ब्लड शुगर लेवल से जुड़ी है फर्टिलिटी, डायबिटीज की दवाएं पहुंचा सकती हैं फायदा -स्टडी


अक्सर ये कहा जाता है कि मोटापा ग्रस्त महिलाओं को कंसीव करने यानी गर्भधारण में परेशानी आती है. इसके लिए उन्हें कई बार इलाज भी कराना पड़ता है. मॉडर्न लाइफस्टाइल में मोटापा एक महामारी का रूप ले रही है. इसका मतलब है कि समय के साथ महिलाओं में प्रजनन की समस्याएं बढ़ सकती हैं. अब ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के रिसर्चर्स द्वारा की गई नई स्टडी सामने आया है कि मोटापा ग्रस्त महिलाओं में प्रजनन हार्मोन (Reproductive Hormones) का लेवल ब्लड ग्लूकोज (शुगर) का लेवल कम करके आंशिक तौर पर बहाल (Reinstated) किया जा सकता है. इससे फर्टिलिटी (प्रजनन) की संभावनाओं में सुधार हो सकता है.

चूहों पर किए गए प्रयोग में इस बात के संकेत मिले हैं कि मोटापा ग्रस्त महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज की दवाओं से ब्लड ग्लूकोज लेवल को कम किया जा सकता है और उससे प्रजनन हार्मोन के स्तर में आए बदलाव को आंशिक तौर पर ठीक किया जा सकता है.

आमतौर पर पाया गया है कि मोटापा ग्रस्त महिलाएं, जिनमें फर्टिलिटी की समस्याएं होती हैं, उनमें प्रजनन (रिप्रोडक्टिव) हार्मोन का लेवल नॉर्मल नहीं होता है. इस समय उसे ठीक करने का कोई असरकारक या प्रभावी इलाज नहीं है. इस स्टडी का निष्कर्ष ‘जर्नल आफ एंडोक्राइनोलाजी (Journal of Endocrinology)’ में प्रकाशित हुआ है.

कैसे हुई स्टडी
स्टडी के दौरान, चूहों पर किए गए प्रयोग में पाया गया कि मेलानोकोर्टिन-4-रिसेप्टर नॉकआउट (MC4 KO) का संबंध उसके मोटापे से है. इससे हार्मोन के लेवल में भी बदलाव होता है और प्रजनन चक्र (रिप्रोडक्टिव साइकिल) अनियमित होता है, जिससे प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) घटती है.

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आपको बता दें कि चूहों का प्रजनन चक्र इंसानों जैसा ही होता है. इसलिए हार्मोन के लेवल में होने वाला बदलाव भी एक जैसा ही होता है. क्योंकि चूहों में ये चक्र काफी संक्षिप्त होता है, इसलिए एमसी4आर केओ का इनमें स्टडी करना सुविधाजनक होता है. इससे मोटापा ग्रस्त चूहों में मेटाबोलिक और प्रजनन के शुरुआती मेकनिज्म को समझना आसान होता है.

शुगर की दवा है कारगर
डायबिटीज टाइप 2 के इलाज में आमतौर पर डपगलफ्लोजिन (Dapagliflozin) नाम की दवा का इस्तेमाल किया जाता है. इससे ब्लड ग्लूकोज का लेवल कम होता है और मेटोबोलिक हेल्थ के मार्करों में भी सुधार होता है. लेकिन रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर इसके असर की स्टडी किया जाना अभी बाकी है.

स्टडी में क्या निकला
यूनिवर्सिटी आफ क्वींसलैंड के प्रोफेसर चेन चेन (Professor Chen Chen) और उनके सहयोगियों ने मोटापा ग्रस्त चूहों के मेटाबोलिक और रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर डपगलफ्लोजिन के इफैक्ट्स की स्टडी की. रिसर्चर्स ने पाया कि महज 8 हफ्ते में ब्लड ग्लूकोज का लेवल नॉर्मल हो गया, शरीर का वजन भी कम हुआ, रिप्रोडक्टिव साइकिल (प्रजनन चक्र) भी सामान्य हुआ.

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क्या कहते हैं जानकार
इसके साथ ही प्रजनन हार्मोन का लेवल और ओव्यूलेशन (ovulation) में भी अन्य चूहों (जिनका इलाज डपगलफ्लोजिन से नहीं किया गया) की तुलना में आंशिक तौर पर सुधार हुआ. प्रोफेसर चेन का कहना है कि इस स्टडी के आधार पर मोटापा ग्रस्त महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने का प्रभावी इलाज खोजा जा सकता है. अभी ये प्रयोग चूहों पर हुआ है और उसके पॉजिटिव रिजल्ट्स मिले हैं, लेकिन इसे इंसानों पर लागू करने से पहले और भी स्टडी किए जाने की जरूरत है.

Tags: Health, Health News, Lifestyle, Obesity

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