EXCLUSIVE: इब्राहिम बलोच ने मेहुल कुमार बनकर जीते करोड़ों दिल, पढ़िए अमिताभ, राजकुमार व गोविंदा के अनसुने किस्से


मेहुल कुमार 73 साल के हो गए हैं। मेहुल कुमार इकलौते फिल्म निर्माता निर्देशक हैं जिनके साथ चर्चित अभिनेता राज कुमार ने तीन फिल्में की। राज कुमार की बड़े परदे पर वापसी का श्रेय अगल मेहुल कुमार को जाता है तो अमिताभ बच्चन की फिल्मों में वापसी भी मेहुल कुमार की फिल्म से ही हुई थी। मेहुल कुमार के नाम से हिंदी फिल्म जगत का वह चर्चित किस्सा भी जुड़ा है जिसमें उन्होंने फिल्म के एक अहम सीन की शूटिंग फिल्म के हीरो के डेट न देने पर बिना हीरो के ही कर ली थी और ये मेहुल कुमार ही है जिनकी फिल्म के सेट पर शूटिंग में हमेशा लेट पहुंचने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ठीक समय पर पहुंचने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। मेहुल कुमार ने अपने जन्मदिन की पूर्वसंध्या पर ‘अमर उजाला’ से ये खास बातचीत करने का वक्त निकाला और अपने करियर के ये सारे किस्से बहुत बेतकल्लुफी से सुनाए।

 

जब लोगों को लगा नहीं बन पाएगी ‘तिरंगा’ 

अपने जमाने के कद्दावर अभिनेता राज कुमार ने किसी भी निर्देशक के साथ तीन फिल्में नहीं की हैं। लेकिन उन्होंने मेहुल कुमार के साथ ‘मरते दम तक’, ‘जंगबांज’ और ‘तिरंगा’ जैसी फिल्मों में काम किया। मेहुल कुमार कहते है, ‘राज साहब की वापसी मेरी फिल्म से हुई। अमिताभ मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अमित जी मेरी फिल्म ‘मृत्युदाता’ से वापसी करेंगे। राज साहब बहुत ही क्लियर कट इंसान थे, उनके साथ कोई अगर डबल गेम खेलता था तो उससे उनकी नही बनती थी। अगर उनको आप सीन वाइज कहानी सुना दो और स्क्रिप्ट की एक कॉपी उनको दे दो तो कभी दिक्कत नहीं होती थी। उनको उर्दू में स्क्रिप्ट चाहिए होती थी। जब राज साहब और नाना पाटेकर के साथ मैने ‘तिरंगा’ की घोषणा की तो लोगों को लगता था कि ये फिल्म बन ही नहीं पाएगी। लेकिन, फिल्म छह महीने में पूरी होकर रिलीज हुई और हिट भी हुई।’

अमिताभ बच्चन सा समर्पित अभिनेता दूसरा नहीं

मेहुल कुमार अमिताभ बच्चन के साथ ‘मृत्युदाता’ और ‘कोहराम’ कर चुके हैं। मेहुल कुमार कहते हैं, ‘सेट छोड़कर अमिताभ बच्चन कभी नहीं जाते थे। उनका शॉट जब खत्म हो जाता था तब भी वह सेट पर ही बैठे रहते थे जबकि आज के एक्टर शॉट खत्म होने के बाद तुरंत अपनी वैनिटी वैन में चले जाते है। एक दिन मैंने बच्चन साहब से पूछ लिया कि आप का शॉट नहीं होता है फिर भी आप सेट पर क्यों बैठे रहते है? पहले तो उन्होंने कहा कि मेरे यहां बैठने से आपको तकलीफ क्या है? फिर उन्होंने बताया कि सेट पर इसलिए बैठा रहता हूं तकि सामने वाले का रिएक्शन देख सकूं, जब मेरा क्लोज शॉट लगेगा तो मैं उसी हिसाब से अपना रिएक्शन दे सकूंगा।’

बिना गोविंदा के हो गई फिल्म की शूटिंग पूरी 

गोविंदा के साथ ‘आसमान से ऊंचा’, ‘मरते दम तक’ और ‘जंगबाज’ जैसी फिल्में कर चुके मेहुल कुमार कहते है, ‘हम लोग गोविंदा की फिल्म ‘आसमान से ऊंचा’ की शूटिंग कश्मीर में कर रहे थे। बर्फ में फाइट सीन फिल्मया जाना था लेकिन खराब मौसम के चलते हम उस दिन शूट नहीं कर पाए और अगले दिन गोविंदा को वहां से निकलना था। हमने गोविंदा से कहा कि एक दिन और रूक जाओ ताकि शूट पूरी कर सके लेकिन वह नहीं रुके। उस सीन के लिए दुबारा यूनिट के साथ कश्मीर आना संभव नहीं था। हमने वह सीन बिना गोविंदा के ही उनके डुप्लीकेट पर शूट कर लिया। बाद में फिल्मसिटी में आकर उस सीन में कुछ क्लोज शॉट हमने शूट कर लिए। आज भी गोविंदा बिना मेरा नाम लिए इस बात का जिक्र करते हैं कि एक डायरेक्टर ने बिना मेरे ही सीन शूट कर लिया।’ 

10 बजे सेट पर आ गए शत्रुघ्न सिन्हा

‘शॉटगन’ के नाम से मशहूर रहे अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के बारे में लोग बताते हैं कि वह अपनी फिल्मों की शूटिंग पर समय से न पहुंचने के लिए चर्चित रहे हैं। लेकिन मेहुल कुमार की फिल्म ‘नाइंसाफी’ की शूटिंग पर वह एक दिन सुबह 10 बजे पहुंच गए। मेहुल कुमार बताते हैं, ‘मुझे पता था कि सिन्हा साहब कभी भी शूटिंग पर समय से नहीं आते। एक दिन मैंने पूछ लिया कि आप शूटिंग पर समय से क्यों नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं समय से शूटिंग पर पहुंच भी जाऊं तब भी लोग मेरा शॉट नहीं ले पाते थे इसलिए मैंने हमेशा शूटिंग पर देर से पहुंचने का नियम बना लिया। मैंने कहा कि अगर कल सुबह 10 बजे ही आप का  पहला शॉट लूं तो? उन्होंने समय से पहुचंने का वादा किया। हम फिल्मालय में शूटिंग कर रहे थे और अगले दिन जब सिन्हा साहब समय से आ गए तब सारी यूनिट के लोग उन्हें देखकर भौंचक्के रह गए।’



Source link

Enable Notifications OK No thanks