GST Council Meet : मंत्री समूहों की सिफारिशों को दी गई मंजूरी, कई वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी छूट खत्म


नई दिल्ली. जीएसटी परिषद ने मंगलवार को कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर की दरों में बदलाव को मंजूरी दे दी. साथ ही राज्यों को सोना और मूल्यवान रत्नों की राज्य के भीतर आवाजाही के लिये ई-वे बिल जारी करने की अनुमति भी दे दी गई. राज्य एक सीमा तय कर सकते हैं जिसके ऊपर इलेक्ट्रॉनिक बिल जारी करना अनिवार्य होगा.

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संबंधी नीति बनाने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक के पहले दिन जीएसटी में पंजीकृत कंपनियों के लिये कई अनुपालन संबंधी प्रक्रियाओं तथा मंत्री समूह (जीओएम) की कर चोरी रोकने संबंधी रिपोर्ट को भी मंजूरी दी गई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं.

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जीओएम की सिफारिशें मंजूर

खबर के अनुसार, जीएसटी काउंसिल ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता वाली जोओएम की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई की अध्यक्षता वाले इस मंत्री समूह ने इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (तैयार वस्तुओं के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक कर) में बदलाव और कुछ वस्तुओं पर कर छूट समाप्त करने समेत दरों को युक्तिसंगत बनाने की सिफारिश की थी.

इसके अलावा राज्यों के वित्त मंत्रियों द्वारा की गईं अन्य सिफारिशों को भी स्वीकार कर लिया गया है. इनमें 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराया वाले होटल कमरों पर 12 प्रतिशत की दर से कर लगाने, अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिये 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों (आईसीयू को छोड़कर) पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने व पोस्टकार्ड और अंतर्देशीय पत्र, ‘बुक पोस्ट’ और 10 ग्राम से कम वजन के लिफाफे को छोड़कर अन्य डाकघर सेवाओं पर कर लगाने का सुझाव शामिल है. जीएसटी के तहत उच्च जोखिम वाले करदाताओं के पंजीकरण के बाद सत्यापन का सुझाव दिया गया है. ऐसे करदाताओं की पहचान के लिए बिजली बिल के ब्योरे और बैंक खातों के मदद लेने की सिफारिश की गई है.

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आज की बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा

राज्यों को जून 2022 के बाद राजस्व क्षतिपूर्ति की व्यवस्था जारी रखने तथा कैसिनो, ऑनलाइन गेम और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा बुधवार को होगी. विपक्ष-शासित राज्य जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था को पांच साल के लिए बढ़ाने या राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 70-80 प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं.

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