कानाफूसी करने लगते हैं.

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अशोक ने मस्जिद के ठीक बाहर तैनात कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस की बस की ओर इशारा करते हुए कहा, “यह एक संवेदनशील विषय है. सब डरे हुए हैं. कोई हिजाब शब्द भी बोलना नहीं चाहता. पुलिस यहां यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोई भी परेशानी पैदा न करे.”

छात्र क्या बोलें
फैसला सुनाए जाने के पांच घंटे बाद, छह मुस्लिम लड़कियों ने मीडिया से बातचीत की. शुरुआत में ही उन्होंने फैसले पर अपनी पीड़ा और दुख को जाहिर किया, लेकिन जैसे-जैसे प्रेस कॉन्फ्रेंस आगे बढ़ी, लड़कियां भावुक हो गईं और आंसू बहाते हुए एक वाहन की ओर दौड़ पड़ीं, जो उनके ही इंतजार में खड़ी थी. एक छात्रा ने कहा, “आज आया फैसला असंवैधानिक है… संविधान हमें हमारे मज़हब का पालन करने का अधिकार देता है और यह भी अधिकार देता है कि मैं कुछ भी पहन सकती हूं.”

छात्रा ने कहा, हमारे लिए शिक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि हिजाब
याचिकाकर्ताओं में से एक ए.एच. अलमास ने प्रेस वार्ता में कहा, “हमने कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था. आदेश हमारे खिलाफ आया है. हम बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगे, लेकिन इसके लिए लड़ेंगे. हम सभी कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे. हम इंसाफ और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे.” एक अन्य याचिकाकर्ता आलिया असादी ने भी जोर देकर कहा कि उनके लिए शिक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि उनका हिजाब.

उडुपी में 85% हिन्दू, जबकि 8% मुस्लिम आबादी
भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, उडुपी की लगभग 8.2% आबादी मुस्लिम और अन्य 85% हिंदू हैं. News18 ने दोनों कॉलेजों, उडुपी के सरकारी गर्ल्स पीयू कॉलेज और एमजीएम प्री यूनिवर्सिटी डिग्री कॉलेज का दौरा किया, जहां हिजाब पहने लड़कियों को भगवा स्कार्फ पहने लड़के कॉलेज में प्रवेश करने से रोक रहे थे और इसके परिणामस्वरूप वहां अराजकता का माहौल था.

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सरकारी पीयू गर्ल्स कॉलेज के गेट बंद थे और परिसर के अंदर पुलिस की मौजूदगी थी, दूसरी ओर एमजीएम कॉलेज पूरी तरह से सुनसान था, उसके गेट के बाहर अतिरिक्त राज्य पुलिस बल तैनात नहीं थे. दो युवतियां जो एमजीएम कॉलेज की छात्रा थीं, यह पूछने के लिए कॉलेज आई थीं कि वे कक्षाओं में कब शामिल हो सकती हैं. कॉलेज बंद होने के कारण गेट पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अगले दिन आने के लिए कहा.

‘लगातार कॉलेज बंद होने से परेशान हूं’
News18 ने उन दोनों छात्राओं से पूछा कि वे विवाद और शैक्षणिक संस्थानों के लगातार बंद होने के बारे में क्या महसूस करते हैं. एक लड़की ने सड़क किनारे अपना दोपहिया वाहन खड़ा करते हुए कहा, “मैं एक शिक्षिका बनना चाहती हूं.” नाम न छापने की शर्त पर छात्रा ने कहा, “मैं अगली पीढ़ी को शिक्षित करना चाहती हूं, इसलिए सहिष्णुता, शांति और समानता के बारे में खुद को शिक्षित करना जरूरी है. लगातार कॉलेज बंद होने से परेशान हूं. सिर्फ इसलिए कि मुट्ठी भर लड़कियां अडिग रहना चाहती हैं, हम पीड़ा से गुजर रहे हैं.”

Tags: Bengaluru, Hijab, Karnataka



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